सिन्धुली स्थित मरिण नदी में पहली बार छठ पूजा
सिन्धुली, ३१ अक्टूबर । सूर्य उपसाना के लिए महत्वपूर्ण मानेजानेवाला ‘छठ पर्व’ विशेषतः नेपाल की तराई–मधेश क्षेत्र में रहनेवाली महिलाएं हर्षोल्लास के साथ मनाती हैं । लेकिन बिगत कुछ सालों से काठमांडू घांटी लगायत पहाड़ के कई शहरी क्षेत्र में भी छठ पर्व मनानेवालों की संख्या बढ़ती जा रही है । ऐसे ही पृष्ठभूमि में सिन्धुली जिल्ला स्थित मरिण खेला (नदी) में भी पहली बार औपचारिक और विधिवत रुप में छठ पर्व मनाया गया है ।
कमलामाई नगरपालिका वार्ड नं. १ डाँढी निवासी मुरलीधर खतिवडा के परिवारिक सदस्य यशोदा शर्मा और मनिषा पोखरेल (खतिवडा) के नेतृत्व में पहली बार मरिण नदी में विधिवत छठ पूजा की गई और उगता सूर्य को अघ्र्य दिया गया । स्थानीय निवासी मुरलीधर का कहना है कि जनकपुर और विराटनगर में होनेवाला छठ पूजा में कई बार सहभागी यशोदा और मनिषा ने इस बार अपने ही गांव में छठ पूजा का आयोजन किया । उन्होंने कहा कि गांव में छठ पूजा के प्रति आस्थावान बहुत सारे लोग हैं, लेकिन औपचारिक रुप में पहली छठ पूजा हुई है ।
हिमालिनी से बातचित करते हुए मुरलीधर ने कहा– ‘गांव में छठ पूजा और पर्व के प्रति आस्थावान अन्य लोग भी हैं, लेकिन औपचारिक आमन्त्रण और सूचना प्रवाह ना होने के कारण उन लोगों की औपचारिक सहभागिता नहीं रही ।’ उन्होंने यह भी कहा कि अगले साल से गांव के अन्य लोग भी छठ पूजा में सहभागी होने के लिए इच्छुक दिखाई पदए हैं ।
स्मरणीय है– छठ पर्व, छइठ या षष्ठी पूजा कार्तिक शुक्ल पक्ष के षष्ठी को मनाया जाता है । सूर्योपासना का यह अनुपम लोकपर्व विशेषतः भारत बिहार, झारखण्ड, पश्चिम बंगाल, पूर्वी उत्तर प्रदेश और नेपाल के तराई क्षेत्रों में विशेष है, जो वैदिक काल से चला आ रहा है । ऋृषियो द्वारा लिखी गई ऋग्वेद मे सूर्य पूजन, उषा पूजन और आर्य परंपरा है, उसी के अनुसार छठ पर्व मानाया जाता है । विशेषतः महिलाओं में प्रचलित छठ पर्व में कई जगह पुरुष भी सहभागी होते हैं, वर्त और नियमों का पालना करते हैं, क्योंकि छठ लिंग–विशिष्ट त्यौहार नहीं है ।