जनकपुर चुरोट काराखाना क्यों बन्द किया गया
मधेश का दर्भाग्य
मुझे बहुत दुःख है, मधेश के ही नहीं एक समय नेपाल का ही सबसे बडा जनकपुर चुरोट कारखाना आज सदा के लिए बन्द कर दिया गया है । राज्य पक्ष जो चाहता था उसी को हाँ में हाँ मिला मधेश के मसीहा कहलाने वाले मधेशी नेताओं ऐसा किया है । नेपाली कांग्रेस का यह कारखाना लाने में सबसे बडा योगदान रहा । इसे बचाने में नेपाली काँग्रेस ने भरपूर कोशीश की परन्तु मधेशी नेताओं ने कभी एमाओवादी के साथ तो कभी एमाले के साथ हाथ मिलाकर कारखाना बन्द करा दिया । यह बहुत बडेÞ दर्ुभाग्य बात है ।
मै राज्य सेे अनुरोध करुंगा कि इस कारखाना की सम्पति से मधेश में ही एक नयाँ कारखाना निर्माण किया जाए । और नये तरिके से सञ्चालन करें । राज्य के किसी भी कल कारखाना में राजनीतिकरण नहीं होना चाहिए । उद्योग व्यवसाय राज्य का मेरुदण्ड होता है, इसे सबको बचाना होगा ।
चन्द्रमोहन यादव
नेकाँ केन्द्रिय सदस्य
षडयन्त्र के चलते बन्द हुआ है
जनकपुर चुरोट कारखाना बन्द होना कोई नई बात नहीं है, इसे तो बन्द होना ही था । इससे पहले भी जनकपुर का सर्ुर्ती कारखाना और विराटनगर के जूट मिल बन्द हो चुका है । व्यक्तिगत स्वार्थ और लाभ के कारण कारखाना बन्द हुआ था जो राज्य सरकार की निरीहपना है । २२(२३ वर्षों से खसवादी शासक से मधेशी जनता विशेष पीडित रही है । उसी समय से मधेश के कल कारखाना धराशायी होते गए । जचुकाली भी इसी का एक उदाहरण है । २३ वर्षे दरमियान में इसे खोखला कर दिया था ।
जनकपुर चुरोट काखाना बन्द कराने में भूमाफिया व्यापारीयों का भी हाथ है । वे चाहते था कि कारखाना बन्द हो जाए और सस्ते दर रेट में जमीन हाथ लग जाए । हमने बारम्बार इसके खिलाफ आवाज उर्ठाई परन्तु किसी ने नहीं सुना । अफसोस है कि भूमाफिया कारखाना बन्द कराने में सफल रहा ।
संजय साह
पर्ूव राज्यमन्त्री
नेता, नेपाल सद्भावना पार्टर्ीीूबाने में कर्मचारी सबसे आगे
जनकपुर चुरोट कारखाना डूबाने में सरकार, राजनीतिकर्मी जितना जिम्मेवार हैं, उससे कम कर्मचारी भी नहीं हैं । २०४६ साल के बाद जचुकालि में कर्मचारी कम, नेता ज्यादा हो गए । काम से ज्यादा नेतागिरी करते थे । बेइमानी की हदत तब हो गई, जब कार्यालय में हाजिर करके कर्मचारी दिनभर लापत्ता रहते थे ।
अपना स्वार्थसिद्ध करने के अलावा उन लोगों ने कारखाना को बचाने कोई योगदान नहीं दिया । अन्तिम समय में जो कारखाना के महाप्रबन्धक आते थे तो कर्मचारी युनियन उसके विरोध में अधिकांश समय खर्च करते थे । विरोध की जडÞ कहाँ थी, यह किसी को मालूम नहीं है । लेकिन विरोध, कारखाना डूबाने के उद्देश्य से होता था । विरोध की प्रकृति और जचुकालि बचाने में उदासीन दिखनेवाले कर्मचारी सब क्या चाहते थे, अन्त तक किसी को मालूम नहीं हुआ ।
सुजीत कुमार झा
पत्रकार
नेता एवं युनियन की लापरवाही
मधेश में रोजगारी का अवसर प्रदान करनेवाला, जीवनदाता जनकपुर चुरोट कारखाना, वीरगञ्ज चीनी मिल एवं विराटनगर के वर्षो पुराना जुट मिल, कृषि औजार कारखाना बन्द होना मधेश के नेतागण एवं यूनियन की लापरवाही का नतीजा है । व्यावसायीक विकास में राजनीति कभी नहीं होनी चाहिए । प्रजातन्त्र मंे अपहेलित जनकपुर चुरोट कारखाना आज बन्द हो गया है । इसका दोषी राज्य पक्ष ही नहीं, मधेशी नेता भी हैं । मधेशी नेता सत्तालोलुपता के कारण मधेश के विकास एवं मुद्दों को भूल चुके हैं । सत्ता लोभ के कारण मधेशी दल टुकडे-टुकडÞे नहीं होते तो मधेश के बहुत सारे मुद्दे समाधान हो जाते ।
अगर मेधशी दल अपने आप को मधेशी सावित करना चाहते हैं तो अभी भी बहुत कुछ करना बाँकी है । कम से कम जचुकालि के सम्पति को पुनः नये ढंग से व्यवस्थित करने पर एक नयां रास्ता निकल सकता है । मधेश की सम्पति मधेश में ही प्रयोग हो, ऐसी सोच के साथ आगे आवें ।
विजय कुमार साह
व्यापारी, जनकपुर