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विश्व आशा भरी दृष्टि से भारत की ओर देख रहा : डॉ मोहन भागवत

सबके लिए एक समान जनसंख्या नीति ,

राजेश झा, नागपुर ।राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ मोहन भागवत ने सबके लिए एक समान जनसंख्या नीति , स्वभाषा में शिक्षण और सामाजिक समरसता के साथ -साथ कुटुंब प्रबोधन की दिशा में तीव्र गति से काम करने की आवश्यकता को रेखांकित किया है।उन्होने महिलाओं की सुरक्षा ,स्वदेशी , पर्यावरण , भ्रष्टाचार निर्मूलन , व्यसनमुक्त घर -परिवार एवं समाज का निर्माण तथा सकारात्मक जीवनदृष्टि को प्रमुखता देने की बात कही और वैचारिक -सहिष्णुता पर बल देते हुए सभी देशवासियों से अपने सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन एवं राष्ट्रनिर्माण में अपने सर्वोत्तम योगदान का आवाहन किया। उन्होने संघ को धर्म -विजय की राह पर चलने की दिशा भी दी। वे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के नागपुर मुख्यालय में दशहरा के दिन आहूत होनेवाले पारम्परिक कार्यक्रम को सम्बोधित कर रहे थे जिसमें मुख्य अतिथि के रूप में प्रख्यात पर्वतारोही संतोष यादव उपस्थित थीं। इससे पूर्व डॉ भागवत ने शस्त्रों की पूजा की।

उन्होने कहा कि भारत की प्रतिष्ठा विश्व में बढ़ी है। संकट में घिरे श्रीलंका की हमने सहायता की तो रूस यूक्रेन युद्ध में हमारी नीति सराहनीय रही। हमारी बातों को आज विश्व में सुना जा रहा है।राष्ट्रीय सुरक्षा के मामले में हम स्वाबलंबी होते जा रहे हैं। हमारी अर्थव्यवस्था ठीक हो रही है। खेल के क्षेत्र में हमारी नीतियां अच्छी बनी है। ओलंपिक और पैरालंपिक खेल में हमने बेहतर किया है। नई दिल्ली में कर्तव्य पथ के उद्घाटन के समय प्रधानमंत्री के भाषण का भी उन्होंने उल्लेख किया और कहा आत्मनिर्भर भारत की आहट दिख रही है। विश्व आज भारत की ओर आशाभरी दृष्टी से देख रहा है।

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अपने सम्बोधन में सरसंघचालक ने कहा कि जनसंख्या नियंत्रण के साथ-साथ सांप्रदायिक आधार पर जनसंख्या संतुलन भी महत्वपूर्ण है, जिसकी उपेक्षा और नहीं की जा सकती क्योंकि जब भी किसी देश में जनसांख्यिकीय असंतुलन होता है, उस देश की भौगोलिक सीमाएं भी बदल जाती हैं।जनसंख्या पर दूसरे देशों का उदाहरण देते हुए कहा, “एक भूभाग में जनसंख्या में संतुलन बिगड़ने का परिणाम है कि इंडोनेशिया से ईस्ट तिमोर, सुडान से दक्षिण सुडान व सर्बिया से कोसोवा नाम से नये देश बन गये., इसलिए जनसंख्या पर नियंत्रण पाना जरूरी है। इसके लिए सरकार कानून लाए “। रोजगार सृजन में स्वदेशी संकल्पना के परिणामों की चर्चा करते हुए आपने दत्तोपंत ठेंगड़ी के जन्मशताब्दी के अवसर पर आगामी १० नवंबर से होने आयोजन का संकेत देते हुए कहा कि नौकरियों के लिए सिर्फ सरकार के भरोसे नहीं रहा जा सकता है। इसके लिए हमें लघु एवं माध्यम उद्योगों के माध्यम से स्वरोजगार लेना और दूसरों को रोजगार देना प्रारम्भ करने की आवश्यकता है।

