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मधेशी जनता केन्द्र सरकार के साथ लड़ने के लिए तैयार हैंः वृषेशचन्द्र लाल

काठमांडू, २५ अक्टूबर । राष्ट्रीय जनता पार्टी (राजपा) के उपाध्यक्ष वृशेषचन्द्र लाल ने कहा है कि मधेशी जनता केन्द्र सरकार के साथ लड़ने के लिए तैयार हैं । नेपाल कम्युनिष्ट पार्टी के अध्यक्ष पुष्पकमल दाहाल प्रचण्ड द्वारा सार्वजनिक अभिव्यक्ति को प्रतिबाद करते हुए बिहीबार काठमांडू में आयोजित एक साक्षात्कार कार्यक्रम में उन्होंने कहा– ‘संघीय सरकार संविधान बमोजिम काम करने के लिए तैयार है या नहीं ? अगर संघीय संरचना तोड़ने के लिए काम किया जाता है तो उसके विरुद्ध मुकाबला करने के लिए मधेशी जनता तैयार हैं ।’ स्मरणीय है कुछ दिन पहले जनकपुर पहुँच कर नेकपा के अध्यक्ष प्रचण्ड ने पुलिस विधान संबंधी प्रसंग में चर्चा करते हुए प्रदेश नं. २ को कहा था कि प्रदेश सरकार केन्द्र सरकार को ‘ओभरटेक’ न करें ।
प्रचण्ड द्वारा सार्वजनिक इसी कथन को प्रतिबाद करते हुए उपाध्यक्ष लाल ने कहा है कि प्रचण्ड की इस तरह की धमकी से मधेशी जनता डरनेवाले नहीं हैं । उन्होंने आगे कहा– ‘प्रचण्ड द्वारा सार्वजनिक अभिव्यक्ति को हम लागों ने गम्भीर रुप में लिया है । उनकी कथन हमारे लिए सलाह और सुझाव नहीं, धमकी है ।’ नेता लाल को मानना है कि इस तरह का धमकी प्रचण्ड की रणनीतिक चाल है । उन्होंने आगे कहा– ‘प्रचण्ड खूद सत्ता में जाना चाहते हैं, संघ और प्रदेश के बीच द्वन्द्व सिर्जना करने की रणनीति के अनुसार वह ऐसी अभिव्यक्ति दे रहे हैं । उनकी चाहत है कि वर्तमान सरकार बदनाम हो जाए और मेरी बारी आ जाए ।’
उपाध्यक्ष लाल को कहना है कि अगर देश में राजनीतिक अराजकता हाबी होगी तो उसकी सम्पूर्ण भागीदारी केन्द्र सरकार को ही लेना पड़ेगा । नेता लाल ने प्रधानमन्त्री केपीशर्मा ओली से मांग किया है कि जितनी जल्दी हो सके अन्तर प्रदेश परिषद् की बैठक होनी चाहिए ।



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1 thought on “मधेशी जनता केन्द्र सरकार के साथ लड़ने के लिए तैयार हैंः वृषेशचन्द्र लाल

  1. यदि केन्द्र सरकारले अभिभावकको भुमिका निर्बाह गर्न चाहन्छ भने, जुन उसको एउट दायित्व पनि हो, प्रदेश सरकार सन्चालनको लागी आवश्यक पर्ने र केन्द्र सरकारको दायित्व भित्र पर्ने कानुनी ब्यबस्था यथोचित समयमै गरिदिनुपर्छ । कुनै यस्तो अवस्था पनि शृजना हुनदिनु हुन्दैन जसबाट प्रदेश सरकारलाइ काम गर्न असजिलो होस । केन्द्र यस कुरा प्रती सदैब सचेत र सजग हुनै पर्छ। केन्द्रले त सहजकर्ताको भुमिका पनि निर्बाह गर्नुपर्ने हो। यदि उपयुुक्त समयमा केन्द्रले चाल्नुपर्ने कदम समयमै नचाल्नुको अर्थ अनेक निकाल्न सकिन्छ। नेपालमा संघीयता नयाँ भएकोले आवश्यक कानुनको निर्माण समयमा हुनसकेन भने यस ब्यब्स्था माथी नै प्रश्न उठ्नु अस्वभाविक पनि होइन फलस्वरूप यो पनि प्रश्न उठ्छ कि केन्द्रको नियत संघीयतालाइ असफल पार्ने त होइन। यस कुरालाई द्वीधारी बनाएर देशले मात्र ठुलो नोक्सानी बेहोर्नु पर्नेहुन्छ।

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