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आपके लब पर हमारा नाम आया, लो अचानक इक नया पैगाम आया : ममता शर्मा ‘अंचल’



ममता शर्मा ‘अंचल’
आपके लब पर हमारा नाम आया
लो अचानक इक नया पैगाम आया

आज हलचल सी हुई वीरानियों में
ज्यों समझ बसने लगी नादानियों में
हाथ पर धर हाथ हम बैठे हुए थे
वाह किस्मत साथ तेरा काम आया

कंठ था गमगीन, स्वर रुठे हुए थे
तार सब उम्मीद के टूटे हुए थे
प्रेम की जब पास से आहट सुनी तो
सुख खुशी से बिन कहे बिन दाम आया

एक पल में हम हृदय की पीर भूले
मिल गया मरहम विरह के तीर भूले
रुख बदल पछवा हुई, पुरवा पवन अब
वक्त फिर लेकर सुहानी शाम आया



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