Fri. Mar 29th, 2024
दशहरे में पूजापाठ तो नहीं करता। सामाजिक और पारिवारिक परंपरानुसार परिवार का बडÞा बेटा होने के नाते सम्पर्ूण्ा परिवार मेरे यहाँ एक साथ मिलकर टीका और शुभकामना आदान-प्रदान करते हैं। मेरी ९४ वषर्ीया माताजी श्रीमती बालिकादेवी पौडेल से हम लोग आशर्ीवाद ग्रहण करते हैं। इस बार मेरे जन्मस्थल खिदिम, आर्घर्ााँची, लुम्बिनी अंचल के एक कार्यक्रम में सहभागी होने के लिए उधर जाने का विचार है। साल में एक बार ही सही सारा परिवार एक जगह मिलजुल कर खुशियाँ मनाते हैं। इस पर्व का सब से बढिÞया पक्ष यही है। और हाँ, किसी भी पर्व और त्यौहार में फिजूलखर्ची, तडÞक-भडÞक नहीं होनी चाहिए।
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मोदनाथ प्रश्रति
वरिष्ठ नेता नेकपा एमाले, तथा साहित्यकार
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डा. गौरीशंकर लाल दास
समाजसेवी
मैं पूजापाठ करने के अतिरिक्त विभिन्न शक्तिपिठों में जाकर दर्शन करता हूँ। कहाँ जाना है इसके बारे में अभी विशेष योजना नहीं बना पाया हूँ। लेकिन इस वर्षकाठमांडू के फुल्चौकी तथा नागार्जुन जाकर पूजापाठ करूंगा। हमारे समाज में विशेष कर पहाडी समुदाय में दशहरा को मारकाट के त्यौहार के रूप में मनाया जाता है। बलि के नाम पर निर्दोष पशुपंक्षी की हत्या की जाती है। इसलिए मैं पशुबलि के पक्ष में नहीं हूँ। दूसरी बात मांस स्वास्थ के लिए फायदेमन्द भी नहीं होता। देवी पूजा के नाम पर बलि देना अन्धविश्वास के अलावा और कुछ नहीं। पशु बलि की जगह पर फलफूल से भी काम चलाया जा सकता है। इसीलिए पशुबलि का अंत करने का आग्रह भी सभी से करता हूँ।
हम लोग अपने ही गांव, मत्सरी-६ रौतहट में हर साल दशहरा मनाते हैं। वैद्धिक, सांस्कृतिक, परम्परा अनुसार ही सब कुछ किया जाता है। इस वर्षभी हम लोग वहीं जा रहे हैं। वैसे इस वर्षऔर वर्षों की तरह हमारे परिवार में उत्साह, उमंग नहीं है। फिर भी गांव में सभी से भेट मुलकात होती है, विचार का आदान-प्रदान होता है। वैसे कोई विशेष कार्यक्रम इस बार नहीं है। सभी को हमारी ओर से विजया दशमी के अवसर पर शुभकामनाएं।
anil jha
अनिल झा, अध्यक्ष
संघीय सद्भावना पार्टी
panlaj malik
पंकज मल्लिक
प्रोग्राम अफिसर, भारतीय राजदूतावास, काठमांडू
नेपाली, पहाड के हों या तर्राई के सभी के लिए दशहरा बहुत ही महत्त्वपर्ूण्ा त्यौहार है। इसी दशहरे में कर्मचारियों को लम्बी छुट्टी मिलती है। कोई भी कर्मचारी वर्षमें एक बार लम्बी छुट्टी तो चाहता ही है। और समय में तो कर्मचारी लोग प्रायः व्यस्त ही रहते हैं। दशहरा के पर्व में हम लोग अपने पुराने दोस्तों से और सम्बन्धियों से मिलते हंै, पुरानी यादों को ताजा करते हैं। मैं सभी से आग्रह करना चाहता हूँ कि इस दशहरे को स्मरणीय रूप में मनाया जाए। उसी तरह मैं भी अपने होमटाउन में जाकर अपने दोस्तों से मिलने-जुलने की तैयारी में हूँ।
