दुआओ में जिन्हें मांगा था ताउम्र भर के लिए , वो दुआ अनसुनी रह गई । बात अनकही … …. ….. …!
‘ पूजा बहार ‘
बात अनकही रह गई ,
अरमां दिल के
दिल में ही धरी रह गई ,
दुआओ में जिन्हें मांगा था
ताउम्र भर के लिए ,
वो दुआ अनसुनी रह गई ।
बात अनकही … …. ….. …!
समझ नहीं आता
बांका था फिदाई हमारा,
या हमसे ही उनके सजदे में
कोई कमी रह गई ।
ग़म इस बात का नहीं
कि वो मिला नहीं ,
ग़म इस बात का है
कि हमारी चाहत
उनकी खिड़कीयों पर
टंगी की टंगी रह गई ।
बात अनकही रह गई … ….. ….!
दर्द नें इतना भरा हमारा दामन कि ,
कलेजा लहु से सनी रह गई !
बात अनकही रह गई ,
अरमां दिल के दिल में धरी रह गई ॥ ‘ पूजा बहार ‘