Fri. Mar 29th, 2024

जिसने अपने अस्तित्व, स्वाभिमान व देश की सुरक्षा को भुला दिया, उसे प्रकृति ने हमेशा सजा दी है। हम जब भी प्रकृतिमय होकर अपनी अस्मिता के लिए, अपने आनंद के लिए, अपनी मर्यादा की सुरक्षा के लिए आगे बढ़े हैं, प्रकृति हमारा स्वागत करती है। फूल खिलकर हमारा स्वागत करते हैं। नदियां कल-कल कर बहती हैं और हमें सुख प्रदान करती हैं। यह जंगल, यह हरियाली हमें आनंद प्रदान करते हैं। यह सब प्रकृति हैं। यही प्रकृति आपके अंदर भी है। आप साधारण मानव नहीं हैं।

आप मनु की संतान हैं जिन्होंने नए ढंग से इस मानव जाति की रचना की है। आप कश्यप अदिति की संतान हैं। आप ब्रrा के पुत्र हैं। आपके इष्ट मर्यादा पुरुषोत्तम राम हैं। आपके अंदर देवता भी है और दानव भी है। यदि आप देवता बनना चाहते हो, तो अंतस की यात्र करो। बाहरी जगत तो आपके जीने की व्यवस्था है। बाहर का जगत आपके साथ नहीं जाएगा। आप अपने जीवन की यात्र कर रहे हो। इस यात्र पर आप आज से नहीं, लाखों-करोड़ों वर्षो से चले आ रहे हो। अनेक जन्मों के फल के रूप में आपने यह जन्म पाया है। हम सब कर्म कर रहे हैं। हम सब मानव हैं, लेकिन हमने तपस्या करके अपने अंतस के सत्य को जाना है। यह मैंने अनुभव किया है। चाहे कोई भी हो, स्त्री हो या पुरुष वह आत्मज्ञान का अहसास कर सकता है। ऋषियों-मुनियोंने परमात्मा को पाने के लिए कठिन परिश्रम किया है।

वैज्ञानिकों ने खोज करके पृथ्वी के उपजाऊ तत्वों को हमारे लिए उपयोगी बनाया है। हमें सिविलाइज्ड बनाया है। अंधेरों को दूर किया है। आवागमन के साधनों को सुलभ करवाया है। मनुष्य को सुसंस्कृत बनाया है। यह सब मनुष्य का विज्ञान है। यह ऋषियों-मुनियों का विज्ञान नहीं है। उन्होंने परमात्मा की अनुभूति करने के लिए अंतस के विज्ञान की खोज की है। मुनियों का विज्ञान अपने अस्तित्व की खोज का विज्ञान है। एक धर्म का विज्ञान हुआ और एक भौतिक विज्ञान हुआ। दोनों ने कितनी कठिन तपस्या की है आप मनुष्य होकर डर गए। आप दोनों को उपलब्ध नहीं हुए। आपने अपने जीवन का सदुपयोग नहीं किया, क्योंकि आपने अपने को नहीं जाना। सच तो यह है कि आत्मज्ञान की अनुभूति के बगैर आप जीवन के बुनियादी सत्यों को नहींजान सकते। अभी वक्त आपके साथ है। सोचिए नहींआत्मज्ञान की यात्र पर निकल पड़ें

 



About Author

आप हमें फ़ेसबुक, ट्विटर और यूट्यूब पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Loading...
%d bloggers like this: