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मोदी जी के कार्यकाल में नेपाल-भारत सम्बन्ध नई उचाई पर -अशोक बैध

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का पांच साल का कार्यकाल पूरा हुआ। भारत में अगले लोकसभा का चुनाव हो रहा है। नेपाल के लिए मोदी सरकार का कार्यकाल कैसा रहा और आगे कैसी संभावनाएं है, इन्ही बिषयो पर नेपाल-भारत सहयोग मंच के केंद्रीय अध्यक्ष श्री अशोक कुमार वैध से हिमालिनी संवाददाता मुरली मनोहर तिवारी (सीपू ) से अन्तर्वार्ता के अंश। भारत के



आप नेपाल-भारत सहयोग मंच के केंद्रीय अध्यक्ष होने के कारण, पिछले पांच साल के नेपाल-भारत रिश्ते को किस तरह आंकते है ?

पिछले पांच साल में नेपाल-भारत के रिश्ते में कुछ उतर-चढ़ाव के वावजूद दोनों देश के सम्बन्ध अपने बुलंदी पर है। 17 साल बाद भारत के प्रधानमंत्री, विदेश मंत्री ,केंद्रीय मंत्री, मुख्यमंत्री का नेपाल आना नेपाल- भारत के मजबूत सम्बन्ध को सिद्ध करता है। नेपाल किस तरह भारत की मौजूदा सरकार की प्राथमिकताओं में रहा, इसका अंदाजा इस बात से ही लगाया जा सकता है कि भारत के पीएम नरेंद्र मोदी के शपथ ग्रहण समारोह में नेपाल को आमंत्रित किया गया था। नेपाल-भारत रिश्तो की अहमियत इस वजह से भी ज्यादा है कि पीएम मोदी के सत्ता में आने के बाद ‘पहले पड़ोस की नीति’ के मद्देनजर नेपाल उनके शुरुआती विदेशी दौरों में से एक था। जबकि इससे पहले आखिरी बार 1997 में नेपाल के साथ भारत की कोई द्विपक्षीय वार्ता हुई थी। हालाँकि, 2002 में तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने नेपाल की यात्रा की थी,लेकिन वह यात्रा द्विपक्षीय नहीं थी बल्कि सार्क देशों का शिखर सम्मेलन था। नेपाल के भूकंप में राहत का अद्भुत उदाहरण है, जब 27 अप्रैल, 2015 को नेपाल की धरती में हलचल हुई और आठ हजार से ज्यादा जानें एक साथ काल के गाल में समा गईं। जान के साथ अरबों रुपये की संपत्ति का नुकसान हुआ सो अलग। हलचल नेपाल में हुई लेकिन दर्द भारत को हुआ। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इमरजेंसी मीटिंग बुलाई और नेपाल के लिए भारत की मदद के द्वार खोल दिए। नेपाल में जिस तेजी से मदद पहुंचाई गई वो अद्भुत था। भारतीय आपदा प्रबंधन की टीम ने हजारों जानें बचाईं। सबसे खास रक्षा मंत्रालय, विदेश मंत्रालय और प्रधानमंत्री कार्यालय का नेपाल सरकार से बेहतरीन समन्वय रहा। मानवीय सहायता और आपदा राहत में भारत ने नेपाल में भूकंप पुनर्निमाण परियोजनाओं के लिए राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (NDRF) टीम एवं बचाव-राहत सामग्री भेजी तथा 750 मिलियन अमरीकी डॉलर के नए लाइन ऑफ़ क्रेडिट समझौते पर हस्ताक्षर किए। प्रधानमंत्री मोदी की इस पहल की पूरे विश्व ने सराहना की।

नेपाल, भारत के लिये महत्त्वपूर्ण क्यों है ?

नेपाल और भारत मित्रता एवं सहयोग के अद्वितीय सम्बन्ध को साझा करते हैं, दोनों देशों के लोगों की परस्पर प्रगाढ़ नातेदारी एवं सांस्कृतिक संबंधों से साफ़-साफ़ दिखाई देता है। 1950 की भारत-नेपाल शान्ति और मैत्री संधि के प्रावधानों के अंतर्गत नेपाली नागरिक भारतीय नागरिकों के समान सुविधाओं तथा अवसरों का लाभ उठा सकते हैं। नेपाली नागरिकों को बिना वर्क परमिट के भारत में कार्य करने, सरकारी नौकरियों तथा सिविल सेवाओं (IFS, IAS तथा IPS को छोड़कर) के लिए आवेदन की अनुमति प्रदान करती है। बैंक खाता खोलने एवं अचल सम्पत्ति खरीदने की अनुमति प्रदान करती है।  विदेश मंत्रालय (MEA) के आँकड़ों के अनुसार, लगभग 6 मिलियन नेपाली नागरिक भारत में निवास तथा कार्य करते हैं। खुद भारत के प्रधानमंत्री ने कहा था कि भगवान पशुपतिनाथ का ये प्रार्थना स्थल, आस्था के अनेक केंद्रों से जुड़ा हुआ है, भारत और नेपाल के बीच शिव भक्ति ने एक सेतु बनाया है जो वर्षों पुराना है। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा था कि भारत और नेपाल के बीच शिव भक्ति और शिव भक्तों का संबंध बेहद मजबूत है। हम सभी जानते हैं कि नेपाल-भारत रिश्ते सदियों पुराने हैं। दोनों देशों में भौगोलिक, सांस्कृतिक, आर्थिक और आध्यात्मिक कारणों से जुड़ाव है। नेपाल का दक्षिण क्षेत्र भारत की उत्तरी सीमा से सटा है। भारत और नेपाल के बीच रोटी-बेटी का रिश्ता माना जाता है। बिहार और पूर्वी-उत्तर प्रदेश के साथ नेपाल के मधेसी समुदाय का सांस्कृतिक एवं नृजातीय संबंध रहा है। दोनों देशों की सीमाओं से यातायात पर कभी कोई विशेष प्रतिबंध नहीं रहा। सामाजिक और आर्थिक विनिमय बिना किसी गतिरोध के चलता रहता है। भारत-नेपाल की 1700 कि.मी. की सीमा खुली हुई है और आवागमन के लिये किसी पासपोर्ट या वीजा की जरूरत नहीं पड़ती है। देनों देशों के बीच प्रति सप्‍ताह 60 उड़ानें होती हैं। नेपाल जाने वाले सभी पर्यटकों में बीस प्रतिशत भारतीय होते हैं, और नेपाल से जाने वाले पर्यटकों में से लगभग 40 प्रतिशत भारत होते हुए जाते हैं। वर्ष 1996 के बाद नेपाल से भारत को किए जाने वाले निर्यात में ग्यारह गुना वृद्धि हुई है तथा द्विपक्षीय व्यापार बढ़ कर सात गुना अधिक हो गया है। यह उदाहरण कई मायनों में भारत-नेपाल की नजदीकी और महत्व को दर्शाता है।

भारतीय प्रधानमंत्री के कार्यकाल में नेपाल के लिए क्या उपलब्धि रहा ?

भारतीय प्रधानमंत्री के कार्यकाल में हरेक क्षेत्र में सहयोग मिला और उपलब्धिमूलक रहा जैसे-
धार्मिक क्षेत्र में-
भारतीय प्रधानमंत्री चार बार नेपाल आए। भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने काठमांडू में पशुपतिनाथ धर्मशाला का उद्घाटन किया। मुक्तिनाथ मंदिर जीर्णोद्धार तथा विकास में सहयोग हो रहा है। रामायण सर्किट, बुद्ध सर्किट और जैन सर्किट बनाने पर सहमति हो गई। नेपाल के धार्मिक तथा सांस्कृतिक पर्यटन प्रवर्धन के लिए जनकपुर में मिथिला संग्रहालय स्थापना करने में भारतीय पक्ष से सहयोग होगा । संस्कृति क्षेत्र में भारत सरकार लोगों से लोगों के संपर्क को प्रोत्साहित कर रही है तथा सांस्कृतिक कार्यक्रमों, सम्मेलनों एवं सेमिनारों का आयोजन कर रही है। भारत और नेपाल काठमांडू-वाराणसी, लुम्बिनी-बोधगया तथा जनकपुर-अयोध्या के युग्म बनाने के लिए थ्री सिस्टर-सिटी समझौतों पर हस्ताक्षर भी कर चुके हैं।

परिवहन और  पर्यटन क्षेत्र में –
भारत के पीएम और नेपाल के पीएम ओली ने जनकपुर से अयोध्या की बस सर्विस का उद्घाटन किया। मौजूदा समय में नेपाल और भारत के बीच दिल्ली से काठमांडू के साथ पोखरा और महेंद्रनगर के लिए बस चलाई जा रही है। साथ ही वाराणसी से काठमांडू के लिए भी बस सेवा का संचालन किया गया है। मोतिहारी से नेपाल के अमेलखगंज तक दोनों देशों के बीच आयल पाइपलाइन बिछाने का काम पूरा होने वाला है। भारत के पूर्वी चंपारण जिले के रक्सौल से नेपाल की राजधानी काठमांडू के बीच रेलवे लाइन बिछाने के लिए भारत और नेपाल के बिच समझौते (एमओयू) के प्रस्ताव पर हस्ताक्षर भी हो गए है। भारत-नेपाल के बीच न्यू जलपाईगुड़ी-काकभिट्‌टा, नौतनवा-भैरहवा और नेपालगंज रोड से नेपालगंज के बीच तीन रेलवे लाइनों का प्रोजेक्ट पर भी काम हो रहा है। नेपाल सरकार के साथ कृषि, रेलवे संबंध और अंतर्देशीय जलमार्ग विकास सहित कई द्विपक्षीय समझौतों पर सहमति बनी है।  सीमा अवसरंचना के विकास में तराई क्षेत्र में सड़कों के स्तर उन्नति के लिए हुलाकी सड़क का निर्माण कार्य प्रगति पर है, यह हुलाकी सड़क परियोजना 67 साल से लंबित रहा,जो अब बन रहा है। चार एकीकृत चेक पोस्ट्स की स्थापना हो गई। वस्तुओं और लोगों के नेपाल से अन्य देशों में परिवहन हेतु नेपाली स्टीमरों के परिचालन के लिए समझौता हुआ। इस समझौते द्वारा माल की लागत प्रभावी और कुशल आवाजाही के सक्षम होने तथा नेपाल के व्यवसाय और अर्थव्यवस्था की वृद्धि में अत्यधिक योगदान दिए जाने की संभावना है। व्यापार और पारगमन (transit) समझौतों की रूपरेखा के अंतर्गत माल की आवाजाही हेतु अंतर्देशीय जलमार्गों का विकास तथा इसके माध्यम से नेपाल को समुद्र तक अतिरिक्त पहुँच उपलब्ध कराने पर कार्य हो रहा है। नेपाल के मांग अनुरूप भारतीय हिमाल आरोहण करने वाले को नेपाली नागरिक की तरह सहजरूप में आरोहण प्रमाणपत्र उपलब्ध कराया जाएगा । नेपाल में पर्यटन विश्वविद्यालय स्थापना करने में दोनों देश शैक्षिक कार्यक्रम एवं विद्यार्थी के लिए प्रयोगात्मक कक्षा के लिए आपसी सहयोग आदानप्रदान करेंगे । दो देश बीच पर्यटन के सम्भाव्यता, प्रवर्धन और बजारीकरण में सहकार्य के विभिन्न कार्य बढ़ाने में दोनों देश के निजी क्षेत्र के सहभागिता में इन्डो नेपाल टुरिजम फोरम गठन किया जा रहा है ।

लोडशेडिंग,बिधुत और जलबिधुत के क्षेत्र में-
भारत के सहयोग से नेपाल में बिधुत के लोडशेडिंग की बहुत बड़ी समस्या का समाधान हुआ, जिसके कारण हरेक नेपाली खुश है।  बिजली “इलेक्ट्रिक पॉवर ट्रेड, क्रॉस बॉर्डर ट्रांसमिशन इंटर-कनेक्शन एंड ग्रिड कनेक्टिविटी” के सम्बन्ध में एक समझौते पर 2014 में हस्ताक्षर किये गये थे। इस समझौते का उद्देश्य भारत और नेपाल के मध्य सीमा पार बिजली व्यापार को सुविधाजनक तथा अधिक सुदृढ़ बनाना था। भारतीय प्रधानमंत्री इसके बाद वीडियो कान्फ्रेंसिंग के जरिए पूर्वी नेपाल के संखुवासभा जिले में स्थित अरुण तृतीय पनबिजली संयंत्र का शिलान्यास किया। यह संयंत्र भारत के सतलज जल विद्युत निगम के अंतर्गत आता है.900 मेगावाट की परियोजना के अगले पांच साल में पूरा होने की उम्मीद है। इस परियोजना पर भारत ने 1.5 अरब डॉलर का निवेश किया है।  द्विपक्षीय बिजली व्यापार समझौते के तहत बिजली क्षेत्र में द्विपक्षीय सहयोग को मजबूत बनाने पर भी सहमति बनी है,जिसका लाभ नेपाल को मिलेगा।

व्यापार और  निवेश के सम्बन्ध में-
मोदी जी के कार्यकाल में विशाखापट्नम पोर्ट से नेपाल के कार्गो को जोड़ा गया। कोलकता और हल्दिया में क्लियरिंग के झंझट मुक्ति मिली और भारत-नेपाल सिमा पर ही इसकी प्रक्रिया पूरी करने की व्यवस्था हो रही है। भारतीय होटल कंपनी ओयो नें हाल ही में घोषणा किया कि वह नेपाल में निवेश करेगी। इसके लिए ओयो नें 200 मिलियन डॉलर एयरबीएनबी कंपनी से उठाये हैं। भारतीय रिज़र्व बैंक सहित तीन बैंकों ने नेपाल के विशालकाय हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट के लिए 7800 करोड़ का कर्ज देने का वादा किया है। यह ऐलान नेपाल में आयोजित दो दिवसीय सम्मेलन के दौरान किया गया है। 900 मेगावाट के अरुण III हाइड्रोइलेक्ट्रिक प्रोजेक्ट को भारतीय कंपनी एसजेवीएन ने अपने अधिकार में ले लिया है। ANI के मुताबिक एसबीआई ने 6560 करोड़ रूपए, एवेरेस्ट बैंक ने 812.61 करोड़ और नबील बैंक ने 487.58 करोड़ कर्ज देने की प्रतिबद्धता दिखाई है। इस प्रोजेक्ट की नींव संयुक्त रूप से प्रधानम्नत्री मोदी और समकक्षी प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने बीते वर्ष मई में रखी थी। इस प्रोजेक्ट की अनुमानित लागत 1.04 अरब डॉलर है और यह पांच वर्षों की समयसीमा में पूर्ण होगा। यह प्रोजेक्ट प्रतिवर्ष 4018.87 मिलियन यूनिट्स बिजली का उत्पादन करेगा। यह भारत सरकार और हिमाचल प्रदेश सरकार का संयुक्त कार्य है। यह 21.9 फीसद बिजली नेपालन को मुफ्त में मुहैया करेगा। आंकड़ों के अनुसार यह प्रोजेक्ट नेपाल और भारत में 3000 नौकरियों का सृजन करेगा। भारत जनकपुर और आसपास के क्षेत्रों के विकास के लिए नेपाल को 100 करोड़ रुपये देगा।

