प्यार केवल शक्लोसूरत नही देखता वो देखता है एक प्यार भरा दिल : शिल्पा जैन सुराणा
डॉ शिल्पा जैन सुराणा | कहते है कि जब सच्चा प्यार होता है तो जख्म किसी को भी हो दर्द दोनो को होता है, और सुनीता के इस दर्द को अहसास किया जय ने।
ये कहानी है दो प्यार करने वाले दिलो की, दो ऐसे सच्चे प्रेमियो की जिन्होंने दुनिया को प्यार की एक नई परिभाषा बताई।
जय 12th में था जब उसने पहली बार सुनीता को देखा, पहली ही नजर में सुनीता जय को पसंद आ गयी, पर जय ने ये बात अपने दिल मे ही रखी उसने सुनीता को कभी अपने दिल की बात बयां नही की। स्कूल में ही दोनो अच्छे दोस्त बन गए,और एक दूसरे के साथ अपनी सभी बातें शेयर करते। स्कूल के बाद दोनो जुदा हो गए।समय बीतता गया, लगभग 2.5 साल बाद जय के जन्मदिन पर एक कॉल आया,और जय खुशी से झूम उठा, क्योंकि ये कॉल उसकी क्रश सुनीता का था।
एक शाम जब सुनीता अपनी माँ के साथ कार में जा रही थी, उनकी कार के सामने एक लोरी चली आयी, सुनीता कुछ समझ पाती उससे पहले लोरी ने कार को टक्कर मार दी, सुनीता का चेहरा कार के साथ घसीटता गया।जय को जैसे ही इस एक्सीडेंट का बारे में पता चला वो भागते हुए हॉस्पिटल गया वो भगवान से यही प्राथना कर रहा था कि सुनीता सही सलामत हो, लेकिन जब जय ने सुनीता को देखा वो बिल्कुल टूट गया, सुनीता का चेहरा इस एक्सीडेंट में बुरी तरह से बिगड़ गया था। डॉक्टर्स ने सुनीता के चेहरे को ठीक करने के लिए उसके चेहरे की कई सारी सर्जरी की। जय सुनीता से मिलने के बाद हर उस पल को याद करता जो उसने सुनीता के साथ बिताया, वो बातें सुनीता का चेहरा जब भी जय के सामने आता उसकी आँखों मे आंसू आ जाते।उसी रात उसने मन ही मन मे कुछ निश्चित कर लिया।जय अगले दिन हॉस्पिटल गया और उसने अपने दिल की बात सुनीता को बताई साथ ही उसने शादी का प्रस्ताव भी उसके सामने रखा। क्योंकि वो जानता था कि यही वो लड़की है जिससे वो सच्चे दिल से प्यार करता है।सुनिता को थोड़ा झटका लगा क्योंकि वो इन सब के लिए अभी तैयार नही थी, वो कशमकश में थी, कि क्यों जय ने उसकी हालत को देखते हुए भी उसे शादी के लिए प्रपोज किया है। वो नही चाहती थी कि उसकी हालत के लिए कोई भी उसे सहानुभूति दिखाए।
शुरुआत में जय की माँ इस रिश्ते के खिलाफ थी पर जय का सुनीता के प्रति बिना शर्त का सच्चा प्यार देख जय के पापा ने भी उसे सपोर्ट किया।
जय सुनीता से हमेशा मिलने जाता उसे प्रोत्साहित करता उसे जिंदगी के मायने सिखाता और आखिर वो दिन भी आया जिसका इंतज़ार जय कर रहा था, जय का जन्मदिन था वो सुनीता से मिलने गया। सुनीता ने उसे तीन गुलाब दिए और पूछा तो हम शादी कब कर रहे है, जय के चेहरे पर मुस्कान आ गयी और उसने सुनीता को गले लगा लिया।
मार्च 3 2014 को धूमधाम के साथ जय और सुनीता शादी के पवित्र बंधन में बंध गए। आज दोनो 2 प्यारे बच्चो के माता पिता है।
प्यार किसे कहते है ये जय और सुनीता की कहानी बयां करती है।प्यार में सब चीजों को जोड़ने की शक्ति होती है, चाहे वो टूटा हुआ चेहरा हो या टूटा हुआ दिल। प्यार में हर जख्म को भरने का मलहम होता है। प्यार केवल शक्लोसूरत नही देखता वो देखता है एक प्यार भरा दिल।
डॉ शिल्पा जैन सुराणा
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