कितनी प्रभावी है प्रदेश नम्बर दो की स्थानीय सरकार ? मुरलीमनोहर तिबारी सिपु
गाँवपालिका में २०५ के दर से कमीशनखोरी (पी.सी.) पर खुलेआम काम हो रहा है । जिसमें अपने लोगों को ठेकेदारी, गोप्य टेंडर दिया गया, जिसमे गुपचुप तरीके से गोप्य उपभोक्ता समिति बना दिया गया । क्या योजना है, कितने का काम, किस तरीके से काम करना है, ये सारी सूचनाएं दबाई गई ।
हिमालिनी, अंक जुलाई २०१८ | स्थानीय, प्रदेश और संघीय चुनाव के बाद, सब जगह जन प्रतिनिधियों ने कार्यभार संभाला, ज्यादातर नए लोग ही जीतकर आए । जनप्रतिनिधियों को एक आर्थिक वर्ष का बजट चलाने का मौका भी मिला । इसमें नए लोगों को सीखने, समझने और आगे के लिए सुधार करने के अनुभव भी मिले होंगे । ‘हिमालिनी’ ने इस अवधि में पर्सा जिला अंतर्गत हुए, कामकाज का लेखाजोखा लेने का प्रयास किया, जिसमें हमारा उद्देश्य किसी की बेवजह आलोचना ना करके, जनप्रतिक्रिया लेने का रहा, जिसे जानकर जनप्रतिनिधि भविष्य में अनुसरण और सुधार कर सकें ।
नेपाल सरकार मंत्रिपरिषद द्वारा ०७४ जेठ १७ में जारी हुआ, स्थानीय तह का सेवा संचालन तथा व्यवस्थापन संबंधी आदेश, २०७४ में जारी हुआ । जिसके अनुरूप स्थानीय तह सिंहदरबार का अधिकार स्वयं प्रयोग करेगा । स्थानीय तह निर्वाचन के बाद जनता ने जनप्रतिनिधि पाया । क्या जनअपेक्षा अनुरूप विकास हो रहा है या पहले स्थानीय निकाय में होने वाले भ्रष्टाचार की श्रृंखला पुनः बढ़ती जा रही है ?
सबसे पहले बिरगंज म.न.पा. की बात करें, तो बिरगंज विकास के अलावा सब तरह की चर्चा में रहा, यहाँ के चर्चे सुनकर बरबस ही अरविंद केजरीवाल की याद आ जाती है, बिरगंज म.न.पा. के नगर परिषद में मधेश आन्दोलन के शहीद को भुला दिया गया । बिरगंज महानगरपालिका के दूसरे नगर सभा ने बिरगंज के मेनरोड को २५×२५ मि. के बदले १५–१५ मि. (१०० फिट) सड़क कायम करने का निर्णय किया । । नेशनल मेडिकल कालेज का कर और जुर्माना ११ करोड़ से कम करके ५ करोड़ में मिला दिया गया । महानगरपालिका ३ एसी गाड़ी और ३२ मोटरसाइकल खरीदेगी । कमीशन के लिए बिरगंज महानगरपालिका की इन्जिनियर और कर्मचारियों के मिलीभगत से नाला का डिजाइन बदला गया । कालिका कंस्ट्रक्शन के ३ अरब के काम मे व्यापक कमीशनखोरी और भ्रष्टाचार हुआ । कालिका कंस्ट्रक्शन क द्वारा बनायी गई सड़क ३ महीने में ही टूटने लगी ।
मेयर सरावगी का कथन, “वडा अध्यक्ष के कारण १८ करोड़ से राजस्व कम होकर १३ करोड़ हो गया । वडा सदस्य ज्यादा सुविधा लेने की मांग कर रहे हैं । बहुतायत जनप्रतिनिधि जेल जाएंगे । बिरगंज की कुछ मुट्ठी भर जनता मेरे साथ नही रहने से मेरा कुछ नही होगा । कृपया, भविष्य में मुझे सपोर्ट नही कीजिए ।” मेयर सरावगी के कथन के कड़वाहट को सुनकर लगता है, कि किसी गैर राजनीतिक व्यक्ति को अपनी जगह बनाने में कितनी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है । सब जगह आलोचना का स्वर ज्यादा है, इसका अर्थ है मेयर सरावगी परिवर्तन के लिए संघर्ष कर रहे हंै, लेकिन जिस प्रकार सब लोग इनके खिलाफ गोलबंद हो रहे है, डर लगता है कि कहीं अमिताभ बच्चन की तरह आधे में ही राजनीति छोड़ ना दें, और जो शिलालेख बन सकते है, अखबारों की सुर्खियां बनकर ना रह जाएं ।