असत्य के ऊपर सत्य की विजय के रूप में दशहरा मनाया जाता है। इस वर्षमैं काठमांडू में ही दशहरा मना रही हूंँ। पूरे नवरात्र भर दर्ुगापूजा के साथ साथ विभिन्न शक्तिपीठों का दर्शन भी किया जाता है। खासकर मंै पशुपति जाती हूँ।
हम राजनीतिक दल के नेताओं के लिए यह दशहरा और भी महत्त्वपर्ूण्ा हो गया है क्योेंकि देश में संविधान सभा के लिए दूसरा चुनाव होने जा रहा है। और इसी चुनाव के माध्यम से नेपाल के लिए गणतांत्रिक संविधान बनाया जाएगा। लेकिन जनता की चाह के अनुसार संविधान नहीं चाहने वाले और संघीयता विरोधी तत्त्व अभी सक्रिय हो गए है। ऐसी अवस्था में हम लोग कामना करते हैं कि वैसी दुष्ट शक्तियों की पराजय हो। दशहरा का मतलब असत्य के ऊपर सत्य का विजय है। देश में व्याप्त सभी सामाजिक और राजनीतिक अराजकता नवदर्ुगा भवानी के प्रताप से दूर होगी, ऐसा मेरा विश्वास है।
chanda chaudhari
चन्दा चौधरी,
केन्द्रीय सदस्य, तमलोपा
दशहरा मधेसी और पहाडियों का संयुक्त त्यौहार है। इस त्यौहार में विशेषकर शक्ति की आराधना की जाती है। नौ दिनों तक देवी दर्ुगा भवानी की विविध रूप से पूजा आरधना की जाने वाली इस त्यौहार मंे परिवार के लोग एक ही जगह इकठ्ठा होकर खुशी मनाते हैं। अन्धानुकरण के कारण बहुत से परिवार में दशहरा को बडी तडÞक-भडÞक के साथ मनाया जाता है। वैसे वर्षदिन के बाद आने वाले इस त्यौहार में अपनी आथ्ािर्क अवस्था को देखत हुए अगर कोई थोÞडा बहुत तडÞक-भडÞक करता है तो उसे अन्यथा नही मानना चाहिए। त्यौहार के नाम पर मजा भी होना चाहिए। जो विदेश में हंै वो घर आते हैं, दुश्मनी जितनी भी हो त्यौहार के अवसर पर मेल मिलाप हो जाता है। व्यक्तिगत रूप से मैं इस त्यौहार में पूजापाठ को ही प्राथमिकता देता हूँ। पूजापाठ, होम, फुलपाती, प्रसाद वितरण और पण्डित को दान में ही मेरा दशहरा बितता है। दर्ुगा सप्तशती, चण्डी सम्पर्ूण्ा मंत्र पाठ कर मेरा दशहरा बितता है। दशहरा मंे मंै घर छोडÞ कर कहीं नहीं जाता। विसं २०४४ साल से ही दशहरा के मौके पर मैं घर छोडÞ कर कहीं नही गया हूँ। इस वर्षभी दशहरा में मंै घर परिवार के सदस्य के साथ ही मनाने की योजना है।
उदयकान्त झा, अध्यक्ष सहयोगी विकाश बैंक
उदयकान्त झा, अध्यक्ष
सहयोगी विकाश बैंक
लक्ष्मीनारायण चौधरी, अध्यक्ष नेपाल कलवार कल्याण समिति
लक्ष्मीनारायण चौधरी, अध्यक्ष
नेपाल कलवार कल्याण समिति
देवताओं द्वारा महिषासुर को पराजित कर विजय प्राप्त करने की याद में हम परम्परा से दशहरा मनाते आ रहे हैं। सत्य की जीत और असत्य की हार हर्ुइ थी। देवताओं और दानव के बीच हर्ुइ लर्डाई में देवताओंं की जीत हर्ुइ उससे समग्र मनुष्य जाति का उद्धार हुआ ऐसी मेरी धारणा है।। बात चाहे जो भी हो, सामाजिक और सांस्कृतिक सद्भाव के लिए दर्ुगापूजा हिन्दुओं का एक महान और राष्ट्रीय पर्व है। व्यक्तिगत बात करूँ तो बहुत बर्षों से मैंने काठमांडू में ही दशहरा मनाया है। लगभग २०३८ साल से मैं काठमांडू