यह देश सचमुच ‘सती द्वारा शापित देश’ है : श्वेता दीप्ति
ॐ सर्वे भवन्तु सुखिन: -डॉ श्वेता दीप्ति डॉ श्वेता दीप्ति, सम्पादकीय, हिमालिनीअक्टूबर २०२३ अंक। इजराइल
ॐ सर्वे भवन्तु सुखिन: -डॉ श्वेता दीप्ति डॉ श्वेता दीप्ति, सम्पादकीय, हिमालिनीअक्टूबर २०२३ अंक। इजराइल
डॉ श्वेता दीप्ति, सम्पादकीय हिमालिनी अंक सेप्टेंबर । भारत में जी २० का सम्मेलन बहुत
डॉ श्वेता दीप्ति, सम्पादकीय हिमालिनी, अंक अगस्त । हमारा पड़ोसी मित्र राष्ट्र भारत अपनी स्वतंत्रता
डॉ श्वेता दीप्ति, सम्पादकीय हिमालिनी, अंक जुलाई । अजन्मा के लिए बहस और जन्मसिद्ध के
डॉ श्वेता दीप्ति, हिमालिनी अंक मई (सम्पादकीय) । नेपाल में भ्रष्टाचार नियंत्रण और सुशासन की
डॉ श्वेता दीप्ति, सम्पादकीय हिमालिनी अंक फरवरी । १५ जनवरी की सुबह नेपाल के लिए
शक्ति की पूजन का पवित्र महीना आश्विन, जब सारा हिन्दू समाज माँ दुर्गा की आराधना
डा. श्वेता दीप्ति शक्ति की पूजन का पवित्र महीना आश्विन, जब सारा हिन्दू समाज माँ
डा श्वेता दीप्ति, हिमालिनी अंक जून 022 । किसी भी देश के युवा अपने देश
इस बार अन्तर्राष्ट्रीय नारी दिवस का थीम है, ‘एक स्थायी कल के लिए आज
काठमांडू , हिमालिनी फ़रवरी अंक सम्पादकीय | राष्ट्रधर्म सभी धर्मों से सर्वोच्च होता है और
कृप्या इसे क्लिक करें “राह कठिन थी किन्तु हौसला बुलंद था” सम्पादकीय, जनवरी २०२२ |
प्रकृति का संचारक सूर्य हमारी जीवन्त उपासना का केन्द्र है । इसी मान्यता को स्थापित
या देवी सर्वभूतेषू शक्तिरूपेण संस्थिता । नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।। डा.श्वेता दीप्ति, (सम्पादकीय हिमालिनी
हम उस देश में साँसे ले रहे हैं जहाँ सबकुछ औरों के भरोसे चलता
सम्पादकीय, हिमालिनी ,अप्रील २०२१ अंक, पिछले कुछ दिनों से काठमान्डू के आकाश में पर्यावरण प्रदूषण
सचमुच यह समय आश्चर्यचकित होने का है हिमालिनी, सम्पादकीय, मार्च २०२१ अंक । इन दिनों
शक्ति–प्रदर्शन का विद्रूप तमाशा हिमालिनी, (सम्पादकीय) अंक फरवरी,2021।नेपाल की राजनीति अपने इतिहास में एक महत्वपूर्ण
हिमालिनी 2021 जनवरी अंक, (सम्पादकीय) | यों तो हर साल अपने पीछे कई दास्तान छोड़
सम्पादकीय : हिमालिनी २०२० डिसेम्वर अंक | हमारी जिंदगी में सुख और दुःख दोनों लगे
<pre>जिन्दगी से हारते हम : डॉ.श्वेता दीप्ति सितम्बर २०२० अंक। महामारी का त्रास, रोज मौत
<pre>जिन्दगी से हारते हम : डॉ.श्वेता दीप्ति सितम्बर २०२० अंक। महामारी का त्रास, रोज मौत
सम्पादकीय, हिमालिनी अंक अक्टूबर 2020 | महामारी का असली चेहरा तो अभी दिखा ही नहीं
ॐ सर्वे भवन्तु सुखिनः। सर्वे सन्तु निरामयाः। सर्वे भद्राणि पश्यन्तु। मा कश्चित् दुःख भाग्भवेत्।। ॐ
देश प्राकृतिक आपदा, वैश्विक महामारी के साथ अदूरदर्शिता का भी शिकार हो रहा है
सियासत का असली चेहरा नजर आता है लहू में डूबा अब ये चाँद नजर
हर ओर अफरातफरी का माहोल है । लोग डरे हुए हैं और अपवाहों से जूझ रहे
‘बड़े भाग मानुष तन पावा’ उद्यमेन हि सिध्यन्ति कार्याणि न मनोरथैः । न हि सुप्तस्य सिंहस्य
हिन्दू संकृति और आस्श्विन मास हिमालिनी अंक अगस्त , सितंबर 2019 (सम्पादकीय ) | हिन्दू
क्यों हार जाता है मन ? हिमालिनी,अंक अगस्त,2019 (सम्पादकीय)| आत्महत्या । एक डरावना शब्द । एक शब्द,
हिमालिनी अंक जुन २०१९ |(सम्पादकीय) मित्र राष्ट्र भारत में एक बार फिर से भाजपा की
