जो काम लक्ष्मणजी ने शुपर्णखां का नाक काट कर किया था वही काम कलियुग में ईटहरी के मेयर ने किया
बिम्मी शर्मा,(व्यग्ंय) | नाक भी आखिर चर्चा में आ ही गई । यही एक अंग था इन्सान के शरीर का जो दिखाई देते हुए भी शांत था । पर अब यह नाक भी अशांत हो गया है । इस ने भी पूरे देश में खलबली मचा दी है । सवाल पत्रकारों के नाक की हो तो मीडिया में सनसनी छा जाती है । अपने उलजलुल हरकतों से पत्रकारों ने पहले से ही अपनी नाक कटवा रखी थी पर जब ईटहरी के मेयर चौधरी ने पत्रकार के नाक की डंडी तोड्ने और उसके लिए एक करोड रुपैंया भी वह देने को तैयार हैं । तब से पूरे देश में तरगं छाई हुई है । एब पत्रकार का नाक न हुआ यह पूरी मीडिया की नाक हो गई ।
जैसे कि हरेक घटना में लोग बटं जाते हैं और पक्ष और विपक्ष में तर्क करने लगते हैं । उसी तरह ईस घटना में भी पूरा देश बटं गया । अब कोई मेयर का पक्ष ले रहा है तो कोई पत्रकार का । पर जो भी हो ईस सब के केन्द्र में नाक है जो सब तरफ छा गया है । नाक एक छोटा सा शरीर का अंग जो सांस लेने और सूंघने के काम आता था । अब इज्जत भी इस के साथ जुड गई है । ईसी लिए देश की सभी समस्याओं को दरकिनार कर नाक सब से आगे है । वैसे भी नाक आगे ही थी और अब ज्यादा ही आगे आ गई है । नाक है कान नहीं । जिस देश के लोगों का नाक ही नहीं वही नाक बेचारा चर्चा का विषय बन गया है । सब अपने नाक पकड कर या छूपा कर बैठे हुए हैं कि कहीं कोई काट न दे । सिर की तरह अब नाक को भी हेलमेट जरुरी हो गया है । कहीं कोई तोड दें तो दूसरी नाक तो नहीं मिलेगी फिर से । नाक के साथ ईज्जत भी चली जाती है सो अलग । ईसी लिए सब हेलमेट कि तरह नाकलेट ढूंढ रहे हैं ताकि नाक सलामत रहे । बिना नाक का ईंसान सुंदर भी तो नहीं दिखता । ईसी लिए नाक को ले कर देश में राजनीतिा भी होने लगी है । अभी तक नाक हासिए पर था पर ईटहरी के मेयर ने ईसी नाक को लाईम लाईट में ला दिया । अब ईसी तरह देश के सभी नगरों के मेयरों के कारण ईंसान के शरीर का सभी अगं एक, एक कर के लाईम लाईट में आते जाएगें । अभी तक तो सभी ने धोखा दे कर दिल ही तोडा था पर अब पहली बार नाक भी तोडने कि धमकी दी गई हैं । ईटहरी के मेयर चाहते तो आंख फोड्ने या कान या दांत तोड्ने कि भी धमकी दे सकते थे । पर उन्होने नाक ही तोड्ने की धमकी दी है ईस का मतलब दाल में कुछ काला है या पूरी दाल ही काली है । नाक तोड्ना आसान है और तोडी हुई नाक आप्रेशन कर के फिर से जोडी भी जा सकती है । ईस का मतलब ईटहरी के मेयर अदंर से दयालु हैं वह पत्रकार का ज्यादा अहित नहीं चाहते ईसी लिए उन्होने नाक से काम चलवा लिया । कहीं उन्होनें हाथ या पैर तोड्ने की धमकी दी होती तो उस पत्रकार का क्या होता । नाक तोड्ने के बाद उस का आप्रेशन कर के पत्रकार आराम से अपने हाथ से लैपटप चला कर समाचार लिख सकता है या फिल्ड में भी जा सकता है ।
