क्या नेपाल में हिंदुत्व की लहर चल रही है? आगामी चुनाव में खेला जाएगा हिंदुत्व कार्ड ?
क्या नेपाल में हिंदुत्व की लहर चल रही है? अगले आम चुनाव से पहले कई नेपाली विश्लेषकों का ऐसा ही अनुमान है। उन्होंने कहा है कि मौजूदा माहौल को देखते हुए नेपाल की लगभग सभी पार्टियां अगले आम चुनाव में हिंदू भावना का फायदा उठाने की तैयारी कर रही हैं। उन्होंने ध्यान दिलाया है कि पूर्व प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली की अध्यक्षता वाली कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ नेपाल (यूएमएल) की बैठक में हिंदू कार्ड खेलने पर विस्तार से चर्चा हो चुकी है। इसीलिए हाल में ओली ने हिंदू समारोहों में बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया है।
राजनीति शास्त्री भास्कर गौतम ने कहा है- ‘संभव है कि अगले आम चुनाव में हिंदू एजेंडा प्रमुख रहे। इसका एक बड़ा कारण यह है कि भारत में हिंदुत्व विचारधारा की पार्टी सत्ता में है, जिसका असर नेपाल में भी पड़ सकता है। ये संभव है कि अगले आम चुनाव में उम्मीदवार धार्मिक भावनाओं का फायदा उठाने की कोशिश करें।’ नेपाल में संघीय संसद और प्रांतीय असेंबलियों के लिए आम चुनाव अगले 20 नवंबर को होगा। विश्लेषकों के मुताबिक अतीत में अक्सर भारत के सियासी माहौल का नेपाल में असर देखा गया है।
नेपाल का संविधान घोषित तौर पर धर्मनिरपेक्ष है। लेकिन नेपाल में एक बड़ा जनमत है, तो फिर से नेपाल को हिंदू राष्ट्र बनाना चाहता है। राष्ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी इस बात की खुली वकालत करती है। राजनीतिक विश्लेषक सी.के. लाल के मुताबिक ये संभावना है कि इस बार तमाम पार्टियां हिंदू भावनाओं का लाभ उठाने की कोशिश करेंगी। लेकिन उन्होंने कहा कि भारतीय राजनीति में धार्मिक आधार पर जिस तरह का बंटवारा देखने को मिला है, वैसा नेपाल में नहीं होगा।
भास्कर गौतम ने अखबार काठमांडू पोस्ट से बातचीत में ध्यान दिलाया कि यूएमएल पार्टी रूढ़िवादी मतदाताओं को लुभाने की कोशोश में है। उन्होंने कहा- ‘यूएमएल ऐसी कंजरवेटिव ताकतों से गठजोड़ करेगी, जिनका मुख्य एजेंडा हिंदू राष्ट्रवाद है।’ खबर है कि यूएमएल राष्ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी और राष्ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी-नेपाल से चुनावी तालमेल की कोशिश कर रही है। ये दोनों पार्टियां हिंदू राष्ट्र की स्थापना के साथ-साथ नेपाल में राजतंत्र लौटाने का भी समर्थन करती हैं।
लेकिन ऐसा नहीं है कि अकेले ओली ही हिंदू धर्म को राजनीतिक औजार बनाने की कोशिश में हों। हाल ही में प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा की पत्नी आरजू राणा ने धार्मिक रिवाजों में भागीदारी की अपनी तस्वीरें सोशल मीडिया पर जारी कीं। उन तस्वीरों में प्रधानमंत्री देउबा भी उनके साथ दिखे। ये तस्वीरें काफी चर्चित रहीं। इनसे इस कयास को बल मिला की सत्ताधारी गठबंधन भी अगले चुनाव में धार्मिक मुद्दों का सहारा लेगा। पिछले महीने प्रधानमंत्री देउबा अपनी भारत यात्रा के दौरान हिंदू तीर्थ स्थल वाराणसी गए थे। उसे भी इसी बात का संकेत माना गया।
सत्ताधारी गठबंधन में दूसरी सबसे बड़ी पार्टी कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ नेपाल (माओइस्ट सेंटर) के नेता पुष्प कमल दहल की जुलाई में हुई भारत यात्रा को भी अगले चुनावों से जोड़ कर देखा गया है। दहल भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष जेपी नड्डा के आमंत्रण पर नई दिल्ली गए थे। इसे इस बात का संकेत माना गया कि वे भी हिंदुत्व की राजनीति से अपनी निकटता का संदेश देना चाहते हैं।
अमर उजाला में प्रकाशित समाचार