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मातृ दिवस के अवसर पर काव्यकुल संस्थान द्वारा अंतरराष्ट्रीय डिजिटल काव्य समारोह

१० मई,२०२० | मातृ दिवस के अवसर पर काव्यकुल संस्थान(पंजी.) द्वारा अंतरराष्ट्रीय डिजिटल काव्य समारोह किया गया जिसमें भारत, नेपाल, जापान के रचनाकार सम्मलित हुए। काव्यकुल संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ राजीव पाण्डेय ने इस कार्यक्रम का संयोजन एवं संचालन किया। मातृ दिवस के उपलक्ष्य में आयोजित काव्य समारोह की मुख्य अतिथि काठमांडू नेपाल से डॉ श्वेता दीप्ति सम्पादक हिमालिनी पत्रिका ने बेहतरीन कविताओं को सुनाया और अपने उद्बोधन में कहा कि ऐसे कार्यक्रम वैश्विक स्तर पर हिंदी की पहचान बनाने वाले में समर्थ हो रहें है। काव्यकुल संस्थान हिन्दी की सेवा के लिये उत्तम कार्य कर रही है। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहीं वरिष्ठ कवयित्री डॉ रमा सिंह ने कहा- हम हैं उसके वो है सबकी दुनिया उसकी है माया सृष्टि के कण -कण ने भी तो गीत उसी का है गाया आँगन की तुलसी है वो ही है पूजा की देहरी माँ ।।।

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जापान की कोमल भावों की वरिष्ठ कवयित्री डॉ रमा शर्मा ने पढ़ा बहुत याद आती ही तुम माँ याद आता है वो तेरा डाँटना, फिर प्यार से पुचकारना मेरी जिदों को मानना। गाजियाबाद से इन्दु शर्मा ने सुमधुर कंठ से पढ़ा कितनी रातें जागी वो माँ , जो लोरी तुम्हें सुनाती थी। जब -जब भी दण्ड दिया तुमको , फट जाती उसकी छाती थी।। वह सच की देवी झूठ बोलकर , निशदिन तुम्हें बचाती थी । दूखे न कभी माथा तेरा , इसलिए वो मंदिर जाती थी ।। कोलकाता से साहित्य त्रिवेणी के सम्पादक वरिष्ठ गीतकार कुंवर वीर सिंह मार्तण्ड के गीत की ये पंक्तियां काफी सराही गयी। सब देवों ने अपनी शक्ति सौंपी जिसके हाथ में । विद्या देवी और लक्ष्मी हर पल जिसके साथ में ।

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कार्तिक जी भी जिसके पीछे सैन्य शक्ति ले खड़े हुए । बुद्धि विनायक गणपति बप्पा वेद शास्त्र सब पढ़े हुए । ग़ज़ल के बड़े फनकार दिलदार देहलवी ने जब ये शेर पढ़े तो तालियां अनायास ही बजने लगी। कभी तो दूर जाए ज़िन्दगी तू कभी अपना बना ले ज़िन्दगी तू दिलों में प्यार के पौधे उगेंगे अगर नफ़रत न बांटे ज़िन्दगी तू मैनपुरी से बहुभाषी गीतकार कैप्टन ब्रह्मानन्द तिवारी अवधूत की इन पंक्तियों ने मन मोह लिया- माँकी महिमा जग में अपरम्पार है। आज तक कोई न पाया पार है।। वेदों ने माँ को ही देवोभव कहा, मात्र देवोभव ये शास्त्रों नें कहा, जलधि जैसा माँ के दिल में प्यार है। कार्यक्रम के संयोजक एवं संचालक डॉ राजीव पाण्डेय ने एक दोहे के माध्यम से कहा अपनी सन्तति के लिये,भूली निज पहचान। आँसू अन्दर पी लिए, चेहरे पर मुस्कान। इस समारोह में गाजियाबाद से सोनम यादव के गीत को काफी प्रशंसा मिली। शैलजा सिंह द्वारा तरुन्नम में माँ पर पढ़ा गया गीत काफी सराहा गया। कार्यक्रम का शुभारंभ इन्दु शर्मा की वाणी वन्दना से हुआ। कार्यक्रम के संयोजक एवं संस्था के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ राजीव पाण्डेय ने सभी का धन्यवाद ज्ञापित किया। प्रेषक डॉ राजीव पाण्डेय राष्ट्रीय अध्यक्ष काव्यकुल संस्थान(पंजी.) गाजियाबाद

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