ईसी लिए ईटहरी के मेयर का सभी को शुक्रिया अदा करनी चाहिए कि वह बडे रहम दिल वाले है कि उन्होने सिर्फ नाक से काम चलवा लिया । वैसे बेचारे ने अपने नाक तोड्ने कि धमकी को अपनी गल्ती मानते हुए माफी भी मागं ली है और पत्रकार का नाक भी टूटने से बच गया है । दुसरी तरफ त्रियुगा नगरपालिका के मेयर ने डरते हुए तीस पत्रकारों को लैपटप भी बांट दी है । अब उन तीस जने पत्रकारों का नाक नापा जाना चाहिए कि लैपटप लेने से पहले उनकी नाक किते ईंच कि थी और लैपटप लेने के बाद उनकी नाक कितने ईंच घटी या बढी ? शायद उन पत्रकारों कि नाक थी ही नहीं ईसी लिए तो त्रियुगा के मेयर द्धारा दिया गया लैपटप खुशी, खुशी ले लिया । अब पत्रकार भी दो खेमें में बटं गए हैं एक बिना नाक वाले पत्रकार जिन्होनें लैपटप लिया और एक नाक वाले पत्रकार जो दिखा कर कुछ नहीं लेते पर अंदर से बहुत कुछ ले कर बाहर से अपने नाक को बचा कर रखते है । आए दिन यह भी ऐश तो करते है पर अपनी नाक को बचा कर या उसको नाकलेट पहना कर ।
ईसी लिए नेपाल के पत्रकारों के बारे में कुछ भी उल्टा, सीधा बोलना मधुमक्खी के छत्ते में हाथ डालने जैसा है । ईसी लिए पत्रकारों का टपीक आते ही कुछ लोग एकदम मौन हो जाते है । ईस देश में सब के बारें मे कुछ भी बोल सकते हैं । शिक्षक, डाक्टर, ईन्जिनियर, नेता, सरकार या और किसी के बारे में जो चाहे बोल सकते है । पत्रकार ही ईस सब का पोल खोलते हुए समाचार लिखते है । पर पत्रकार का पोल कोई नहीं खोल सकता । क्योंकि पत्रकार देश का चौथा अगं है जो अगं अदृश्य है किसी को दिखाई नहीं देता । पत्रकार कुछ भी गलत करें विरोध करना नहीं चाहिए । क्योंकि यह चौथे अगं के नाक का सवाल है । कार्यपालिका, व्यवस्थापिका या न्यायपालिका के बारे में कुछ भी बोलने या लिखने कि छूट है पर चौथा अगं मतलब मीडिया पालिका के बारे में कुछ भी गलत बोलना या विरोध करना अपनें पैरों में कुल्हाडी मारने जैसा ही है । ईसी लिए कोई भी समझदार ईसान आ बैल मुझे मार कह कर मीडिया को चिढाना नहीं चाहता । क्योंकि सभी को अपनी नाक बहुत ही प्यारी है । कौन शुपर्णखा बनना चाहेगा । शुपर्णखां के पास तो रावण जैसा भाई था । जो काम त्रेता युग में लक्ष्मण जी ने शुपर्णखां का नाक काट कर किया था । वही काम कलियुग में ईटहरी के मेयर ने किया । ईस का मतलब वह आधुनिक लक्ष्मण है । लक्ष्मण जी के पास जरुर राम जी होगें तब तो ईतने बिश्वास से नाक काट्ने और उसके बाद एक करोड रुपएं देने कि भी बात कर रहें हैं । ईनका तो सत्ता के कुवेर से भी सम्बन्ध है ईसी लिए तो एक करोड रुपएं ले कर घुमते हैं । पर जो भी नाक है जहान है । बिना नाक के शुपर्णखां की तरह नकटी बन कर कौन रह सकता है भला ? ईसी लिए नाक जरुरी है तभी तो नाक को बचाने के जुगाड में सभी लगे रहते हैं । आखिर में बिना नाक के जिंदा भी तो नहीं रह सकता कोई । नाक से सांस ले कर जो दुनिया में अपने होने का भ्रम पाल रहे हैं । ईसी लिए तो नाक है तो सारा संसार है नहीं तो बांकी सब बेकार है ।