अफगानिस्तान में नई सरकार की कमान बरादर के हाथों में होगी और अखुंदजादा इसके सर्वेसर्वा
तालिबान और अफगानिस्तान के अन्य नेताओं के बीच सरकार बनाने के फॉर्मूले पर सहमति बन गई है। एक अधिकारी ने कहा कि तालिबान और अन्य अफगान नेता तालिबान के शीर्ष आध्यात्मिक नेता के नेतृत्व में एक नई सरकार और कैबिनेट के गठन पर ‘आम सहमति’ पर पहुंच गए हैं। इसके मुताबिक, मुल्ला बरादर जहां सरकार का मुख्य चेहरा होंगे, वहीं हैबतुल्लाह अखुंदजादा गवर्निंग काउंसिल के हेड होंगे।
तालिबान के सांस्कृतिक आयोग के सदस्य बिलाल करीमी ने बुधवार को कहा कि तालिबान के सुप्रीम कमांडर हैबतुल्लाह अखुंदजादा किसी भी गवर्निंग काउंसिल के शीर्ष नेता होंगे। करीमी ने कहा कि तालिबान के मुख्य पब्लिक फेस और अखुंदजादा के तीन डिप्टी में से एक मुल्ला अब्दुल गनी बरादर नई सरकार का मुख्य चेहरा हो सकते हैं। यानी नई सरकार की कमान बरादर के हाथों में होगी और अखुंदजादा इसके सर्वेसर्वा होंगे।
करीमी ने कहा कि इस्लामिक अमीरात (अफगानिस्तान का नया नाम) के नेताओं, पिछली सरकार के नेताओं और अन्य प्रभावशाली नेताओं के साथ एक समावेशी अफगान सरकार बनाने पर विचार-विमर्श का दौर आधिकारिक रूप से समाप्त हो गया है। सरकार गठन को लेकर वे एक आम सहमति पर पहुंच गए हैं। हम एक कामकाजी कैबिनेट और सरकार की घोषणा हफ्तों में नहीं बल्कि कुछ ही दिनों में करने वाले हैं।
माना जा रहा है कि तालिबान अपनी सरकार के बारे में कोई भी घोषणा करने से पहले अमेरिकी सैनिकों की पूर्ण वापसी की प्रतीक्षा कर रहा था। एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम न जाहिर करने देने की शर्त पर कहा कि अखुंदजादा और बरादर जल्द ही काबुल में सार्वजनिक रूप से सामने आएंगे। बता दें कि अफगानिस्तान से अमेरिकी और नाटो सैनिकों की वापसी पूरी तरह से हो गई है और इस तरह से 19 साल, 10 महीने और 25 दिन बाद यानी करीब 20 साल बाद एक बार फिर अफगानिस्तान पर तालिबान का पूरी तरह से कब्जा हो गया है। बता दें कि अमेरिका ने 9/11 हमले के बाद करीब 7 अक्तूबर, 2001 से अफगानिस्तान में तालिबान के खिलाफ अपना अभियान शुरू कर दिया था। जब अमेरिका ने अफगानिस्तान पर हमला किया उस वक्त वहां पर तालिबान का ही शासन था।
अमेरिकी सैनिकों की वापसी के बाद तालिबान के बीच उत्साह का माहौल है। उनके सामने चुनौतियां भी काफी हैं, वे अब एक कार्यशील सरकार स्थापित करना चाहते हैं। अमेरिका द्वारा सहायता में कटौती और बढ़ती मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने के बाद नए तालिबान के नेताओं को आर्थिक संकट से बचना होगा। इतना ही नहीं, अलग-अलग आतंकी संगठनों के साथ गृहयुद्ध से बचना होगा। बता दें कि अखुंदजादा वर्तमान में कंधार में हैं, जहां उन्होंने शीर्ष तालिबान और अन्य अफगान नेताओं के साथ तीन दिवसीय सम्मेलन का नेतृत्व किया।