मधेसी को गाली करके थारु समुदाय का सहानुभुती नहीं मिलेगा गंगा चौधरी : सुरेन्द्र चौधरी
सरिता गिरी जी को या मधेसी नेताओं को करने वाला प्रश्न हमलोगों से कीजिए !! परशु नारायण चौधरी के सारे परिवार से कीजिए ! फतेह सिंह थारु के सारे परिवार से कीजिए ! नरेन्द्र चौधरी के परिवार से कीजिए ! केवल चौधरी के परिवार से कीजिए ! तब लगेगा कि आपमें हिम्मत है। अगर नही तो बकवास बन्द कीजिए !! – सुरेन्द्र चौधरी
“दाङ से पश्चिम के मेरे थारु नातेदारों के साथ मैं थारु में बात करता हूँ। कपिलवस्तु से झापा तक के मेरे अपनो के साथ मै हिन्दी में बात करता हूँ। नेपाली बोलने वालों के साथ नेपाली में बात करता हूं। इसमे गंगा चौधरी जी को आपत्ति क्या है ? स्व पर्शु नारायण चौधरी के साथ कपिल्बस्तु से झापा तक एक भी थारु नेता नही थे जो नेपाली में बात करते। सभी हिन्दी में बात करते थे। कोई आपत्ति है ?
फतेह सिंह थारु के साथ उनके समकालिन नेता चाहे थारु हो या पहाडी सभी हिन्दी में बात करते है, कभी नेपाली में बात करते हुए देखी है गंगा जी ?
स्व. पर्शु नारायण चौधरी ने अपने समकालिन राजनीतिक सहकर्मी के साथ या तो हिन्दी में पत्राचार करते थे या तो अँग्रेजी में, कोई आपत्ति है ?
स्व परशु नारायण चौधरी का सम्पूर्ण परिवार भारत के बलरामपुर शहर में घर बनाकर हिन्दी में शिक्षा हासिल किया । मेरी श्रीमती ने भारत के बलरामपुर शहर के घर में जन्म लिया। मेरा ससुराली मात्र नही, मेरे पिता, मैं सभी भारत मे पढ़े। हिन्दी में भारत का राष्ट्रगान गा कर पढ़े। कोई आपत्ति है !
आपलोगो के हमेशा जाने वाला लखनऊ शहर का सबसे पुराना अमिनाबाद का कश्मीरी होटल भवन मेरी श्रीमती के नाना जी का हैं। अभी तक उन्ही के नाम मे है, दूसरे के भोगचलन के वावजूद। वे थारु थे लेकिन हिंदी में बात करते थे। कोई आपत्ति है ?
४ वर्ष पहले टिकापुर घटना के बाद सरकार के दमन करने पर जान बचाने के लिए पहुंचे थारुलोगों को शरण देने वाला भवन भारत के पलिया में अवस्थित है, वो घर मेरे मामा ससुर का है। वे सभी लोग हिंदी में बात करते है। कोई आपत्ति है ?
मेरी बहन का विवाह भारत के फैजावाद में हुआ है। भान्जीयां दाङ आने पर हमारे सारे परिवार के साथ हिन्दी में बात करती है। कोई आपत्ति है ? मेरे बेटा-बेटी को थारु बोलना नही आता। तराई मधेस के लोगो के साथ या तो हिंदी में बोलना पड़ता है या तो अंग्रेजी में !! कोई आपत्ति है ?
अगर हिम्मत है तो बोलिए की थारु हिन्दी में नही बोल सकता। जिस ब्यक्ती का भाषा हिन्दी है वह व्यक्ति हिन्दी में क्यो बोला ये बोलने से पहले होश कीजिए ! आपके पार्टी के नेपाली भाषी नेता जब मधेश जाते है तो हिन्दी में क्यो भाषण करते है ?
भाषा ज्ञान का भण्डार है। चाहे वो अंग्रेजी हो या हिंदी, चाहे नेपाली हो या थारु । भाषा पहिचान भी है, अभिमान और शान भी है। आपके जीजा बाम देब गौतम जब थारु भाषा में बात करते है आपलोगो को खुशी होती है, उसी तरह सरिता गिरी जी जैसे लोग के हिन्दी में बोलने पर उनके गाउँ-घर, जिल्ला, निर्वाचन क्षेत्र के लोगो का मन हर्षित-गर्वित होता है। इसमे कैसी आपत्ति ?
सरिता गिरी जी को या मधेसी नेताओं को करने वाला प्रश्न हमलोगों से कीजिए !! परशु नारायण चौधरी के सारे परिवार से कीजिए ! फतेह सिंह थारु के सारे परिवार से कीजिए ! नरेन्द्र चौधरी के परिवार से कीजिए ! केवल चौधरी के परिवार से कीजिए ! तब लगेगा कि आपमें हिम्मत है। अगर नही तो बकवास बन्द कीजिए !!
मधेसी को गाली-गलौज करके थारु समुदाय का सहानुभुती प्राप्त होगा, ये सपना नहीं देखिए। मधेसी को गाली -गलौज करकर बाहुन-छेत्री नेताओ का आशिर्वाद प्राप्त करने का एमाले का फार्मूला useless हो गया है । काठमाडौं में पानी पड़ने पर र्बइजिङ में कोई छाता ओढ़कर बच जाएगा इस भ्रम से मुक्त होइए !” (सुरेन्द्र चौधरी के स्टेटस से)
गंगा मैडम कमैया मानसिकता से मुक्त हो जाओ
खुश रहोगी।