जहां बहू नहीं, दामाद लाया जाता है
झापा, १८ कार्तिक । सामान्यतः नेपाली समाज में बेटों की शादी करके बहू को अपने घर में लाया जाता है और बेटी को पराया घर (लड़के के घर) में भेजा जाता है । लेकिन हमारे समाज में ही ऐसी संस्कृति भी है, जहां बहू नहीं, दमाद को बेटी अपने घर में ले आती है । यह समाचार आज प्रकाशित अन्नपूर्ण पोष्ट में है ।
पाँच साल पहले झापा गांवपालिका–१ निवासी २० वर्षीया सुमी हेम्रुम ने २५ वर्षीय लाल बेस्रा के साथ शादी किया । शादी के बाद बेस्रा अपनी ससुराल (सुमी के घर) में ही रहने लगे उन्होंने अपना घर पूर्ण रुप में त्याग दिया । यह दोनों सन्थाल समुदाय के हैं । सन्थाल समुदाय में सिर्फ हेम्रुम और बेस्रा ही ऐसे दम्पत्ति नहीं है, जो लड़की के घर में जा कर अपना जीवन गुजार करते हैं । उस गांव में प्रायः सभी जोड़ी ऐसे ही हैं, जो शादी के बाद लड़की के घर में अपना जीवन बिता रहे हैं । यह सन्थालन समुदाय की वैवाहिक संस्कार भी है ।