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परिवर्तन के पक्षधर पार्टी माओवादी ही है, इसीलए मैं प्रवेश किया

रामेश्वर राय यादव मधेश राजनीति में एक परिचित नाम है । यादव की राजनीतिक जीवन की शुरुआत मधेशवादी पार्टी से ही हुई थी । सद्भावना से राजनीतिक जीव में सक्रिय वह पिछली बार मधेशी जनअधिकार फोरम लोकतान्त्रिक के उपाध्यक्ष थे । लेकिन यादव बुधबार (भाद्र १४ गते, २०७४) सर्लाही जिला के चक्रघाट में एक कार्यक्रम आयोजित कर माओवादी केन्द्र में में प्रवेश किया । उस दिन माओवादी केन्द्र के अध्यक्ष पुष्पकमल दाहाल ‘प्रचण्ड’ ने यादव सहित अन्य दल आबद्धद्ध हजारों नेता तथा कार्यकर्ता को माओवादी में स्वागत किया था । इसी सन्दर्भ को लेकर हिमालिनी डटकम के लिए लिलानाथ गौतम ने यादव से बातचीत की है । प्रस्तुत है– बातचीत का सम्पादित अंश–




० आप क्यों माओवादी में प्रवेश किए हैं ?
– मेरी सम्पूर्ण राजनीतिक जीवन मधेश मुद्दा को स्थापित करने के लिए समर्पित हो रहा है । सद्भावना पार्टी से ही मैं इस मुद्दा को स्थापित कर रहा हूं । पिछली बार यह महसुस हो रहा है कि पीडित समुदाय सिर्फ मधेश में ही नहीं है, पहाड और हिमाल में भी है । राज्य सत्ता में उन सभी का पहुँच होना जरुरी है । सभी उत्पीडित जाति, समुदाय, भाषा–भाषी को न्याय और अधिकार दिलाना हम जैसे राजनीतिक कर्मियों का कर्तव्य है । और समतामुलक समाज निर्माण करना है । यही कर्तव्य बोध के साथ मैं माओवादी में प्रवेश किया हूं ।
० कुछ मधेशवादी नेता बताते हैं कि मधेश में रहनेवाले उत्पीडित और अधिकार विहीन जनता की मुद्दा तो सिर्फ मधेशवादी पार्टी ही स्थापित कर सकती है । लेकिन आप तो माओवादी में प्रवेश किए हैं, क्यों ?
– हां मैं भी यही समझता था । लेकिन अभी जो मधेशवादी पार्टी और नेता हैं, उन सबों की प्रथमिकता में मधेश की जनता नहीं है । मधेश के नाम में राजनीति तों करते हैं, लेकिन उन की प्राथमिकता कुछ और ही है ।
० कुछ और का मतलव ?
– वे लोग देश, मधेश तथा जनता को समृद्ध बनाने के लिए और अधिकार दिलाने के लिए नहीं, व्यक्तिगत एवं परिवारिक सुरक्षा और भविष्य के लिए राजनीति को प्रयोग कर रहे हैं । ऐसे लोग मधेशी जनता को धोका दे रहे हैं । मधेश के नाम में जो आज राजनीति कर रहे हैं, उन सभी की मानसिकता संकुचित हैं । उन लोगों की झुठा गतिविधि और प्रचार–प्रसार के कारण ही आज मधेश की वास्तविक मुद्दा कमजोर बन रहा है ।
० आप फोरम लोकतान्त्रिक छोड़ कर अन्य मधेशवादी पार्टी में भी प्रवेश कर सकते थे । लेकिन नहीं किया, क्यों ? क्या सभी मधेशवादी पार्टी ऐसे ही है, जो आप कह रहे हैं !
– हां, लगभग ऐसे ही हैं । दल और नेताओं के अनुसार किसी में कमों–वेश हो सकता है ।
० आप भी मधेशवादी पार्टी को छोड़ कर राष्ट्रीय पार्टी में प्रवेश करते हैं तो मधेश की मुद्दा कैसे संबोधन हो सकती है ।
– मैंने पार्टी परिवर्तन किया है, मधेश मुद्दा और विचार को नहीं । पहले ही कह चुका हूं, आज जिसको हम मधेशवादी पार्टी कहते हैं, वे मधेश में रहनेवाले अधिकांश जनता की प्रतिनिधित्व नहीं करती । इसीलिए मधेश मुद्दा तथा समस्या समाधान के लिए ही मैं माओवादी केन्द्र में प्रवेश किया हूं । मधेश को अधिकार दिलाने के लिए कोई भी क्षेत्रीय तथा जातीय पार्टी की आवश्यकता नहीं है । राष्ट्रीय पार्टी में आबद्ध होकर भी मधेशी जनता को अधिकार सम्पन्न किया जा सकता है ।
० राष्ट्रीय पार्टी में प्रवेश करने के लिए तो माओवादी से अधिक बड़ा कांग्रेस और एमाले भी था । क्यों आपने माओवादी को ही चुन लिया ?
