Thu. Mar 28th, 2024
himalini-sahitya

आज है पूर्णिमा का संयोग, बरसने दो अमृत धरा पर, मत करो मेरा मार्ग अवरुद्ध : अंशु झा

पूर्णिमा का चांद



अंशु झा

पूर्णिमा के चांद को,

हमने देखा झरोखों से,

चांदनी बिखरते हुए,

रजनीगन्धा की खुशबू

और मन्द पवन के संग,

वातावरण माधुर्य का

कर रहा था रसपान,

पर चन्द्रमा को घेर रखा था

कुछ बादल के टुकडों ने,

जिससे वह विचलित और

व्याकुल प्रतीत हो रहा था,

रोशनी मध्यम लग रही थी ।

जैसे बादल के टुकडों से

यूं कह रहा हो,

मार्ग से हट जाओ,

देखना है मुझे अपने चकोर को,

हमारी प्रेयसी हमें,

अपलक कैसे निहार रही,

तुम्हें क्या पता !

इस दिन का हमें,

रहता कितना इन्तजार

क्योंकि आज मैं पूर्ण हूं ।

कर लेने दो मुझे,

अपनी पूर्णता का सदुपयोग,

आज है पूर्णिमा का संयोग,

बरसने दो अमृत धरा पर,

मत करो मेरा मार्ग अवरुद्ध ।

कल से तो अन्श–अन्श,

कटता जाऊंगा,

फिर एक दिन हो जाऊंगा रिक्त,

पूर्ण अन्धेरा,

एक सन्नाटा में खो जाऊंगा,

न होगी कोई रोशनी,

न कोई चकोर ।

आज के सुखद क्षण का,

रहता एक महीना का इन्तजार,

वो करती है मुझसे निःस्वार्थ प्यार,

हमें देने दो उसका अधिकार,

क्योंकि आज मैं पूर्ण हूं ।



About Author

यह भी पढें   गठबन्धन का बन्धन कितना स्थिर और विश्वसनीय ? : डॉ. श्वेता दीप्ति
आप हमें फ़ेसबुक, ट्विटर और यूट्यूब पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Loading...
%d bloggers like this: