आनुसानधान
आँक्सीटोसिन से पैदा होता है विद्वेष
नीदरलैंड में एम्र्सर्टडम विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं का कहना है कि अगर दुधारु पशु से ज्यादा दूध लेने के लिए उसे ‘आँक्सीटोसिन’ का इंजेक्शन दिया जाए तो उस दूध का सेवन करने वाले में कई विकार पैदा हो सकते हैं । शोध के मुताबिक इस तरह के दूध के सेवन से अपने समुदाय और जाति को दूसरे से श्रेष्ठ समझने का भाव बलवती होता है । ये शोध हाल में अमेरिकन एसोशिएशन आँफ एडवांसमेंट आँफ साइंस की पत्रिका ‘प्रोसीडिंग्स नेशनल अकेडमी आँफ साइंस’ में प्रकाशित हुआ है । कई स्थानों पर दूध विक्रेता और पशुपालक अपने मवेशियों में दूध का उत्पादन बढÞाने के लिए नियमित तौर पर आँक्सीटोसिन इंजेक्शन का इस्तेमाल करते हैं ।
नींद की कमी से टूट सकते है रिश्ते
नींद की कमी को एक बडÞी स्वास्थ्य समस्या के रुप में देखा जाना चाहिए । मेंटल हेल्थ फाउंडेशन की एक रिपोर्ट ‘स्लीप मर्ैर्टस’ में कहा गया है कि नींद की कमी का रिश्तों पर असर दिखता है । साथ ही आप में ऊर्जा की कमी नजर आती है । और आप किसी काम में ध्यान नहीं दे पाते । नींद की कमी को पहले ही अवसाद, हृदय रोग और रोग प्रतिरोधक क्षमता की कमी से जोडÞ कर देखा जाता रहा है । अब ये रिपोर्ट डाँक्टरों के इसके लक्षणों की पहचान के लिए और प्रशिक्षण देने की बात कहती है । ब्रिटेन में किए गए एक आकलन में करीब ३० प्रतिशत लोगों को नींद की कमी की बीमारी से पीडिÞत पाया गया । लगभग ६,८०० लोगों ने एक आँनलाइन र्सर्वे में भाग लिया था जो कि ब्रिटेन में अब तक का अपनी तरह का सबसे बडÞा र्सर्वे है ।
कुत्ते बता देंगे आंत के कैंसर के बारे में
एक अध्ययन में पाया गया है कि अपनी सूंघने की क्षमता से कुत्ते आंत के कैंसर का पता लगा सकते हैं । जापान के वैज्ञानिकों ने पाया कि विशेष रुप से प्रशिक्षित लैबराडोर को स्वास्थ्य और आंत के कैंसर के पीडिÞत व्यक्ति की सांस और मल को सुंघाया गया । वैज्ञानिकों का कहना है कि कुत्ता ९५ फीसदी मामले में स्वस्थ और कैंसर पीडित व्यक्ति में भेद करने में सफल रहा । लेकिन ब्रिटेन के कैंसर शोध संस्थान का कहना है कि अभी इस दिशा में और कार्य किया जाना बाँकी है । उनका कहना है कि ये पता लगाया जाना बाँकी है कि कुत्ते किस रसायन से ये पता लगा पाए, साथ ही बडÞी संख्या में लोगों पर इसका अभी अध्ययन किया जाना है । इसके पहले किए शोध से पता चला था कि प्रतिदिन एक एस्प्रिन आंत के कैंसर से बचाव कर सकती है । आँक्सर्फड यूनिवर्सिटी ने मरीजों पर किए गए अधययन में पाया गया था कि एस्प्रिन से अनेक लोगों को मौत से बचाया जा सका । उल्लेखनीय है कि दिल की बीमारी सम्बंधी मामलों में पहले से ही बडÞी मात्रा में लोग एस्प्रिन का इस्तेमाल करते हैं । हालांकि कई स्वस्थ लोग एस्प्रिन के दुष्प्रभाव की वजह से इसका इस्तेमाल करने से परहेज करते हैं । इन शोधों से कैंसर जैसी जानलेवा बीमारी से पीडिÞत लोगों के इलाज में काफी मदद मिल सकती है । वैज्ञानिकों का मानना है कि अभी तक कैंसर को जितना जटिल समझा जा रहा था, ये उससे कहीं अधिक जटिल है ।