Thu. Mar 20th, 2025

राजपा ने काला दिवस मनाकर मधेशवाद और मधेशी का दामन नहीं छोड़ा : चन्दन दुबे

चन्दन दुबे, जनकपुरधाम, असोज ३, १९ सितम्बर, २०१८ | तमाम आशंकाओं और बेबुनियाद अटकलों को असत्य तथा अर्थहीन साबित करते हुए राष्ट्रीय जनता पार्टी नेपाल ने राम मनोहर यादव के मृत्यु प्रकरण पर संघीय संसद में जवाब मांगकर और काला दिवस मनाकर पुनः यह साबित कर दिया है कि राजपा ने मधेश का दामन नहीं छोड़ा है। राजपा ने पुनः मधेश के भावनाओं का कद्र किया है और मधेश के मुद्दों पर स्पष्ट रूप से प्रस्तुत हुई है। फोरम के साथ प्रदेश न.२ में गठबन्धन की सरकार चला रही राजपा ने फोरम के संविधान दिवस मनाने के घोषणा के बिल्कुल विपरीत मधेश का मुद्दा और मधेशी भावनाओं का साथ नहीं छोड़ा है। गौरतलब है कि इस काला दिवस मनाने नही मनाने के विषय पर राजपा और फोरम के बीच दूरी बढ़ भी सकती है और प्रदेश न.२ के सत्ता समीकरण पर भी इसका असर पड़ सकता है।लेकिन राजपा ने इस तमाम परिस्थितियों के बावजूद भी संविधान संसोधन,शहीदों और घायलों के प्रति उचित न्याय,रेशम चौधरी के शपथ ग्रहण और राजनीतिक मामलों में गिरफ्तार लोगों की शीघ्र रिहाई सहित के विषयों में अपना रुख स्प्ष्ट रखा है।पार्टी ने अपने इस मजबूत कदम से सत्ता लोलुप्त होने के निराधार आरोपों को भी पूरी तरह से खारिज कर दिया है। राजपा के अध्यक्ष मण्डल के सदस्य राजेन्द्र महतो ने स्पष्ट कहा है कि जब तक संविधान संसोधन नही होगा तब तक संविधान दिवस के दिन काला दिवस मनाते रहेंगे।
हालांकि उधर उपेन्द्र यादव ने कहा है कि उसी संविधान के तहत निर्वाचन में भाग लेने वालों के द्वारा अश्विन ३ गत्ते को काला दिन मनाना हास्यास्पद है।लेकिन इसी संविधान के तहत दो चरण के चुनाव में भाग लेने के बावजूद भी पिछले वर्ष अश्विन ३ गत्ते को फोरम कार्यकर्ताओं को काला दिन मनाते देखा गया था। जहाँ एक तरफ मधेशियों द्वारा फोरम पर सत्ता लोलुप्त तथा अवसरवादी होने का आरोप लगातार लगाया जा रहा है,वहीं अश्विन ३गत्ते काला दिवस मनाने हेतु महोत्तरी के जिल्ला समन्वय समिति के सभा हॉल में राजपा नेपाल महोत्तरी द्वारा आयोजित पार्टी के विस्तारित बैठक को सम्बोधित करते हुए वरिष्ठ नेता एवं प्रदेश सरकार के वन,पर्यटन मंत्री रामनरेश राय ने मंत्री पद अथवा सरकार मधेश और मधेशवाद से बड़ा नहीं हो सकता बताया है।उन्होंने आगे कहा कि राजपा ने केन्द्र सरकार को सिर्फ संविधान संसोधन के लिए दो तिहाई की आवश्यक गणपुरक संख्या हेतु समर्थन दे रखा है और संविधान के संसोधन के बगैर राजपा किसी भी कीमत पर संघीय सरकार में नहीं जाएगी। लोकतांत्रिक मान्यताओं को मानने वाले मधेशी बुद्धिजीवियों का भी कहना है कि फोरम ने बार बार विश्वासघात किया है लेकिन बावजूद इसके लड़खड़ाती पैरों से ही सही राजपा ने अभी तक मधेश और मधेशवाद कि राह पे चलना नही छोड़ा है।

About Author

आप हमें फ़ेसबुक, ट्विटर और यूट्यूब पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

WP2Social Auto Publish Powered By : XYZScripts.com