दिल की दीवारों पर सिमटते एहसास, मन की सर्दियों से लिपटते लिहाफ : मयंक सिंह
हूक
मयंक सिंह
वक्त की सिलवटों पर
खामोशी की कलम से लिखी
मेरी नि:शब्द कविता
शून्य सा सन्नाटा
निष्पन्द चेहरे
चीखती सायरन
उछटती रौशनी
दिल की दीवारों पर
सिमटते एहसास
मन की सर्दियों से
लिपटते लिहाफ
दूर खिजाँ की
सिसकती आवाज
बिखरती हुई एक रंगोली
गुम होते परिंदे
शफ़क का सूनापन
कभी फिर कहीं मिलेंगे
फिर कभी लिखेंगे।।
डाॅ मयंक कुमार
डेंटल सर्जन एवं इम्प्लांटोलोजिस्ट
श्रीराम काॅलोनी केसरी फाॅर्म हाउस के सामने, चूनापुर रोड,पूर्णिया।
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