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संपादकीय

यह देश सचमुच ‘सती द्वारा शापित देश’ है : श्वेता दीप्ति

ॐ सर्वे भवन्तु सुखिन: -डॉ श्वेता दीप्ति डॉ श्वेता दीप्ति, सम्पादकीय, हिमालिनीअक्टूबर २०२३ अंक। इजराइल

नेपाल कभी गुलाम नहीं रहा लेकिन इसका अपनों से ही संघर्ष का लम्बा इतिहास है : श्वेता दीप्ति

डॉ श्वेता दीप्ति, सम्पादकीय हिमालिनी, अंक अगस्त । हमारा पड़ोसी मित्र राष्ट्र भारत अपनी स्वतंत्रता

व्यक्तिगत धन और स्वार्थ, राजनीति को भ्रष्ट करते हैं – नेल्सन मंडेला

डॉ श्वेता दीप्ति, हिमालिनी अंक मई (सम्पादकीय) । नेपाल में भ्रष्टाचार नियंत्रण और सुशासन की

बड़े बेआबरू हो कर, तेरे कूचे से हम निकले : डा श्वेता दीप्ति

काठमांडू , हिमालिनी फ़रवरी अंक सम्पादकीय | राष्ट्रधर्म सभी धर्मों से सर्वोच्च होता है और

शक्ति ही जीवन है, शक्ति ही धर्म है, शक्ति ही सत्य और सर्वत्र है : श्वेता दीप्ति

या देवी सर्वभूतेषू शक्तिरूपेण संस्थिता । नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।। डा.श्वेता दीप्ति, (सम्पादकीय हिमालिनी

प्रकृति के असीमित दोहन का परिणाम मानव भुगत रहा है : श्वेता दीप्ति

सम्पादकीय, हिमालिनी ,अप्रील २०२१ अंक, पिछले कुछ दिनों से काठमान्डू के आकाश में पर्यावरण प्रदूषण

देश अँधेरे सुरंग के मुहाने पर खड़ा है, हम रोशनी तलाश रहे हैं : श्वेता दीप्ति

शक्ति–प्रदर्शन का विद्रूप तमाशा हिमालिनी, (सम्पादकीय) अंक फरवरी,2021।नेपाल की राजनीति अपने इतिहास में एक महत्वपूर्ण

कर्तव्य वह जिससे मानवता और नैतिकता हमेशा जिन्दा रहे : डॉ श्वेता दीप्ति

सम्पादकीय : हिमालिनी २०२० डिसेम्वर अंक | हमारी जिंदगी में सुख और दुःख दोनों लगे

रोम जल रहा था और नीरो बंसी बजाने में मशगूल था : श्वेता दीप्ति

ॐ सर्वे भवन्तु सुखिनः। सर्वे सन्तु निरामयाः। सर्वे भद्राणि पश्यन्तु। मा कश्चित् दुःख भाग्भवेत्।। ॐ

सत्ताधारी हर नेता का बयान नेपाल–भारत के सम्बन्धों में खाई ही पैदा कर रही है : श्वेता दीप्ति

  देश प्राकृतिक आपदा, वैश्विक महामारी के साथ अदूरदर्शिता का भी शिकार हो रहा है

हमारे पर्व हमें प्रकृति की पूजा करना सिखाते हैं : श्वेता दीप्ति

हिन्दू संकृति और आस्श्विन मास हिमालिनी  अंक अगस्त , सितंबर  2019 (सम्पादकीय ) | हिन्दू

आत्महत्या ! आखिर इसका समाधान क्या है ? : श्वेता दीप्ति

क्यों हार जाता है मन ? हिमालिनी,अंक अगस्त,2019 (सम्पादकीय)| आत्महत्या । एक डरावना शब्द । एक शब्द,

अभिव्यक्ति की स्वतन्त्रता लोकतन्त्र की प्राणवायु : डा.श्वेता दीप्ति

हिमालिनी, सम्पादकीय, अंक मई 2019 |विचार एवं अभिव्यक्ति की स्वतन्त्रता लोकतन्त्र की प्राणवायु की भांति

 नारी को देवी नहीं सिर्फ इंसान समझें : डॉ श्वेता दीप्ति

नारी को देवी नहीं सिर्फ इंसान समझें स्वभावो नोपदेशेन शक्यते कर्तुमन्यथा । सुतप्तमपि पानीयं पुनर्गच्छति शीतताम् ।।

धर्म जीवन को संयमित करता है : श्वेता दीप्ति

एकवर्णं यथा दुग्धं भिन्नवर्णासु धेनुषु । तथैव धर्मवैचित्त्यं तत्वमेकं परं स्मृतम् ।। आकाशात् पतितं तोयं यथा गच्छति

हिंदी उर्वरा है, इसमें भाव प्रवणता है तथा व्याकरण से अनुशासित है : डा.श्वेता दीप्ति

सर्वग्राह्य हिन्दी भाषा को संवैधानिक दर्जा प्राप्त हो आज हिन्दी २२ देशों में करीब १००

प्रत्येक साहित्यकार अपने देश के अतीत से प्राप्त विरासत पर गर्व करता है : श्वेता दीप्ति

साहित्यसङ्गीतकलाविहीनः साक्षात्पशुः पुच्छविषाणहीनः हिमालिनी, अंक डिसेम्वर 2018, (सम्पादकीय ) भर्तृहरि नीतिशतक में कहा गया है

आहः प्रकृति हमें कितना देती है : श्वेता दीप्ति

हिमालिनी, अंक नोभेम्बर 2018, (सम्पादकीय ) हिन्दू धर्म या यूँ कहूँ कि सनातन हिन्दू धर्म

काला झंडा दिखाना देशद्रोह कैसे हो गया ? : श्वेता दीप्ति

नीति और नीयत पर सवाल हिमालिनी, अंक सितंबर,२०१८, सम्पादकीय प्रहरी हिरासत में राममनोहर यादव की

मौन सरकार, लाचार तंत्र और बेजुवान जनता इस देश की नियति है : श्वेता दीप्ति

 प्रधानमंत्री की सोच सराहनीय परन्तु समयानुकूल नहीं सम्पादकीय, हिमालिनी, अंक जुलाई २०१८ | मानसून की

विवादों ही विवादों में नेताओं के वादे कहीं खोने लगे हैं : श्वेता दीप्ति

पूर्वाग्रह से ग्रसित विचार और वर्चस्व की भावना, कभी–कभी गम्भीर परिस्थितियाँ और परिणाम को जन्म

“पाकिस्तान भूटान या नेपाल नहीं है” परवेज मुसर्रफ की उक्ति पर नेपाल चुप क्यों : श्वेता दीप्ति

खुश रहो, क्योंकि उनके जेब भरे हुए हैंश्वेता दीप्ति, १९-०१६,  (सम्पादकीय,अक्टूबर अंक), शारदीय नवरात्र की