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अलविदा: शशि कपूर की 5 फ़िल्में, जो मिसाल हैं उनके जुनून और साहस कीअलविदा: शशि कपूर की 5 फ़िल्में, जो मिसाल हैं उनके जुनून और साहस की
सिनेमा के आला खानदान कपूर फ़ैमिली से ताल्लुक रखने वाले शशि ने अपने करियर में कई यादगार फ़िल्में दीं, जिनमें मसाला फ़िल्मों के अलावा आर्ट सिनेमा के रंग भी देखने को मिलते हैं।

मुंबई। 2017 जाते-जाते एक बड़ा दर्द भारतीय फ़िल्म इंडस्ट्री को दे गया। साल के आख़िरी महीने में हिंदी सिनेमा के लीजेंडरी एक्टर और थिएटर पर्सनेलिटी शशि कपूर का किरदार दुनिया के रंगमंच को अलविदा कह गया। शशि कपूर का जाना सिनेमा का बहुत बड़ा नुक़सान है, जिसकी भरपाई शायद ही हो सके।

सिनेमा के आला खानदान कपूर फ़ैमिली से ताल्लुक रखने वाले शशि ने अपने करियर में कई यादगार फ़िल्में दीं, जिनमें विशुद्ध मसाला फ़िल्मों के अलावा आर्ट सिनेमा के रंग भी देखने को मिलते हैं। शशि बेहतरीन एक्टर होने के साथ साहसी निर्माता भी थे, जिन्होंने ऐसे विषयों को अपनी फ़िल्मों का हिस्सा बनाया, जो अपने दौर में काफ़ी बोल्ड माने गये। नए टैलेंट को मौक़ा देने में भी शशि कपूर हिचकते नहीं थे। उन्होंने अपने करियर में लगभग 116 फ़िल्मों में काम किया, मगर शशि कपूर को बतौर कलाकार और फ़िल्ममेकर समझने के लिए वो 5 फ़िल्में काफ़ी हैं, जिनका निर्माण उन्होंने किया। ये कहना अतिश्योक्ति नहीं होगी कि इन फ़िल्मों के ज़रिए शशि ने थिएटर की कला और परंपरा को सिल्वर स्क्रीन पर झिलमिलाने का मौक़ा दिया।

जुनून- 1978 में आयी ‘जुनून’ को शशि कपूर ने प्रोड्यूस और डायरेक्ट किया था। रस्किन बांड के नॉवल अ फ्लाइट ऑफ़ पिजंस पर आधारित ये फ़िल्म 1857 के पहले गदर के आस-पास सेट थी। फ़िल्म में शशि कपूर की पत्नी जेनिफ़र केंडल, नसीरुद्दीन शाह और शबाना आज़मी मुख्य किरदारों में शामिल थे। इस फ़िल्म को 3 नेशनल अवॉर्ड मिले, जिनमें बेस्ट फ़िल्म के लिए भी शामिल था। हिंदी सिनेमा की बेहतरीन फ़िल्मों में शामिल ये फ़िल्म शशि कपूर के सिनेमा के प्रति जुनून की बेहतरीन मिसाल है।

कलयुग- 1981 में रिलीज़ हुई ‘कलयुग’ को शशि कपूर ने प्रोड्यूस किया था, जबकि इसके डायरेक्टर श्याम बेनेगल थे। एक कॉरपोरेट परिवार के इर्द-गिर्द घूमती फ़िल्म की कहानी के किरदार महाभारत की तर्ज़ पर बुने गये थे। ख़ुद शशि का किरदार कर्ण पर आधारित था। ‘कलयुग’ आर्ट और मीनिंगफुल सिनेमा का बेहतरीन नमूना है।

उत्सव- 1984 में आयी ‘उत्सव’ अपने दौर की बोल्ड फ़िल्मों में शामिल थी, जिसके निर्माण का ज़िम्मा शशि कपूर सरीखा साहसी निर्माता ही उठा सकता था। दूसरी शताब्दी में शूद्रका द्वारा लिखित संस्कृत नाटक मृच्छकटिका पर आधारित फ़िल्म में शेखर सुमन और रेखा ने लीड रोल्स निभाये थे। शेखर सुमन ने इस फ़िल्म से डेब्यू किया था। फ़िल्म का निर्देशन गिरीश कर्नाड़ ने किया था।

विजेता- 1983 में रिलीज़ हुई ‘विजेता’ शशि कपूर के निर्माण में बनी एक और शानदार फ़िल्म है, जिसका डायरेक्शन गोविंद निहलानी ने किया। पति-पत्नी के रिश्ते की इस कहानी में शशि कपूर, रेखा और उनके बेटे कुणाल कपूर मुख्य किरदारों में शामिल थे।

36 चौरंगी लेन- 1981 में आयी इस फ़िल्म का निर्देशन अपर्णा सेन ने किया था, जबकि शशि प्रोड्यूसर थे। बंगाली सिनेमा की मशहूर एक्ट्रेस अपर्णा ने इस फ़िल्म से डायरेक्टोरियल डेब्यू किया था। फ़िल्म क्रिटिकली हिट रही। इसमें जेनिफ़र केंडल, धृतिमान चैटर्जी और देबाश्री रॉय मुख्य किरदारों में थे।



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