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बाबा श्रीकाशी विश्वनाथ के गौना के मुख्य अनुष्ठान शुरू

वाराणसी, जेएनएन।

काशी की लोक परंपरा के अनुसार रंगभरी एकादशी पर बुधवार को ब्रह्म मुहूर्त में बाबा श्रीकाशी विश्वनाथ के गौना के मुख्य अनुष्ठान शुरू हुए। भोर लगभग चार बजे 11 वैदिक ब्राह्मणों ने विधि विधान से बाबा का रुद्राभिषेक किया। सूरज की किरणें धरती पर आने के साथ शिव-शक्ति को पंचगव्य से स्नान कराने का साथ षोडषोपचार पूजन किया गया। वहीं दोपहर में अन्‍न क्षेत्र का भी परंपराओं के अनुरूप उद्घाटन किया गया। अनुष्‍ठानों का दौर शुरू हुआ तो बाबा दरबार हरहर महादेव के उद्घोष से गूंज उठा। दूर दराज से लोग पहुंचे तो विश्‍वनाथ गली में भी ट्रैफ‍िक जाम सरीखा नजारा दिखने लगा। बस लोगों को बाबा की पालकी का ही इंतजार बचा रह गया था जो शाम होते ही निकली तो काशी विश्‍वनाथ गली हर हर महादेव के उद्घोष से गूंज उठी।

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सुबह सात बजे शुरू हुए लोकाचार और बाबा का श्रृंगार किया गया। इसके लिए महंत परिवार की महिलाएं गीत गाते श्रीकाशी विश्वनाथ दरबार पहुंचीं और बाबा की आंखों में लगाने के लिए मंदिर के खप्पड़ से काजल लिया। गौरा के माथे पर सजाने के लिए सिंदूर परंपरानुसार अन्नपूर्णा मंदिर के मुख्य विग्रह से लाया गया। शिव-पार्वती के विग्रह को महंत आवास के भूतल स्थित हाल में विराजमान कराया गया और भोग अर्पित किया गया। महंत डा. कुलपति तिवारी ने विधि विधान से वेद मंत्रों के बीच महाआरती की। दोपहर में आयोजन की तैयारियां शुरू हुईं तो आस्‍थावानों के कदम भी उधर ही बढ़ चले। शाम होने की ओर घड़ी ने रुख किया तो बाबा दरबार में आस्‍था हिलोरें लेने लगीं। अबीर और गुलाल हाथ में लिए शिवभक्‍त बाबा के इंतजार में पलक पावड़े बिछाए नजर आए।

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दोपहर बाद उत्तर प्रदेश संगीत नाटक अकादमी के अध्यक्ष पद्मश्री डा. राजेश्वर आचार्य शिवांजलि महोत्सव का उद्घाटन किया और गौरा की अंगनाई मंगल गीतों से गूंज उठी। इसमें डा. अमलेश शुक्ल समेत पूर्वांचल के विभिन्न जिलों से आए कलाकारों ने हाजिरी लगाई। यह सिलसिला शिव आधारित गीतों के साथ शाम साढ़े चार बजे तक चला, इसके बाद बाबा की पालकी यात्रा निकली जो मंदिर परिसर तक गई। इसमें श्रद्धालुओं का रेला उमड़ा और अबीर गुलाल से रेड कारपेट सी बिछ गई। बाबा के भाल पहला गुलाल सजाकर काशीवासी होली हुड़दंग की अनुमति पाकर निहाल हुए। शिव परिवार को मंदिर गर्भगृह में विराजमान करा कर लोकाचार निभाया गया। मंदिर प्रशासन की ओर से इस खास मौके पर संगीतमय शिवार्चन किया गया।

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बाबा के गौना महोत्सव की शुरूआत 21 मार्च को गीत गवना के साथ की गई थी। इसके तहत 22 मार्च को गौरा के तेल-हल्दी की रस्म निभाई गई। वहीं बाबा 23 मार्च को ससुराल यानी टेढ़ी नीम स्थित महंत आवास आए। संध्या बेला में 11 वैदिक ब्राह्मणों ने स्वतिवाचन, वैदिक घनपाठ और दीक्षित मंत्रों से आराधना कर उन्हें रजत सिंहासन पर विराजमान कराया। रंगभरी ठंडई से उनका अगवानी की गई। परंपराओं के अनुसार लोकाचार के मुताबिक आयोजन शुरू हुआ तो काशी में हर हर महादेव का उद्घोष गूंज उठा।

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