ट्रान्सपरेन्सी इन्टरनेशनल के रिपोर्ट अनुसार, नेपाल दक्षिण एशिया का तीसरा भ्रष्ट मुल्क है । महालेखा परीक्षक के कार्यालय अनुसार, जब स्थानीय निकाय प्रतिनिधिविहीन था, तब जिला विकास समितियो का बेरुजु १२ अर्ब ४७ करोड से ज्यादा था और अब ज्यादा होने की आशंंका है। स्थानीय तह में अपने इच्छा अनुुुरूप पदाधिकारियाें द्वारा सुविधा लेना, आन्तरिक आय नही होने पर भी गाड़ी, फोन, भत्ता जैसी सुविधा लेना, राजनीतिक रूप में सामाजिक सुरक्षा भत्ता, बेरोजगारी भत्ता, आर्थिक सहयोग और चन्दा जैसे गैर बजेटरी खर्च सम्बन्धी निर्णय करना आर्थिक अनियमितता की भयावह अवस्था प्रस्तुत करता है ।
जहाँ सिंह दरबार से सारे अधिकार स्थानीय सरकार में आ गए है, वही जनता चाहती है कि, स्थानीय जनप्रतिनिधि की सक्रियता से रोजÞमर्रा की समस्या में सुधार हो, लेकिन लोडसेडिंग मुक्त होने के बाद भी अनियमित बिजली कटौती में जनप्रतिनिधि मौन रहे । यातायात कार्यालय में लाइसेंस खुलेआम बिक्री होती रही और जनप्रतिनिधि चुप रहे । कृषि का बजट अन्य शीर्षक में भेज कर कृषि कार्यालय सुनसान और खेती वीरान रही । नारायणी उपक्षेत्रीय अस्पताल में डॉक्टर नदारद रहते है, जो १० बजे आते भी है, तो १२ बजे अपने प्राइवेट क्लीनिक में होते हंै । मरीजÞ को साधारण ऑपरेशन का समय महीनों बाद का दिया जाता है, वह बाध्य होकर प्राइवेट में इलाज कराता है, और ऑपरेशन के दिन ऑपरेशन थिएटर खÞाली रह जाता है। अस्पताल कर्मचारियों का सिंडिकेट इतना तगड़ा है, इसे छेड़ने की हिम्मत किसी जनप्रतिनिधि की नही होती ।
बहुदरमाइ नगरपलिका में काम कार्यवाही का विकृत स्वरूप, अनियमितता, आंतरिक खींचतान और निर्वाचितपदाधिकारी का अपमान के कारण वडा अध्यक्षों को सार्वजनिक अभिव्यक्ति देनी पड़ी । पोखरिया नगर पालिका में किसी एक के बहुमत नही होने के कारण प्रभावी काम नही हो रहा है । स्थानीय तह में बड़े भ्रष्टाचार की सम्भावना, कर्मचारी की नियुक्ति, स्थानीय तह सन्चालन करने की योजना, उपभोक्ता समिति का चयन जैसे विषय को कुछ खÞास लोग अपने उंगलियों पर नचा रहे हैं ।
महिला सशक्तिकरण, दलित जनजाति जैसे कार्यक्रम में एक ही संस्था से कार्यान्वयन करा कर करोड़ों की कमीशनखोरी की गयी । पर्सा में खुद को सामाजिक अभियन्ता कहने वाले लोग विभिन्न गाँवपालिका से साठगांठ करके, सामाजिक काम में नकÞली गोष्ठी और अंतर्कि्रया करने के नाम पर रकम खपाने में लगे रहें । ज्येष्ठ नागरिक सहायता अंतर्गत और महिला सशक्तिकरण का बजट अपने ही परिवार के लोगों में बाँटा गया । योजना तथा कार्यक्रम चयन करने के क्रम में दलीये भागभंडा के पुराने संयंत्र अनुसार किया गया ।
