माेदी सरकार की हिन्दी नीति अंग्रेजी का वर्चस्व कम करने के लिए छेड़ेगी मुहिम
१ जून
- हिंदी को अनिवार्य और अंग्रेजी का वर्चस्व कम करने के लिए छेड़ेगी मुहिम
- मातृभाषा में ही छात्रों को शिक्षा देना पहली जरूरी शर्त है
- महज तमिलनाडु में हुए विरोध से बढ़ी केंद्र की उम्मीदें
इसके तहत हिंदी के पक्ष में संविधान को अपना ढाल बनाने के साथ ही संदेश देगी कि उसका लक्ष्य क्षेत्रीय भाषाओं को कमजोर करने के बदले उन्हें और मजबूत बनाना है। इस मोर्चे पर विरोध की लपटें तमिलनाडु तक सीमित रह जाने से भी सरकार का हौसला बुलंद हुआ है।
एक वरिष्ठ केंद्रीय मंत्री के मुताबिक, हम राज्यों को समझाएंगे कि सरकार की योजना क्षेत्रीय भाषाओं के ढांचे के कमजोर करने की नहीं बल्कि इसे और मजबूत बनाने की है, क्योंकि विशेषज्ञों का भी मानना है कि नए अविष्कार, नए विचार और नई सोच पैदा करने के लिए मातृभाषा में ही छात्रों को शिक्षा देना पहली जरूरी शर्त है।
इस कड़ी में राज्यों में उसकी क्षेत्रीय भाषा के जारी रहते अंग्रेजी की जगह हिंदी को स्थापित किए जाने में कोई परेशानी नहीं है। पहले सरकार को अंदेशा था कि त्रिभाषा फार्मूले का हिंदीपट्टी के इतर दूसरे राज्यों में तीखा विरोध हो सकता है लेकिन यह केवल तमिलनाडु तक सीमित रहा तो कर्नाटक में छिटपुट विरोध के स्वर उठे। सरकार के रणनीतिकार इसे नई शिक्षा नीति और हिंदी के लिए बेहतर अवसर के रूप में देख रहे हैं।
हिंदी के पक्ष में ये भी हैं तर्क
- उत्तरोत्तर प्रगति करने वाले चीन-जापान-इस्राइल ने मातृभाषा को दी तरजीह
- अंग्रेजी पर आश्रित होने के कारण भारत में नए आविष्कारों का पड़ा टोटा
- दशकों से नई सोच-नए विचार विश्व पटल पर हुए गौण
- मातृभाषा के वर्चस्व के दौरान दुनिया को दिया शून्य, कई महापुरुष, कई नए विचार
- अंग्रेजी के वर्चस्व ने बढ़ाई रट्टामार प्रवृत्ति