Sat. Nov 2nd, 2024

दुआओ में जिन्हें मांगा था ताउम्र भर के लिए , वो दुआ अनसुनी रह गई । बात अनकही … …. ….. …!

‘ पूजा बहार ‘



‘ बात अनकही रह गई ‘ ‘

बात अनकही रह गई ,

अरमां दिल के

दिल में ही धरी रह गई ,

दुआओ में जिन्हें मांगा था

ताउम्र भर के लिए ,

वो दुआ अनसुनी रह गई ।

बात अनकही … …. ….. …!

समझ नहीं आता

बांका था फिदाई हमारा,

या हमसे ही उनके सजदे में

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कोई कमी रह गई ।

ग़म इस बात का नहीं

कि वो मिला नहीं ,

ग़म इस बात का है

कि हमारी चाहत

उनकी खिड़कीयों पर

टंगी की टंगी रह गई ।

बात अनकही रह गई … ….. ….!

दर्द नें इतना भरा हमारा दामन कि ,

कलेजा लहु से सनी रह गई !

बात अनकही रह गई ,

अरमां दिल के दिल में धरी रह गई ॥ ‘ पूजा बहार ‘



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