मोहन भागवत ने हिंदू राष्ट्र की बहस पर कहा कि “दुनिया में सुने जाने के लिए सत्य को भी शक्तिशाली होना पड़ता है, यह‌ जीवन का विचित्र वास्तव है. दुनिया में दुष्ट शक्तियां भी हैं, उनसे बचने के लिए व अन्यों को बचाने के लिए भी सज्जनों की‌ संगठित शक्ति चाहिए. संघ उपरोक्त राष्ट्र विचार का प्रचार-प्रसार करते हुए सम्पूर्ण समाज को संगठित शक्ति के रूप में खड़ा करने का काम कर रहा है। संघ उपरोक्त राष्ट्र विचार को मानने वाले सबका यानी हिन्दू समाज का संगठन, हिन्दू धर्म, संस्कृति व समाज का संरक्षण कर हिन्दू राष्ट्र की सर्वांगीण उन्नति के लिए, “सर्वेषां अविरोधेन” काम करता है। ” डॉ भागवत ने कहा कि हिन्दुस्तान एक हिंदू राष्ट्र है, लेकिन हमारा किसी से विरोध नहीं है। हमें लोगों को जोड़ना है।सामाजिक समरसता की बात करते हुए आपने कहा कि “मंदिर, जल और श्मशान भूमि सबके लिए समान होनी चाहिए। हमें छोटी-छोटी बातों पर नहीं लड़ना चाहिए। इस तरह की बातें जैसे कोई घोड़े की सवारी कर सकता है और दूसरा नहीं कर सकता, समाज में कोई जगह नहीं होनी चाहिए और हमें इस दिशा में काम करना होगा।”

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कुछ लोगों द्वारा बिना प्रामाणिकता के राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पर लांछन लगाने की बढ़ती प्रवृति पर आपने कहा कि अपने दुष्कर्मों में विफल लोग ऐसी अनर्गल बातें करते हैं उनको न तो संघ के बारे में कोई जानकारी होती है और न ही उनको ऐसी कोई जानकारी प्राप्त करने की लालसा होती है। आगे मोहन भागवत ने कहा कि जो हमारे सनातन धर्म में बाधा डालती है, वह उन शक्तियों द्वारा निर्मित होती है जो भारत की एकता और प्रगति के विरोधी हैं। वे नकली कथाएं फैलाते हैं, अराजकता को प्रोत्साहित करते हैं, आपराधिक कृत्यों में संलग्न होते हैं, आतंक, संघर्ष और सामाजिक अशांति को बढ़ावा देते हैं। उन्होंने कहा, “अज्ञान, असत्य, द्वेष, भय, अथवा स्वार्थ के कारण संघ के विरुद्ध जो अपप्रचार चलता है उसका प्रभाव कम हो रहा है. क्योंकि संघ की व्याप्ति व समाज संपर्क में-यानी संघ की शक्ति में लक्षणीय वृद्धि हुई है.”

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सरसंघचालक ने कहा कि “हमारी अर्थव्यवस्था सामान्य स्थिति में लौट रही है-विश्व अर्थशास्त्री भविष्यवाणी कर रहे हैं कि यह आगे बढ़ेगा। खेलों में भी हमारे खिलाड़ी देश को गौरवान्वित कर रहे हैं। परिवर्तन दुनिया का नियम है, लेकिन सनातन धर्म पर दृढ़ रहना चाहिए।”आगे उन्होंने कहा कि यह एक मिथक है कि करियर के लिए अंग्रेजी महत्वपूर्ण है। डॉ भागवत ने महिला सशक्तिकरण को प्रमुखता देते हुए कहा – जो सारे काम पुरुष करते हैं, वह महिलाएं भी कर सकती हैं। लेकिन जो काम महिलाएं कर सकती हैं, वो सभी काम पुरुष नहीं कर सकते। महिलाओं को बराबरी का अधिकार, काम करने की आजादी और फैसलों में भागीदारी देना जरूरी है। हम इस बदलाव को अपने परिवार से ही शुरू कर रहे हैं। हम अपने संगठन के जरिए समाज में ले जाएंगे। जब तक महिलाओं की बराबरी की भागीदारी निश्चित नहीं की जाएगी, तब तक देश की जिस उन्नति की कल्पना हम कर रहे हैं, उसे प्राप्त नहीं किया जा सकता।

इस अवसर पर मुख्य अतिथि पर्वतारोही संतोष यादव उपस्थित थीं। विजयादशमी कार्यक्रम में केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी एवं महाराष्ट्र के उप मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस भी पूर्ण गणवेश में उपस्थित थे।

राजेश झा
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