होली का शुभ मुहूर्त और मनाने के पीछे का महत्वपूर्ण कारण : आचार्य राधाकान्त शास्त्री ।
महत्वपूर्ण कारण है
अभी- अभी महाशिवरात्रि का पर्व संपन्न हुआ है और अब होली की तैयारियां शुरू हो चुकी है। यह होली का त्योहार बुराई पर अच्छाई की जीत , अधर्म पर धर्म की विजय, असत्य और अहंकार पर सत्य एवं भाईचारे के समर्पण का त्योहार है। साथ ही यह होली सभी रंगों से रंगीन होने का, प्रसन्नता में सराबोर होने और मौज-मस्ती से सबके जीवन मे खुशियां बाँटने सारे बैर मिटा कर आपसी भाईचारा मनाने का त्योहार है। इस बार यह पर्व 21 मार्च गुरुवार को मनाया जाएगा। फाल्गुन मास के पूर्णिमा में यानी कि होली के एक दिन पहले होलिका दहन किया जाता है और अगले दिन चैत्र कृष्ण प्रतिपदा को आपसी समानन्द के रंगों से होली खेली जाती है।
होलिका दहन का शुभ मुहूर्त :-
होली के एक दिन पहले रात्रि में होलिका दहन किया जाता है। इस बार होलिका दहन 20 मार्च बुधवार को है , जिसका शुभ मुहूर्त रात्रि 8 बजकर 12 मिनट से लेकर 10 बजकर 55 मिनट तक रहेगा ।
जानें क्यों मनाते है होली :- हिरण्यकश्यप नाम का एक राक्षस था जिसका प्रह्राद नाम का एक पुत्र था। प्रह्राद भगवान विष्णु का बड़ा भक्त था लेकिन हिरण्यकश्यप भगवान विष्णु का घोर विरोधी था। वह नहीं चाहता था कोई उसके राज्य में भगवान विष्णु की पूजा करें। वह अपने पुत्र को मारने का कई बार प्रयास कर चुका था लेकिन बार-बार असफल हो जाता था। तब हिरण्यकश्यप ने भक्त प्रह्राद को मारने के लिए लिए अपनी बहन होलिका को भेजा।
होलिका को एक वरदान मिला था कि वह आग से नहीं जलेगी। तब हिरण्यकश्यप के कहने पर होलिका ने प्रह्राद को गोद में बैठाकर आग में कूद गई। लेकिन प्रह्राद ने लगातार भगवान विष्णु के जप के चलते प्रह्राद को कुछ नहीं हुआ और होलिका खुद आग में जल गई। तभी से होलिका दहन मनाने की परंपरा शुरू हो गई। फिर अगले दिन असत्य पर सत्य की विजय , अधर्म ओर धर्म की विजय के उपलक्ष्य में आनन्दित प्रसन्नता का उपहार के रूप में रंगो से होली खेली जाती है। आइये सबके जीवन मे खुशियां , सद्भाव, सदाचारिता का संकल्प लेकर होली रंगोत्सव की तैयारी में लग कर सबके प्रसन्न जीवन के शुभकामना में मधुर जीवन प्रारम्भ करें,
आप के मंगलमय मधुर जीवन की हार्दिक शुभकामना, होलिका दहन के साथ ही आपकी सभी रोग, शोक, सन्ताप, शारीरिक, मानसिक, आध्यात्मिक, पाप व्याधियां जलकर भष्म हो जाये , एवं आप सबको आनन्दित जीवन प्राप्त हो,