में रहता हूँ और कभी-कभी ही अपने गाँव रौतहट के गौर जाता हूँ। लेकिन गाँव नहीं जाकर काठमांडू में रहकर भी हम भव्य तरीके से दर्ुगापूजा मनाते हैं। और इसके लिए काठमांडू के कालीमाटी में रहने वाले पूरे मधेशी समुदाय के लोग मिल जुल कर संयुक्त रूप में भव्य रूप से दर्ुगा देवी की मर्ूर्ति स्थापित करते हैं और वहाँ दशों दिन माँ दर्ुगा की आराधना करते हैं। मधेशी की अगुवाई में प्रत्येक साल होने वाले इस महोत्सव में मधेशियों के अलावे नेवार तथा अन्य ब्राम्हणों की सहभागिता रहती है। उसी तरह मारवाडÞी समुदाय के लोग भी जैन भवन में धूमधाम से दशहरा मनाते हैं। जो जैसे चाहे वैसे पूजा कर सकता है। हमें तो शक्ति की आराधना करनी है क्योंकि यह हमारे अंदर जो नकारात्मक प्रवृत्ति है, उसे हटाने में मदद करती है।
दशहरा हिन्दूओं का राष्ट्रीय त्यौहार है। लेकिन विडम्बना है कि अब यह राष्ट्र धर्म निरपेक्ष हो गया है। संवैधानिक रूप में अब यह हिन्दू राज्य नहीं रह गया। राजनीतिक दलके नेताओं ने अपने स्वार्थ के कारण देश के बारे में सोचा ही नहीं जिसके कारण से ऐसा हुआ है। लेकिन भावात्मक रूप में अब भी नेपाल हिन्दू राज्य ही है। मेरा विश्वास है कि दशहरा जैसा महान पर्व इस भावना को और भी शक्तिशाली और मजबूत बनाएगा। देवी शक्ति की आराधना, ध्यान आदि के माध्यम से यह पर्व आम नेपाली के बीच की एकता और भी मजबूत बनाएगा। पूजा और आराधना से हमारे अंदर जो दुष्ट चरित्र है, उसका अंत होगा और सबल मानव का निमार्ण्र्ााोगा। इस वर्षके दशहरा में मैं प्रत्येक व्यक्ति के चारित्रिक सुधार के लिए माँ भगवती से पर््रार्थना करूँगा। एक और बात दशहरा यहाँ केवल हिन्दू समुदाय ही नहीं मनाते, वरन बुद्धमार्गी तथा अन्य समुदाय भी दशहरा का उतना ही सम्मान करतें हैं, जितना हिन्दू लोग करते हैं। इस तरह सामाजिक सद्भाव के दृष्टिकोण से भी यह त्यौहार बहुत महत्त्वपर्ूण्ा है।
अखिलेश्वरप्रसाद सिंह अध्यक्ष, जनता पार्टी  नेपाल
अखिलेश्वरप्रसाद सिंह
अध्यक्ष, जनता पार्टी नेपाल
मनीष सुमन, महासचिव सद्भावनापार्टी
मनीष सुमन, महासचिव सद्भावनापार्टी
दशहरा हिन्दुओं का महान त्यौहार है। इसमें मधेसी या पहाडÞी नहीं होता। हाँ, दशहरा मनाने का तरीका हर जात और समुदाय मे फरक-फरक है। चाहे जो जिस तरह मनाये मगर दशहरा में देवी दर्ुगा माता की आराधना को ही प्राथमिकता दी जाती है। हम राजनीतिक दल के नेताओं के लिए इस वर्षका दशहरा चुनावमय ही रहेगा। हम सब नेता और कार्यकर्ता राजनीतिक कार्यक्रम लेकर गाँव जाएंगे। व्यक्तिगत रूप में मैं दशहरा के दौरान राजनीतिक कार्यक्रम में ही व्यस्त रहूंगा। यह राजनीतिक कार्यक्रम संविधान सभा के दूसरे निर्वाचन पर ही केन्द्रित रहेगा। यही संविधान सभा देश में स्थायी शान्ति के साथ-साथ जन इच्छा के अनुरूप संघीय गणतान्त्रिक नेपाल के लिए संविधान निर्माण करेगी।

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