– एमाले की तो पहिचान ही मधेश विरोधी है । वह राष्ट्रवाद के नाम में गलत प्रचार–प्रसार कर रहा है, ऐसी पार्टी में मैं कसै प्रवेश कर सकता हूं ! कांग्रेस, मधेश में रहनेवाले जनता के पक्ष में कुछ बोल तो सकता है, लेकिन अपनी ही कथन को व्यवहार में कार्यान्वयन नहीं करता । इतिहास देखे तों आज मधेश के नाम में जितना भी आंदोलन हुआ है और अधिकार प्राप्त हो रहा है, उन सभी के पीछे प्रत्यक्ष–अप्रत्यक्ष माओवादी का ही हाथ है । माओवादी ने दस वर्षीय जनयुद्ध के दौरान जो राजनीतिक चेतना जनता में पहुँचाई, वही चेतना के कारण मधेश में विभिन्न राजनीतिक आंदोलन हुआ है । हां, उस का नेतृत्व माओवादी नहीं कर पाया, गलत पार्टी और नेता उस आंदोलन को नेतृत्व करने के लिए पहुँचे । प्रमाणित हो रहा है कि परिवर्तन और उत्पीडित समुदाय के लिए लड़ने वाला पार्टी ही माओवादी है, इसीलिए मैं यहां प्रवेश किया हूं ।
० मधेश के नाम में राजनीति करने वाले नेता, (विशेषतः राजपा) कहते हैं कि मधेश मुद्दा में कांग्रेस–एमाले–माओवादी एक ही हैं, इस कथन में कुछ टिप्पणी ?
– किसी दूसरे पार्टियों के बारे में ज्यादा बोलना मुझे ठीक नहीं लगता । मैं इतना जनता हूं कि मधेशवाद के नाम में जो राजनीति कर रहे हैं, वे लोग राजनीतिक मुद्दा से नहीं व्यक्तिगत सुुरक्षा से ज्यादा मतलव रखते हैं ।
० चुनावी माहौल में राजनीतिक नेता और कार्यकर्ता अपनी मूल पार्टी बदलते रहते हैं । आप को भी माओवादी केन्द्र ने कोई प्रलोभन दिया होगा, इसीलिए माओवादी प्रवेश करे होंगे । बताइए ! माओवादी ने क्या आश्वासन दिया है ?
– मैं आश्वासन में बिकने वालों में से नहीं हूं । अभी तो स्थानीय चुनाव चल रहा है । मुझे कोई स्थानीय निकाय में उठना और जीतना भी नहीं हैं । क्यों मैं आश्वसन में पड़ जाऊ ?
० आप फोरम लोकतान्त्रिक में उपाध्यक्ष थे, माओवादी में आप का भूमिका क्या होगी ?
– इसके बारे में पार्टी के अन्दर विचार–विमर्श हो रही है । मुझे विश्वास है, मेरे हैसियत और योग्यता के अनुसार मुझे जिम्मेवारी मिल ही जाएगी ।
० प्रदेश नं. २ में स्थानीय चुनाव हो रहा है, आप की मूल्यांकन में उस प्रदेश में कौन–सी पार्टी प्रथम बन सकता है ? माओवादी की प्रतिस्पर्धा किससे होगी ?
– इतिहास देखें तो २ नम्बर प्रदेश, नेपाली कांग्रेस का प्रभाव क्षेत्र है । दूसरा एमाले ही था, लेकिन अभी एमाले महेन्द्र राजमार्ग के आसपास सिमित है । राजमार्ग के दक्षिण एमाले का प्रभाव नहीं है । एमाले हो या कांग्रेस, यह दोनों पार्टी के प्रति मधेशी जनता की विश्वास खो चुका है । ऐसी अवस्था में माओवादी केन्द्र ने जिस तरह अपनी गतिविधि को बढ़ाया है, उसे देखकर मुझे लगता है कि माओवादी ही प्रथम पार्टी होगा । अगर ऐसा होगा, तो यह आश्चर्य की बात नहीं है । हां माओवादी की प्रतिस्पर्धा नेपाली कांग्रेस से है ।
० आप कितने लोगों को लेकर माओवादी प्रवेश किए हैं ?
– पार्टी प्रवेश कार्यक्रम में माओवादी केन्द्र के अध्यक्ष पुष्पकमल दाहाल प्रचण्ड ने ६ हजार से ज्यादा नेता तथा कार्यकर्ता को टीका लगाए हैं । समय अभाव के कारण अन्य हजारों नेता तथा कार्यकर्ता छूट गए हैं । लेकिन वे सभी माओवादी में प्रवेश हुए हैं ।
० अन्त में, कुछ कहना चाहेंगे आप ?
– मधेश आन्दोलन के नाम में १५० से ज्यादा मधेशी युवाओं ने अपनी शाहदत प्रदान किया है । लेकिन इन शहीदों को ऊचित सम्मान नहीं हो रहा है । हम सभी ने इस तथ्य को हृदयंगम करना होगा । नहीं तो ‘मधेशवाद’ के नाम में सिर्फ व्यक्तिगत लाभहानी का राजनीति चलता ही रहेगा । इसीलिए जो परिवर्तन चाहता है, परिवर्तनकारी शक्ति है, वे सभी इकठ्ठा होने की समय आ गया है । इसके लिए माओवादी एक आधार बन सकता है ।

 



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