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विजेता चौधरी, काठमाण्डू, भाद्र १६



पितृ देवो भवः अर्थात अपने पिता को देवता समान मानने का धार्मिक मान्यता के आधार पर आज देश भर अपने पिता को विशेष सम्मान प्रदान कर फादर्स डे मनाया जा रहा है ।

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प्रत्येक वर्ष भाद्र कृष्ण औंसी के दिन मनाया जानेवाला पिता का मुँह देखने का विशेष पर्व सम्पूर्ण नेपाल मना रहें हैं । पिता को आदर के साथ उपहार तथा अच्छा खाना खिला कर, उनके इक्षा अनुकुल कार्य कर के बच्चे अपना प्रेमभाव दर्शाते हैं । साथ ही दिवंगत पिता को तर्पण, सिधादान एवम् श्राद्ध कर के उक्त दिवस को मनाने का प्रचलन रहा है ।

आज गोकर्णेश्वर एवम् बेत्रावति स्थानों में भव्य मेला लगा है ।

सांस्कृतिविद बताते हैं आज के दिन अपने दिवंगत पिता के नाम से राजधानी के उत्तर–पूर्वी क्षेत्र में रहे गोकर्णेश्वर नदी में जा कर तर्पण देकर पितृ ऋण से मुक्त होने का मान्यता जनमानस में व्याप्त है ।

इतना ही नहीं संस्कृतिविद बताते हैं गोकर्णेश्वर, उत्तर गया, बेत्रावति लगायत के पवित्र स्थल में जाकर पिता का श्राद्ध करने से घर, मामाघर एवम् ससुराल तरफ का तीन पुस्ता के पितृओं को मोक्ष मिलने का धार्मिक जनविश्वास कायम है ।

यद्यपि पितृ मोक्ष तो संतान के लिए सब से बडा धर्म माना गया है । लेकिन क्या पिता के कर्तवय रुपि ऋण से कोइ धर्म या तिर्थ वा वेदपूराण बच्चों को कभी मुक्त कर सकता है भला ? क्या बच्चें इन से मुक्त होना चाहेगें ? इन सवाल पर अधिकांश ने पिता के किसी भी कर्तव्य से मुक्ति का खयाल ही सब से बडा अपराध एवम् अवहेलाना माना जाएगा बताया ।

बहरहाल आज छोटे छोटे बच्चों ने भी अपने पिता को अपने हाथों से कार्ड व चाकलेट प्रदान कर प्रेम दर्शाया । वहीं कई संतानो ने उपहार व विशेष पूजा तथा सम्मान के साथ इस पर्व को मना रहें हैं । विवाहित बेटियों में अपने पिता के प्रति आज विशेष सर्मपण भाव दिखता है ।



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