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अयोध्या राम मंदिर भूमि पूजन पाँच अगस्त को, भव्य मंदिर के छः शिखर होंगे

 



श्री राम जन्मभूमि पर प्रस्तावित मंदिर की भव्यता पर उठ रहे सवालों पर आखिरकार विराम लग गया। भक्तों और संतों की अपेक्षाओं को ध्यान में रखते हुए मंदिर के मॉडल के डिजाइन को नए सिरे से अंतिम रूप दे दिया गया है, जिस पर श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने भी अंतिम मुहर लगा दी है। नए लेआउट के तहत मंदिर पहले से अधिक भव्य बनेगा। इसमें पांच नहीं, बल्कि आसमान छूते छह शिखर होंगे। भक्तों की भारी से भारी भीड़ प्रभु के चरणों में रम सके, इसलिए परकोटा भी करीब पांच एकड़ में फैला रहेगा। पांच अगस्त को मंदिर के भूमि पूजन में प्रधानमंत्री नरेंद्र पहुंच रहे हैं। ऐसे में ट्रस्ट ने सभी शंकाओं को खत्म कर दिया है।

गत वर्ष नौ नवंबर को रामलला के हक में सुप्रीम फैसला आने के साथ ही मंदिर की तैयारियां तेज हो गई हैं। इसी के साथ सबसे अहम सवाल रामजन्मभूमि न्यास की ओर से तीन दशक पूर्व प्रस्तावित मंदिर की भव्यता पर उठने लगे। आंदोलन से जुड़े कुछ संत और भक्तोंं के मन में टीस थी कि कहीं न कहीं राममंदिर की भव्यता अन्य मंदिरों से कमतर है…। बार-बार उठ रहे इस सवाल पर इसी वर्ष पांच फरवरी को अस्तित्व में आया श्री रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट भी मंथन में जुट गया। अंत में मंदिर की भव्यता में वृद्धि की संभावनाएं तलाशने के लिए ट्रस्ट ने मंदिर के मुख्य शिल्पी चंद्रकांत सोमपुरा को जिम्मा सौंप दिया गया।

चंद्रकांत ने अपने दो वास्तुविद पुत्रों आशीष एवं निखिल सोमपुरा को इस काम में लगाया। खुद भी उनके करीब दो माह की मेहनत के बाद आकार में समुचित वृद्धि के साथ प्रस्तावित मंदिर का संशेधित ब्लूप्रिंट तैयार किया। यह ब्लूप्रिंट गत शनिवार को स्थानीय सॢकट हाऊस में हुई तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट की बैठक में न केवल प्रस्तुत किया गया, बल्कि उस पर अंतिम मुहर भी लग चुकी है।

ऐसा होगा नया मंदिर

पूर्व प्रस्तावित मॉडल में मंदिर जहां एक एकड़ से भी कम क्षेत्र में प्रस्तावित था, वहीं संशोधन के बाद इसका परकोटा पांच एकड़ क्षेत्र में विस्तृत होगा। पहले मॉडल में एक मुख्य शिखर सहित दो उप शिखर थे। आकार वृद्धि के बाद अब मंदिर में एक मुख्य शिखर सहित पांच उप शिखर होंगे।

नया मॉडल

इनमें से तीन उप शिखर मुख्य शिखर के सामने एवं दो उप शिखर मुख्य शिखर के अगल-बगल होंगे।

पहले प्रस्तावित मंदिर दो तल का था। अब इसमें तीन तल संयोजित किए गए हैं।

पूर्व प्रस्तावित मंदिर में भी प्रत्येक तल पर 106 स्तंभ संयोजित होने थे, पर एक तल बढऩे के साथ मंदिर में लगने वाले स्तंभों की संख्या 212 से बढ़कर 318 हो गई है।

यह स्तंभ साढ़े 14 से 16 फीट तक ऊंचे और आठ फीट व्यास वाले होंगे। प्रत्येक स्तंभ यक्ष-यक्षिणियों की 16 मूॢतयों से सज्जित होगा।
तीनों तल पर होंगे गर्भगृह

प्रस्तावित मंदिर के प्रथम तल के गर्भगृह में जहां रामलला की प्रतिमा स्थापित होगी, वहीं दूसरे तल के गर्भगृह में राम दरबार की स्थापना होनी है। तीसरे तल के गर्भगृह के बारे में अभी यह नहीं हो सका है कि इसमें भगवान के किस स्वरूप की स्थापना होगी, पर यह तय माना जा रहा है कि इसमें भगवान राम के किसी माॢमक प्रसंग से जुड़ी प्रतिमाएं स्थापित होंगी।

नया प्रस्तावित मंदिर 360 फीट लंबा और 235 फीट चौड़ा होगा। 161 फीट ऊंचा बनाने को अंतिम रूप दे दिया गया है।

पहले 268.5 फीट लंबाई, 140 फीट चौड़ाई और 128 फीट ऊंचाई थी।

क्षेत्रफल अब 84 हजार 600 वर्ग फीट हो गया है। पहले कुल क्षेत्रफल 37 हजार 590 वर्ग फीट था।

शिखर बढऩे से मंदिर में कुछ बदलाव भी हुए हैं। पहले अग्रभाग, सिंहद्वार, नृत्यमंडप, रंगमंडप के बाद गर्भगृह था। अब गर्भगृह और

रंगमंडप के बीच गूढ़ मंडप होगा। दाएं-बाए अलग-अलग कीर्तन व प्रार्थना मंडप होगा।

रजत सिंहासन पर विराजमान होंगे चारो भाई

रामजन्मभूमि पर भव्य मंदिर का निर्माण होने तक रामलला सहित भरत, लक्ष्मण एवं शत्रुघ्न के विग्रह वैकल्पिक गर्भगृह में स्थापित किये गए हैं। इसी वर्ष 25 मार्च को वैकल्पिक गर्भगृह में स्थापना से पूर्व रामलला को तो श्री रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के सदस्य एवं अयोध्या राजपरिवार के मुखिया बिमलेंद्रमोहन मिश्र ने साढ़े नौ किलो चांदी से निॢमत सिंहासन भेंट किया था, पर रामलला के तीन अन्य भाई लकड़ी के सिंहासन पर ही विराजमान थे। राज परिवार के मुखिया ने अब रामलला के सभी भाइयों के लिए भी रजत सिंहासन निॢमत कराया है जिसे वह शीघ्र ही किसी शुभ मुहूर्त में ट्रस्ट को सौंपने वाले हैं।



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