देवी का रूप प्रकृति की तरह रहस्यपूर्ण है।
मां दुर्गा के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करता भक्त देवी के तेजोमय स्वरूप से एकाकार हो जाता है। पूजा-अर्चना, व्रत और रात्रि जागरण मानो समस्त सृष्टि उत्सवमय होकर मां के चरणों में नतमस्तक होने को उठती है। ब्रहमांड की महाशक्ति, मां जगदंबा के नौ रूपों की उपासना का अवसर पा कर श्रद्धालु धन्य हो जाते हैं। समय किसी का इंतजार नहीं करता। काल चक्र अपनी धूरी पर घूमता रहता है। वह कभी नहीं रुकता है। देवी का रूप प्रकृति की तरह रहस्यपूर्ण है। यह जीवन में ऐश्र्वर्य एवं प्रसन्नता देने वाला है। मां भगवती ऐसा वट वृक्ष हैं, जिसे जीवन की हर वेला, अपने हर रूप में फैलती है। देवी को प्रकृति रूप में भी माना जाता है। अगर धरती मां के रूप में वे भूमि है तो वे हिमालय पुत्री गंगा भी हैं। अपने इन रूपों में वे धरती पर आकर मानव मात्र को दुखों से मुक्त करती हैं। वे मनुष्य को पाप-दोष से निजात दिलाकर ज्ञान देती हैं।
ममतामयी मां दुर्गा अपने भक्तों की प्रर्थना, अपने बच्चों की पुकार अति शीघ्र सुनती हैं। वे इस सृष्टि की पालनहार हैं। वे ही संहारिणी हैं। वे सर्वस्व प्रदान करने वाली हैं। भक्त मां से इस प्रार्थना करते हैं-मुख में चंद्रमा की शोभा धारण करने वाली मां। मुझे मोक्ष की इच्छा नहीं है, संसार के वैभव की भी अभिलाषा नहीं है, न विज्ञान की अपेक्षा है, न सुख की आकांक्षा, अत: आप से मेरी यही याचना है कि मेरा जन्म, मृडानी, रुद्राणी, शिव-शिव, भवानी- इन नामों का जाप करते हुए बीते।