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ठोरी को दुर्गम क्षेत्र से पर्यटकीय क्षेत्र में रूपांतरण का लक्ष्य है : शान्तिमाया थिड•



रेयाज आलम, बीरगंज, श्रावण ८ गते,२४ जुलाई २०१८ मंगलवार।
ठोरी के विकास की दिशा और दशा के संबंध में ठोड़ी गांवपालिका की उपाध्यक्ष शान्तिमाया थिड• से ‘हिमालिनी’ संवाददाता रेयाज आलम से बातचीत के मुख्य अंश।

* ठोरी गा.पा. से बीरगंज ६० की.मी. दूर है, यहाँ कोई बीमार हो जाए तो बीरगंज पहुचने की क्या व्यवस्था है ?

किसी प्रकार के इमरजेंसी के लिए विभिन्न संघ-संस्था द्वारा उपलब्ध एम्बुलेंस हरेक वार्ड में है, हमलोग इसे और ज्यादा करने ले लिए प्रयासरत हैं।

* ठोरी गा.पा. में नदी-नाला ज्यादा है, हर साल बाड़ में टूट जाता है, सड़कें संपर्क विहीन हो जाता है, इसके लिए क्या बंदोबस्त है ?

प्राकृतिक आपदा प्रबंधन के लिए आफ़त-बिपत कोष रखा गया है, साथ ही विशेष बजट भी निकाला गया है, जिससे इसे नियंत्रित किया जा सके, गांवपालिका ने जेसीबी, ट्रैक्टर, टिपर ख़रीद किया है, जिससे ऐसी आपदा से गा.पा. ख़ुद निपट सके।

* ठोरी.पा.में पर्सा राष्ट्रीय निकुंज भी पड़ता है, जिससे हाथी या अन्य जानवर झुंड में निकलकर आ जाते है, कई लोगो की जाने भी गई है, किसानों के घर और फ़सलों को भारी नुकसान होता है, इससे बचने के लिए क्या प्रभावकारी क़दम उठाए गए है ?

इसके लिए हमलोग बिधुतीय तार-काटी से घेराबंदी कर जानवरों को जंगल में रोकथाम का काम कर रहे है, वार्ड नं.४ और ५ में ये कार्य हो चुका है, अन्य जगहों में भी साधारण तार-काटी और बिधुतीय तार-काटी लगाने का काम हो रहा है।

* चुनाव के बाद नए जन-प्रतिनिधियों के आने पर जनता कैसा महसूस कर रही है ?

नए जन-प्रतिनिधियों के आने पर काम करने में तेजी आई है, जनता के सुझाव अनुसार काम हो रहा है, जनता को जवाबदेह और ज़िम्मेदारी जन-प्रतिनिधि मिले है, निस्संदेह इससे जनता हर्षित है और हमें उम्मीद की नज़रों से देखती है, हमलोग उनकी उम्मीदों पर खड़ा उतरने की पूरी कोशिश कर रहे है।

* आपने महिलाओं के लिए क्या विशेष काम किया ?

हमने महिला बजट का सही और पारदर्शी तरीक़े से संचालन किया। साथ ही दलित, जनजाति, पिछड़ा का कोष खड़ा करके तालीम देने का कार्यक्रम चलाया, जिससे उन्हें ईलम हासिल हो जिससे भविष्य मे वे अपने पैरों पर खड़ा हो सके।

* न्याय-समिति द्वारा कितने मुद्दों का समाधान हुआ ?
न्यायसमिति में ७० मुद्दा दर्ता हुआ, जिसमे ८ मुद्दा मिलापत्र हुआ, बाकी पक्ष-बिपक्ष से बात करके समस्या समाधन का प्रयास जारी है। उसमें भी महिला हिंसा, घरेलू हिंसा संबंधी मुद्दा को प्राथमिकता में रखा गया है। न्यायसमिति के कार्य संपादन में अभी बहुत असमंजस है, निर्णय का कार्यान्वयन तरीका स्पष्ट नहीं है, इसमें स्थानीय लोग, जनप्रतिनिधि, बिभिन्न राजनीतिक दल और प्रशासन का सहयोग मिलेगा, तभी सफलता मिलेगी।

* ठोरी में पर्यटन की प्रचुर संभावना है, नए साल या अन्य उत्सव में भारत से लाखों लोग आते है, इसे मद्देनज़र रखते हुए, ठोड़ी को पर्यटकीय स्थल बनाने की कोई योजना है ?

योजना है, और यहाँ पर्यटकीय संभावना भी है, लेकिन दुर्भाग्य है कि ठोड़ी को पर्यटकीय क्षेत्र नही दुर्गम क्षेत्र ही रखा गया,  ठोड़ी के विकास के तरफ किसी ने ध्यान नही दिया। हमें भौतिक पूर्वाधार निर्माण और पर्यटकीय निर्माण दोनों पर एक साथ काम करना पड़ रहा है, फिर भी वार्ड १ और २ को पर्यटकीय स्थल के रूप में विकसित करने की योजना में पिकनिक स्पॉट का निर्माण, पुरातन मंदिरों, गुल्मों का जीर्णोद्धार, नदी-नाला का पर्यटकीय हिसाब से तटबंध के निर्माण की योजना है।

* ठोरी के लोगों का सारा काम व्यवहार पर्सा और प्रदेश नंबर २ से जुड़ा है, यहाँ के लोगों से साथ-समन्वय और भाईचारा एक मिसाल है, फिर भी ठोड़ी को प्रदेश नंबर ३ में  मिलाने की मांग क्यो उठती है ?

ये तो यहाँ के जनता की इच्छा है, यहाँ पहाड़ी मूल के लोग रहते है, जो अपने भेष-भूषा और भाषा से जुड़े लोगों के साथ रहना चाहते है, उनके बहुतेरे संबंध प्रदेश नंबर ३ में पड़ते है, इसलिए ऐसी माँगे आती है, उन-लोगों के प्रतिनिधि होने के कारण उनकी मांगों को संबंधित निकाय में पहुँचाना हमारा काम है।



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