Thu. Apr 18th, 2024
himalini-sahitya

यह संस्थापनाओं का समय है स्वयं में, गहरे अंतर ओर बहना : शरद कुमार सक्सेना ” जौहरी “

ये प्रार्थनाओं का समय है,
किंचिद मौन रहना।



युद्ध जारी शत्रु से है।
जो स्वयं अदृश्य है और
सब हथियार उसके।

कब कहाँ से घात होगी
और कैसा रूप होगा।
काल बनकर कोरोना
आ गया है सामने ,
घर से बाहर जो भी है
वो उसका अघोषित शत्रु होगा।

ये अभ्यर्थनाओं का समय है ,
सीखो अपने ठौर रहना।।।

व्यर्थ हैं चक्रव्यूह सारे
सहना आक्रमण, चुपचाप दहना।

सूक्ष्म, विकराल है, ये संक्रमण
ना उसके वाहक बनो,
ना करो अंतरण।

विषाणु की गतियां विषम है
संहार की गणनायें भी छल हैं।
अब यज्ञ हो विज्ञान का, एकमेव साधन
कि शेष समिधायें विकल है।
एक मंत्र रचें ‘ सामाजिक दूरी ‘
वो सभी की एकता से सिद्ध होगा।

यह संस्थापनाओं का समय है
स्वयं में , गहरे अंतर ओर बहना।

 



About Author

यह भी पढें   भोपाल में त्रिदिवसीय "वनमाली कथा सम्मान 2022" समारोह का आयोजन
आप हमें फ़ेसबुक, ट्विटर और यूट्यूब पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Loading...
%d bloggers like this: