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तीसरा विश्वयुद्ध – सच्चाई या परिकल्पना : प्रियंका पेड़ीवाल अग्रवाल

प्रियंका पेड़ीवाल अग्रवाल, बिराटनगर | आज से कुछ वर्ष पूर्व तीसरा विश्वयुद्ध एक संभावना, एक मिथ्या जैसा प्रतीत होता था, पर वर्तमान स्थिति मे ये परिकल्पना कम और वास्तविकता ज्यादा नजर आ रही हैं।
वर्तमान में अभी विश्वभर मे फैली महामारी जो कोविड-१९ के नाम से प्रख्यात हुआ है और इसमें चीन की संदेहात्मक भुमिका ने विश्व पटल पर एक चुनौती तो पैदा कर ही दी है साथ ही साथ इसमें चीन के साथ विश्वभर के मुलको के तलख होते रिश्तें इस भयावक्ता के यथार्थ में तबदील होने की तरफ इशारा कर रहा है।



अमेरिका के न्‍ययॉर्क में इसका सबसे अधिक असर देखा जा रहा है। इन सभी के पीछे छिपे कारणों को हमारे लिए जानना बेहद जरूरी है।
चीन के वुहान में पहला मामला सामने आने के बाद 19 जनवरी को अमेरिका के वाशिंगटन में इसका पहला मामला सामने आया था। इसके बाद लगातार इसके मामले अलग-अलग राज्‍यों में सामने आने लगे थे। बावजदू इसके अमेरिकी प्रशासन का ध्‍यान इस पर काफी देर से गया। 22 मार्च को राष्‍ट्रपति ट्रंप ने Major Disaster घोषित किया था और गवर्नर ने घर से बाहर न निकलने की हिदायत दी थी। इस प्रतिबंध को बाद में 4 मई तक के लिए बढ़ा दिया गया। जिस वक्‍त तक चीन ने अपने यहां पर बाहर से आने और जाने वाली सभी उड़ाने बंद कर दी थी तब तक 4 लाख से अधिक लोग चीन से अमेरिका पहुंच चुके थे। अमेरिका ने अपने यहां पर विदेशों से आने वाले विमानों की आवाजाही को रोकने में काफी देर कर दी थी। इतना ही नहीं 16 मार्च तक भी अमेरिका ने इसको सभी देशों के लिए एक समान तौर पर लागू नहीं किया था। चीन से आने वाले विमानों की आवागमन को रोकने के बाद भी लोग दूसरे देशों से होते हुए अमेरिका पहुंच रहे थे। 14 मार्च को न्‍यूयॉर्क में कोरोना वायरस की वजह से पहली मौत हुई थी। हालांकि यहां पर 7 मार्च को ही गवर्नर ने स्‍टेट इमरजेंसी का एलान कर दिया था और लोगों को घरों में रहने की सख्‍त हिदायत दी गई थी। इसके बाद भी लोगों ने इसको गंभीरता से नहीं लिया जिसकी वजह से ये यहां पर हालात बेकाबू हो गये। 23 मार्च को न्‍यूयॉर्क के तट पर सैकड़ों लोगों की जमा भीड़ की फोटो वायरल होने के बाद गवर्नर ने लॉकडाउन को सख्‍ती से लागू करने के आदेश दिए थे। चीन में इस वायरस के लगातार फैलने के बीच अमेरिका ने चीन को काफी मात्रा में पर्सनल प्रोटेक्टिव इक्‍यूपमेंट्स दिए थे। उस वक्‍त तक ये वायरस अमेरिका समेत कई देशों में फैल चुका था।
इस अनिश्चितता के माहौल में जहाँ चीन को चाहिए था कि वो दूसरे देशों को दिये चोट पर मरहम लगाने की मुख्य भुमिका निभाने की जिम्मेदारी उठाए, वहीं उसने इसके विपरीत कार्य करते हुए विश्वभर के देशों को नकली स्वास्थ्य उपकरण देकर आग में घी डालने का कार्य किया है, जिसके परिणाम स्वरुप आज सभी देश विश्व पटल पर चीन के विरुद्ध लामबन्ध हो रहे है, जो कि आने वाले समय में तीसरे विश्वयुद्ध के दस्तक की तरह देखा जा रहा है।
चीन पर बहुत बड़ा आरोप है कि उसने कोरोना का रहस्य छिपाया है जिससे अमेरिका नाराज़ था,अमेरिका हमेशा कहता रहा कि चीन ने WHO को मिला लिया है। WHO पर आरोप है कि उसने समय पर कोरोना की जानकारी नही दिया।