गाँवपालिका में २०% के दर से कमीशनखोरी (पी.सी.) पर खुलेआम काम हो रहा है । जिसमें अपने लोगों को ठेकेदारी, गोप्य टेंडर दिया गया, जिसमे गुपचुप तरीके से गोप्य उपभोक्ता समिति बना दिया गया । क्या योजना है, कितने का काम, किस तरीके से काम करना है, ये सारी सूचनाएं दबाई गई । कई जगह पूर्व में जि.बी.स. से टेंडर हुए अधूरे काम पर, फिर से गा. पा. से टेंडर किया गया, इस तरह एक ही काम के लिए दो बार रकम निकले गए । कुछ गांव जो पहले नगरपालिका में थे बाद में गा.पा. में चले गए, उस समय नगरपालिका द्वारा लगाया गया विद्युत पोल का लाइट, सोफा फर्नीचर का बिल दोबारा पेश करके भुगतान लिया गया । विद्यालयों के लिए फर्नीचर खÞरीदने के लिए दिए गए अनुदान से फर्नीचर और कम्प्यूटर नही खÞरीद कर सीधे शिक्षक और कर्मचारियों में रकम बाट दिया गया ।
स्थानीय तह में राजस्व संकलन में सम्पत्ति कर लगाने में घर और जÞमीन में मन माफिक मूल्यांकन किया गया । स्थानीय तह द्वारा निर्धारित होने वाले कर, आमदनी के स्रोत, प्राकृतिक स्रोत जैसे विषय में जनप्रतिनिधियों द्वारा चेहरा अनुरूप निर्णय किया गया । स्थानीय तह के कार्यपालिका बोर्ड का निर्णय तथा कार्यालय का नियमित काम, नगरपालिका और गाँवपालिका सभा से अनुमोदन और पारित करने का व्यवस्था होने के बावजूद दलीय सहभागिता में अपारदर्शी ढंग से पारित किया गया । आर्थिक समिति तथा न्यायिक समिति के समिति में अलग अलग राजनीतिक पृष्ठभूमि के व्यक्ति के कारण प्रतिशोधपूर्ण तरीका से काम में बाधा किया जा रहा है । ये सब भ्रष्टाचार के नमूने हैं ।
नेपाल भ्रष्टाचार विरुद्ध संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन का पक्ष राष्ट्र है । भ्रष्टाचार विरुद्ध रणनीति तथा कार्य योजना, विभागीय कार्य योजना, २०६७ तथा भ्रष्टाचार विरुद्ध संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन जैसा प्रावधान विद्यमान है लेकिन यूएसआइडी के अध्ययन के अनुसार ये प्रावधान निष्प्रभावी है । अख्तियार दुरूपयोग अनुसन्धान आयोग ने बताया कि मालपोत और नापी कार्यालय के बाद स्थानीय तह में सबसे ज्यादा भ्रष्टाचार हो रहा है । सेवाग्रही अनुभूति सर्वेक्षण परिदृश्य २०७४ के अनुसार स्थानीय तह के कार्यालय में अभी भी ३१.३४ प्रतिशत सेवाग्राही को बिचौलिए मार्फत सेवा लेने की अवस्था है । ७४ प्रतिशत स्थानीय तह के सेवा में जानबूझकर ढीलासुस्ती करने का तथ्य सामने आया है ।
स्थानीय तह में ज्यादातर उपप्रमुख महिला हंै, जो प्रमुख और अधिकृत के मिलीभगत से होनेवाले गोरखधंधा से अनजान है । इसका लाभ प्रमुख लेते है, कुछ समाज में स्वच्छ छवि रखने के लिए दिखाते हैं कि गाड़ी वगÞैरह की सुविधा नही ले रहे है और अधिकृत को मिलाकर अपनी निजी गाड़ी (भारतीय नंबर प्लेट) को गा. पा.में भाड़ा में लगाकर बेतहाशा पैसा बना रहे है । कुछ प्रमुख तो इतने महत्वाकांक्षी है कि प्रमुख और मुखिया कहने पर बुरा मान जाते है, वे खुद को मेयर साहब या माननीय कहने को कहते है । उनका वक्त कही ना कहीं सेमिनार में पÞmोटो खिंचाने में ही गुजरता है ।
संघीय कानून बहुतायत स्थानीय तह में लागू नही हुआ है । जनप्रतिनिधि जथाभावी बजट खर्च कर रहे हैं, अनुदान का दुरूपयोग हो रहा है, आचारसंहिता का पालन नही हो रहा है, सार्वजनिक सम्पत्ति का दुरूपयोग हो रहा है, कार्यक्रम बिना ही खÞर्च होने की शिकायत मिल रही है । प्रदेश सरकार द्वारा जनप्रतिनिधियों की सेवा सुविधा और भत्ता निर्धारित होने के बाद भी आन्तरिक स्रोत से विभिन्न शीर्षक में सुविधा में अनुचित वृद्धि किया गया है । गोप्य रूप से योजना तर्जुमा, राजनीतिक हस्तक्षेप, भुक्तानी प्रक्रिया में लेनदेन, प्राकृतिक स्रोत को उपयोग से ज्यादा अनियंत्रित दोहन की समस्या से जनाक्रोश बढ़ रहा है ।
स्थानीय सरकार को पारदर्शी और जबाबदेह बनाने के लिए संघीय सरकार ने नए विधिव्यवस्था के अनुसार सात सौ तिरपन (७५३) स्थानीय तह में गुण स्तरीय सेवा, भ्रष्टाचार रोकथाम और अनुगमन के लिए बिधि व्यवस्था कर रही है । संघीय मामला तथा स्थानीय विकास मन्त्रालय ने इसके लिए स्थानीय तह मातहत के क्षेत्रगत (शिक्षा, स्वास्थ्य, कृषि आदि) शाखा द्वारा किए काम को स्थानीय तह में प्रस्तुत कर भौतिक प्रगति का प्रतिवेदन ढाँचा भी तैयार करने वाला है । स्थानीय तह तथा जिला समन्वय समिति द्वारा प्रदेश एवं संघीय सरकार में भौतिक प्रगति प्रतिवेदन भेजना पड़ेगा, जिससे संघ, प्रदेश तथा स्थानीय शाखा द्वारा समीक्षा हो सके ।
संघीय मन्त्रालय पुराने ‘डिस्टिक्ट प्लानिङ मोनिटरिङ एन्ड एनालाइसिस सिस्टम’ (डिपिएमएएस) को स्थानीय तह अनुकूल परिमार्जन करके ‘स्थानीय तह योजना अनुगमन तथा विश्लेषण प्रणाली’ के रूप में प्रयोग करने के योजना में लगा है । संघीय मन्त्रालय के अनुगमन तथा मूल्यांकन शाखा के प्रमुख चक्रपाणी शर्मा ने बताया कि स्थानीय तह को स्वच्छ, पारदर्शी और उत्तरदायी बनाने के लिए नयी अनुगमन विधि अपनायी जाएगी । संविधान के धारा २३२ (८), धारा ५८, स्थानीय सरकार संचालन ऐन के दफा ११४, अंतरसरकारी वित्त व्यवस्थापन ऐन के दफा ३० और उसी ऐन के दफा ३२ के आधार में मंत्रालय ने स्थानीय तह का अनुगमन तथा मूल्यांकन संबंधी अवधारणा आगे बढ़ाया है ।
कई जगह ईमानदार जनप्रतिनिधि और नौकरशाह है लेकिन अनुभवहीन और अकेले होने के कारण अलग थलग पड़े हुए हंै । यहाँ कही पक्ष विपक्ष नही दिखता, भाग भण्डा प्रणाली ने सबके मुँह बंद कर दिए हैं । इसमें आषाढ़ में काम पूरा करने की परिपाटी ऐसी है कि कितने भी गुणस्तरहीन काम हो बाढ़ के पानी के बहाने सब की लीपापोती हो जाती है ।