अन्य क्षेत्र में-

शिक्षा में भारत सरकार नेपाली नागरिकों को अब प्रत्येक वर्ष लगभग 3000 छात्रवृतियाँ उपलब्ध करा रही  है जो की पहले के तुलना में दोगुना है। भारत ने उपकरणों, प्रशिक्षण एवं आपदा प्रबंधन क्षेत्र में सहयोग प्रदान कर नेपाली सेना (NA) के आधुनिकीकरण में मदद की है. इसके अतिरिक्त भारतीय सेना ने गोरखा सिपाहियों को बड़े पैमाने पर भर्ती की है तथा दोनों सेनाएँ एक-दूसरे के सेना प्रमुखों को जनरल की मानद रैंक प्रदान कर रही हैं। नेपाल में जैविक कृषि और मृदा स्वास्थ्य निगरानी पर एक पायलट परियोजना संचालित किया जा रहा है।

रामायण सर्किट,जैन सर्किट,बुध सर्किट बनने का क्या हुआ और यह कितना मत्वपूर्ण है  ?

नेपाल, जैन तीर्थंकर की भूमि रही है, भद्रबाबू स्वामी ने काठमांडू में साधना की थी । जनकपुर में दो तीर्थंकर की स्थली है,मल्लिनाथ और नेमिनाथ की। पारसनाथ, जैन के २३वें तीर्थंकर थे, उनका पारसनाथ मंदिर, महुवन में है । पारसनाथ मंदिर लगभग १००० वर्ष पहले का है। उन्हीं के नाम पर पर्सा  जिला का नाम पर्सा हुआ । नेपाल में लगभग तीस हजार के करीब जैन धर्मालंबियों की उपस्थिति है । इन्ही कारण से भारतीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के जनकपुर भ्रमण के दौरान जैन सर्किट बनाने की घोषणा हुई थी, मोदी जी ने जो जैन सर्किट की बात कि उससे भारत–नेपाल में जैन धर्म स्थली को जोड़ने और संरक्षण का काम होगा । जैन सर्किट में 52 .39 करोड़ रूपये की लागत से वैशाली, आरा, पटना, राजगीर, पावापुरी और चंपापुरी मार्ग के किनारे विकास योजना तय किया गया है । बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने जैन तीर्थंकर के जन्मस्थली की सुरक्षा–व्यवस्था, सुविधाएं, जन्मस्थली तक जाने वाली सड़क, बिजली की उपलब्धता आदि की जानकारी ली । मुख्यमंत्री ने जैन धर्मावलंबियों द्वारा जन्मस्थली में बनाए जा रहे मंदिर के बारे में भी जानकारी प्राप्त की । साथ ही इसे अमलीजामा पहनाने की रूपरेखा पर कार्य हो रहा है, इससे देश के प्रमुख पर्यटन स्थलों का कायाकल्प होने वाला है । इसके लिए भारत सरकार की ओर से राशि भी जारी कर दी गई है । पर्यटन विभाग के प्रस्ताव पर भारत सरकार ने राज्य में धार्मिक सर्किट निर्माण के लिए 300 करोड़ रुपये की मंजूरी दे दी है । भारत का पहला जैन सर्किट बनारस में बनने का काम शुरू हो चूका है। पीपीपी मॉडल पर बनने वाले इस सर्किट पर करीब 500 करोड़ रुपये खर्च होंगे । प्रदेश सरकार ने पहले फेज में इसके लिए 25 करोड़ रूपये जारी कर दिए हैं ।  भारत और नेपाल ने संयुक्तरूप में बुद्ध सर्किट के लिए गठित संयुक्त कार्यदल के बैठक में पर्यटन प्रवर्धनसम्बन्धी 14 बुँदे सहमतिपत्र में हस्ताक्षर किया । सहमति अनुसार नेपाल सरकार के माँगअनुरूप भारतीय पक्ष ने भारत के सरकारी कर्मचारी उपलब्ध कराकर विशेष सुविधा में नेपाल के पर्यटकीय क्षेत्र के भ्रमण को भ्रमण प्याकेज में रखने का सहमति किया है । नेपाल आने वाले भारतीय सवारी साधन को प्राप्त सुविधा अनुसार ही भारत जाने वाले नेपाली सवारी साधन को भी सहज अनुमति प्राप्त होने के विषय में सहमति हुआ है । दो देश के बीच विभिन्न बॉर्डर जोड़ने वाले सड़क तथा पुल के निर्माण कार्य में शीघ्रता लाने की सहमति हुई । रामायण सर्किट के तौर पर रामायाण से जुड़ी जगहों के लिए बस सर्विस शुरू की गई, इससे दोनों देशों के टूरिजम को बढ़ावा मिलेगा।