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने शुक्रवार (29 मई) को कहा कि उन्होंने विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के साथ अमेरिका के सारे संबंधों को खत्म कर दिया है। उन्होंने कहा कि डब्ल्यूएचओ कोरोना वायरस को आरंभिक स्तर पर रोकने में नाकाम साबित हुआ है। संयुक्त राष्ट्र एजेंसी पर वैश्विक महामारी का केंद्र रहे चीन की ‘कठपुतली’ का आरोप लगाते हुए ट्रंप ने इसकी फंडिंग पहले ही बंद कर दी थी।

ट्रंप ने पत्रकारों से कहा, “क्योंकि वे अनुरोध और बहुत अहम सुधार करने में नाकाम रहे हैं, हम आज विश्व स्वास्थ्य संगठन के साथ अपने संबंधों को समाप्त करने जा रहे हैं।” रिपब्लिकन नेता ने कहा कि डब्ल्यूएचओ को दिए जाने वाले फंड को दूसरे देशों और आपात स्थिति में वैश्विक जन स्वास्थ्य सेवाओं में आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए किया जाएगा।

इसके साथ ही डोनाल्ड ट्रंप ने चीन पर भी निशाना साधा। उन्होंने साफ-साफ शब्दों में चीन से कहा कि उसे कोरोना वायरस के मामले में दुनिया के सवालों के जवाब देने होंगे। दरअसल, ट्रंप ने दुनिया भर में कोरोना वायरस के प्रसार के लिए चीन को जिम्मेदार ठहराया है और उस पर अक्षमता का आरोप भी लगाया है। कोरोना वायरस पिछले साल दिसंबर में सबसे पहले चीन के वुहान में सामने आया था। यह वायरस 3 लाख 62 हजार से ज्यादा लोगों की जान ले चुका है और करीब 58 लाख से अधिक लोगों को संक्रमित कर चुका है।

ट्रंप ने 14 अप्रैल को डब्ल्यूएचओ को सालाना दी जाने वाली 50 करोड़ डॉलर तक की सहायता रोक दी थी। उन्होंने डब्ल्यूएचओ पर आरोप लगाया है कि वुहान में पहली बार सामने आने के बाद कोरोना वायरस के प्रसार के उसके प्रबंधन में खामी है और उसके कथित कुप्रबंध और कथित रूप से उसे ढकने में ”संगठन” की भूमिका का पता लगाने के लिए समीक्षा की जा रही है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) को आगाह किया था कि वह अगले 30 दिन में यह प्रदर्शित करे कि वह चीन से प्रभावित नहीं हैं। ऐसा नहीं करने पर ट्रंप ने इस संगठन में अमेरिका की सदस्यता के बारे में पुनः विचार करने और संगठन को दी जाने वाली आर्थिक सहायता को “स्थायी रुप” से रोक दी जाएगी।

अमेरिका विश्व के अधिकांश देशो को चीन के खिलाप लाने में सफल हो रहा है | और ए सभी देश चीन में तालाशी की मांग क्र रहें हैं | अगर ची में उसकी जाँच शुरू हुई तो वह चाहेगा कि भारत के साथ युद्ध करके विश्व का ध्यान उधर केन्द्रित हो | ऐसे में इस संभावना से इन्कार नही किया जा सकता है कि एक महा-युद्ध उपर मडरा रहा है |

प्रियंका पेड़ीवाल  अग्रवाल



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