हिमालिनी, सम्पादकीय, अंक मई 2019 |विचार एवं अभिव्यक्ति की स्वतन्त्रता लोकतन्त्र की प्राणवायु की भांति
नारी को देवी नहीं सिर्फ इंसान समझें स्वभावो नोपदेशेन शक्यते कर्तुमन्यथा । सुतप्तमपि पानीयं पुनर्गच्छति शीतताम् ।।
एकवर्णं यथा दुग्धं भिन्नवर्णासु धेनुषु । तथैव धर्मवैचित्त्यं तत्वमेकं परं स्मृतम् ।। आकाशात् पतितं तोयं यथा गच्छति
सर्वग्राह्य हिन्दी भाषा को संवैधानिक दर्जा प्राप्त हो आज हिन्दी २२ देशों में करीब १००
साहित्यसङ्गीतकलाविहीनः साक्षात्पशुः पुच्छविषाणहीनः हिमालिनी, अंक डिसेम्वर 2018, (सम्पादकीय ) भर्तृहरि नीतिशतक में कहा गया है
हिमालिनी, अंक नोभेम्बर 2018, (सम्पादकीय ) हिन्दू धर्म या यूँ कहूँ कि सनातन हिन्दू धर्म
माता के रूप में पूजी जाने वाली नारी आज डर के साए में साँस ले
नीति और नीयत पर सवाल हिमालिनी, अंक सितंबर,२०१८, सम्पादकीय प्रहरी हिरासत में राममनोहर यादव की
सम्पादकीय, हिमालिनी अंक अगस्त २०१८ | सदियों लगा हमें आदिम आदिवासी जीवन को त्याग कर
प्रधानमंत्री की सोच सराहनीय परन्तु समयानुकूल नहीं सम्पादकीय, हिमालिनी, अंक जुलाई २०१८ | मानसून की
सम्पादकीय,हिमालिनी अंक जून 2018 । आदिगुरु श्री शंकराचार्य जी का मत है कि “अप्राप्त वस्तु
ठंडे पड़े रिश्तों में गर्माहट के आसार सम्पादकीय, हिमालिनी, मई अंक 2018 । भारतीय
पूर्वाग्रह से ग्रसित विचार और वर्चस्व की भावना, कभी–कभी गम्भीर परिस्थितियाँ और परिणाम को जन्म
काठमांडू | राजनीतिक अस्थिरता के बीच ही हमने २०१८ का सफर शुरु कर दिया है
( देश की जनता स्थायित्व खोज रही है, सम्पादकीय- दिसम्बर २०१७ ) जनता के बीच
श्वेता दीप्ति, हिमालिनी, अक्टूबर अंक । संसद विघटित हो चुका है और भूतपूर्व साँसद एक
पहाड़ का दर्द भी अलग नहीं है |(सम्पादकीय ) हिमालिनी, अगस्त अंक | प्रकृति
श्वेता दीप्ति, कहीं खुशी, कहीं गम, सम्पादकीय (जुलाई अंक ) बारिश का मौसम इंतजार का
अनुमानतः छः लाख नेपाली नागरिक कतार में हैं जिनका भविष्य फिलहाल अँधेरे में है ।
यह गहन प्रश्न कैसे समझाएँ ? दस बीस अधिक हों तो हम नाम गिनाएँ ।
चुनावी चिन्ह पार्टियों को प्राप्त नहीं हुए हैं, मतदाताओं की नामावली सूची नदारद है, ऐसी
सरकार का कहना है कि सप्तरी में जो हुआ उसका आदेश नहीं था, तो क्या
जब भी देश किसी निर्णायक मोड़ पर होता है और जनता की आंखें किसी परिणाम
हिन्दी भाषा प्रेम,मिलन और सौहार्द की भाषा है। यह मुख्यरूप से आर्यों और पारसियों की
खुश रहो, क्योंकि उनके जेब भरे हुए हैंश्वेता दीप्ति, १९-०१६, (सम्पादकीय,अक्टूबर अंक), शारदीय नवरात्र की
वर्ष-१९,अंक-१,मेई २०१६ (सम्पादकीय) वक्त की धार और मार दोनों ही बहुत तेज होती है ।
वर्ष-१९,अंक-१,अप्रिल २०१६ (सम्पादकीय) आत्मनिर्भरता मनुष्य को सबल बनाता है और सबल मनुष्य समाज को और
वर्ष-१९,अंक-१,मार्च २०१६ (सम्पादकीय)मौसम अपनी करवटें बदल चुका है । बसन्ती बयार और फाल्गुनी फिजा ने
वर्ष-१९,अंक-१,फरवरी २०१६ (सम्पादकीय)अनिश्चितताओं का दौर जारी है, समाप्ति के आसार नजर नहीं आ रहे ।
वर्ष-१९,अंक-१,जनवरी २०१६ (सम्पादकीय) बिना किसी विशेष उपलब्धि के बीता हुआ वर्ष नेपाल की जनता को
सम्पादकीय राजधानी में जितनी तेज सर्द हवाएँ चल रही हैं, उतनी ही तेज सरगर्मी सत्ता
न तुम बदले न मौसम बदला, दिलों के जज्बात जरूर बदल गए । भाईचारा, सद्भाव,
सम्पादकीय देश ने नए संविधान को पाया है । निःसन्देह यह एक अविस्मरणीय क्षण होता