आपके अनुसार नेपाल-भारत के रिश्ते बुलंदी पर है, फिर जो भारतीय नोट नेपाल में पड़े है उसे बदलने के लिए भारत तैयार क्यों नहीं है ?

ये सही है की, नेपाल राष्ट्र बैंक की तिजोरी में आज भी 500 और 1000 के करीब आठ करोड़ मूल्य के भारतीय नोट मौजूद हैं। आम लोगों के पास कितने नोट मौजूद हैं इस बारे में कोई आंकड़ा मौजूद नहीं है। प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने अप्रैल में भारत यात्रा से पहले कहा था कि वो भारतीय अधिकारियों से इस मुद्दे को सुलझाने को कहेंगे, लेकिन इस पर कोई निर्णय नहीं हुआ, मुझे लगता कई की इस मुद्दे को उठाने में देरी हुई, लेकिन ये कोई बड़ी बात नहीं है, इसे बातचीत से हल किया जा सकता है।

नेपाल-भारत सहयोग मंच के केंद्रीय अध्यक्ष होने के नाते, भारत में अगली सरकार कैसी बने और भविष्य में नेपाल-भारत के बिच किस प्रकार का सहयोग की उम्मीद रखते है ?

भारत के कोई भी सरकार बने उससे नेपाल को सीधे तौर पर कोई फर्क नहीं पड़ता, लेकिन मेरा ब्यक्तिगत मानना है की मोदी सरकार ने पिछले पांच सालो में में जितने प्रोजेक्ट पर काम बढ़ाए है, उसे पूरा करने में पुनः मोदीजी की सरकार बनने से ज्यादा सहयोग मिलेगा। जहां तक भविष्य में सहयोग के संभावना की बात है तो, नेपाल की 700 मेगावाट की स्थापित जलविद्युत् क्षमता 80,000 मेगावाट की संभावित क्षमता से काफी कम है। इसके अतिरिक्त गंगा का 60% जल नेपाल की नदियों से आता है और मानसून के महीनों में यह प्रवाह 80% तक हो जाता है। इसलिए उसके द्वारा सिंचाई और बिजली उत्पादन दोनों के लिए प्रभावी जल प्रबंधन को कम महत्त्व नहीं दिया जाना चाहिए। भारत को अपूर्ण परियोजनाओं, शेष आई सी पि  (ICP), पाँच रेलवे कनेक्शनों, तराई में पोस्टल रोड नेटवर्क (हुलाकी राजमार्ग ) तथा पेट्रोलियम पाइपलाइन पर प्रभावी रूप से आपूर्ति करने की आवश्यकता है। इससे कनेक्टिविटी में वृद्धि हो सकेगी और “समावेशी विकास और समृद्धि” यथार्थ में परिणत हो सकेंगे। नेपाल में चीन की परियोजनाओं के क्रियान्वयन की तुलना में, भारत द्वारा नेपाल में विभिन्न परियोजनाओं के क्रियानव्यन में अधिक विलम्ब के कारण भारत के प्रति नेपाल में अविश्वास का माहौल बनता है। लिहाजा, भारत को चाहिए कि वह रक्सौल-काठमांडू रेल लिंक परियोजना को तय समय में पूरा करने की तत्परता दिखाए।



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