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नेपाल–चीन ऐतिहासिक सहमति, क्या है सहमतिपत्र में ?

काठमांडू, ७ सितम्बर । नेपाल और पड़ोसी राष्ट्र चीन के बीच व्यापार तथा पारवहन के क्षेत्र में एक ऐतिहासिक सम्झौता हो गई है । ढाई साल पहले दो देशों के बीच सम्पन्न सम्झौता के अनुसार बिहीबार रात में नेपाल और चीन सरकार के अधिकारियों के बीच यह सहमति हुई है । सम्झौता के अनुसार अब नेपाल चीन में स्थित कोई भी बन्दरगाह प्रयोग कर व्यापार कर सकता है । जानकार लोगों का कहना है कि इस सम्झौता के बाद व्यापारिक बन्दरगाह प्रयोग के संबंध में भारतीय एकाधिकार अन्त हो गया है ।
बन्दरगाह उपयोग संम्झौता प्रोटोकल (कार्यविधि) में हस्ताक्षर होने के बाद अब नेपाल अपने अनुकुलता के अनुसार चीन में स्थित कोई भी बन्दरगाह उपयोग कर सकता है । विशेषतः तीसरे मुल्क से नेपाल आयात होनेवाला वस्तु आयात करते वक्त तथा निर्यात करते वक्त चीन में स्थित त्यान्जिन, सेन्जेन, लियान्योन्गङ, झ्यान्यिङ जैसे खुला सामुन्द्रिक और ल्यान्झाउ, ल्हासा, सिगात्से जैसे सुख्खा बन्दरगाह प्रयोग किया जा सकता है । उद्योग, वाणिज्य तथा आपूर्ति मन्त्रालय द्वारा जारी विज्ञप्ति के अनुसार उल्लेखित बन्दरगाह से नेपाल आनेवाले कोई भी उपयुक्र्त मार्ग, भन्सार संबंधी प्रक्रिया, यातायात की माध्यम, ढुवानी प्रक्रिया, पारवहन के साथ संबंधी अन्य विषयों में भी महत्वपूर्ण सहमति की गई ।
नेपाल की ओर से वाणिज्य मन्त्रालय के सहसचिव रविशंकर सैंजू और चीन की ओर से यातायात सेवा विभाग के महानिर्देशक वाङ सुपिङ ने सम्झौतापत्र को गत बुधबार ही अन्तिम स्वरुप प्रदान किया था । पारवहन सम्झौता (प्रोटोकल) में हस्ताक्षर होने के बाद अब नेपाल चीन होते हुए अपनी सामान कोई भी तीसरे देशों में भेज सकता है । स्मरणीय है, आज तक इस तरह के व्यापार के लिए नेपाल, भारत स्थित दो सामुन्द्रिक बन्दरगाह प्रयोग कर रहा था ।

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