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नेपाल पुलिस ने ‘मासिक धर्म झोपड़ी’ में एक महिला की मौत के बाद उसके बहनोई को हिरासत में ले लिया है। इस गैरकानूनी परंपरा के तहत इसे पहली गिरफ्तारी माना जा रहा है। अधिकारियों ने शुक्रवार (6 दिसंबर) को यह जानकारी दी। नेपाल में विभिन्न समुदाय मासिक धर्म से गुजरने वाली महिलाओं को अपवित्र मानते हैं और सदियों पुरानी ‘छौपडी’ कुप्रथा के तहत दूरदराज के कुछ इलाकों में उन्हें घर से बाहर झोपडियों में रहने के लिये मजबूर किया जाता है।

इस कुप्रथा में हर साल झोपड़ी में रहने वाली कई महिलाओं की दम घुटने, सांप के काटने या जानवरों के हमले से मौत हो जाती है। पार्वती बुदा रावत नामक एक महिला रविवार (1 दिसंबर) को पश्चिमी अछाम जिले में एक झोपड़ी में मृत पाई गई थीं। बताया गया कि उनकी मौत झोपड़ी को गर्म रखने के लिये जलाई आग से उठे धुएं के कारण दम घुटना बताई गई है। स्थानीय पुलिस अधिकारी जनक बहादुर शाही ने बताया, “हमने कल पीड़िता के बहनोई को गिरफ्तार किया। संदेह है कि वह भी पीड़िता को झोपड़ी में रहने के लिये मजबूर करने वालों में शामिल था।”

छौपडी परंपरा के खिलाफ काम कर रहीं कार्यकर्ता राधा पौडेल ने कहा, “मुझे लगता है कि यह इस तरह के मामलों में पहली गिरफ्तारी है। अगर वह व्यक्ति दोषी पाया गया तो उसे पिछले साल लाए गए कानून के तहत तीन महीने की जेल की सजा सुनाई जा सकती है और तीन हजार रुपये जुर्माना लगाया जा सकता है।” उन्होंने कहा, “यह देखना सकारात्मक है कि पुलिस ने पूरी सक्रियता दिखाई। इससे लोगों को इस परंपरा का पालन करने से रोकने में मदद मिलेगी, लेकिन इसका अंत होने में अभी काफी समय लगेगा।”

रावत की मौत इस साल हुई कम से कम तीसरी मौत है। इससे पहले पडो़सी जिलों में मासिक धर्म झोपड़ियों में दम घुटने से दो महिलाओं की मौत हो चुकी है। पौडेल ने कहा कि कई बार मौत के मामले सामने नहीं आते और जो सामने आते हैं उनमें अधिकारी परिवार के सदस्यों के प्रति सहानुभूति रखते हैं। छौपदी को 2005 में गैरकानूनी करार दिया जा चुका है, लेकिन नेपाल के कई इलाकों विशेषकर दूरदराज के इलाकों में यह कुप्रथा अब भी जारी है।



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