तीन महीना संविधान सभा का कार्यकाल बढाये जाने की तैयारी
जैसे-जैसे १४ गते संविधान सभा घोषणा की तिथी नजदिक आरही है देश की जनता मे उत्सुकता ओेर नेताओं की बेचैनी बढती जा रही है।नेता अपनी कुर्सी बचाने की भरपुर उपाय सोंच रही है तो वहीं जनता भवी संविधान में अपना अधिकार पाने के लिए व्याकुल दिख रही है। इसि शिलशिला में संविधान सभा का कार्यकाल तीन महीने बढाए जाने को लेकर प्रमुख दल और मधेशी मोर्चा के बीच गोप्य सहमति हो चुकी है। सिंहदरबार में सहमति के प्रयास के लिए जारी बैठक के ही दौरान संविधान सभा के कार्यकाल को तीन महीने बढाए जाने पर सहमति हो चुकी है।
सर्वोच्च अदालत द्वारा संविधान के कार्यकाल को नहीं बढाने और जेठ १४ गते संविधान सभा के भंग होने का आदेश दिए जाने के बाद राजनीतिक दल अब अन्तरिम संविधान में रहे संकटकालीन अवस्था में ६ महीने का कार्यकाल बढाए जाने के प्रावधान का उपयोग करने की तैयारी में है। इसके लिए जेठ १४ गते की मध्य रात को ही सांकेतिक रूप में भी मंत्रिमंडल द्वारा देश में संकटकाल लगाए जाने की सिफारिश राष्ट्रपति के समक्ष की जाएगी। और संकटकाल लगाकर तीन महीने के लिए संविधान सभा का कार्यकाल बढाया जाएगा।
अब दलों के बीच इस बात को लेकर खीचातानी चल रही है कि जेठ १४ गते के बाद बाबूराम भट्टराई के नेतृत्व में रही सरकार को ही निरन्तरता दी जाएगी या फिर कांग्रेस के नेतृत्व में सरकार गठन की जाएगी। माओवादी और मधेशी मोर्चा का मानना है कि वर्तमान सरकार को ही संविधान नहीं बनने देने तक निरन्तरता दी जाए। जबकि कांग्रेस और एमाले जेठ १४ गते के बाद सरकार परिवर्तन के पक्ष में है। दलों के बीच बस इसी बात को लेकर मामला उलझा हुआ है। इसलिए किसी भी नेपाली जनता को यह गलतफहमी में नहीं रहना चाहिए कि जेठ १४ गते संविधान जारी होने जा रहा है।संविधान सभा का कार्यकाल तीन महीने बढाए जाने को लेकर प्रमुख दल और मधेशी मोर्चा के बीच गोप्य सहमति हो चुकी है। सिंहदरबार में सहमति के प्रयास के लिए जारी बैठक के ही दौरान संविधान सभा के कार्यकाल को तीन महीने बढाए जाने पर सहमति हो चुकी है।
सर्वोच्च अदालत द्वारा संविधान के कार्यकाल को नहीं बढाने और जेठ १४ गते संविधान सभा के भंग होने का आदेश दिए जाने के बाद राजनीतिक दल अब अन्तरिम संविधान में रहे संकटकालीन अवस्था में ६ महीने का कार्यकाल बढाए जाने के प्रावधान का उपयोग करने की तैयारी में है। इसके लिए जेठ १४ गते की मध्य रात को ही सांकेतिक रूप में भी मंत्रिमंडल द्वारा देश में संकटकाल लगाए जाने की सिफारिश राष्ट्रपति के समक्ष की जाएगी। और संकटकाल लगाकर तीन महीने के लिए संविधान सभा का कार्यकाल बढाया जाएगा।
अब दलों के बीच इस बात को लेकर खीचातानी चल रही है कि जेठ १४ गते के बाद बाबूराम भट्टराई के नेतृत्व में रही सरकार को ही निरन्तरता दी जाएगी या फिर कांग्रेस के नेतृत्व में सरकार गठन की जाएगी। माओवादी और मधेशी मोर्चा का मानना है कि वर्तमान सरकार को ही संविधान नहीं बनने देने तक निरन्तरता दी जाए। जबकि कांग्रेस और एमाले जेठ १४ गते के बाद सरकार परिवर्तन के पक्ष में है। दलों के बीच बस इसी बात को लेकर मामला उलझा हुआ है। इसलिए किसी भी नेपाली जनता को यह गलतफहमी में नहीं रहना चाहिए कि जेठ १४ गते संविधान जारी होने जा रहा है।यह जानकारी nepalkikhabar.com ने दी है।