गच्छदार की छटपटाहट
तीन मधेशवादी दलों का एकीकरण प्रयास शुरु होने के बाद मधेश में पहली शक्ति और राष्ट्रिय राजनीति में चौथी शक्ति के रूप में रहे फोरम लोकतान्त्रिक के अध्यक्ष विजय गच्छेदार की नींद हराम होर् गई है। संविधानसभा में चौथी शक्ति होने के नाते सत्ता बार्गेनिङ कर रहे गच्छेदार, दूसर ा कोई मधेशवादी दल ज्यादा शक्तिशाली न हो, इसलिए छोटे-छोटे अन्य मधेशवादी दलों को इकठ्ठा कर एकीकरण का प्रयास कर रहे थे।
लेकिन अन्य दलों ने उनका विश्वास नहीं किया। अन्य दलों का मानना है कि गच्छदार की यह पहल उनको सत्ता में पहुँचाने के लिए सिर्फसीढिÞयां है। उसके बाद गच्छदार मधेश और कुछ पहाड के छोटे-छोटे जनजाति पार्टिओं को लेकर मोर्चा निर्माण करने की तैयारी में लगे। उन के इस तरह के प्रयासों को शुरु में सभी ने सकारात्मक रूप में लिया था, लेकिन बाद में किसी ने विश्वास नहीं किया। सरकार में सहभागी होने के लिए ‘बार्गेनिङ पावर’ बढÞाने के उद्देश्य से गच्छदार ने संघीयता पक्षधर पार्टिओं को समेट कर मोर्चा बनाने का आरोप छोटी पार्टियों का है। मोर्चाबन्दी के लिए कुछ दलों ने तो गच्छदार को आश्वासन भी दिया है। लेकिन बहुतों ने गच्छदार के प्रति अविश्वास व्यक्त किया है। असहयोग करने वाली पार्टियों का आरोप है- राजनीति के चतुर खिलाडÞी गच्छदार, मोर्चा को सरकार में जाने के लिए अस्त्र बनाना चाहते हैं। सभासद पद की शपथ वाले दिन अर्थात् माघ ७ गते गच्छदार कुछ पार्टियों समेट कर मोर्चा घोषणा करने की तैयारी में थे।
संघीय समाजवादी, मधेश समाजवादी, फोर म गणतान्त्रिक, संघीय सद्भावना, परिवार दल, संघीय लोकतान्त्रिक मञ्च -थरुहट), नेपाः पार्टर्ीीथरुहट तर्राई पार्टर्ीीतर्राई मधेश सद्भावना पार्टर्ीीमधेश समता पार्टर्ीीदलित जनजाति पार्टर्ीीजनमुक्ति पार्टर्ीीहित कुछ पार्टर्ीीे मोर्चाबन्दी करके ४० सभासद सहित संविधानसभा में चौथी शक्ति बनने का सपना गच्छेदार सजोए हैं। इसके लिए उन्होंने एभरेस्ट होटल में उन पार्टियों की बैठक भी बुलाई। लेकिन उनका यह पहला प्रयास सफल नहीं हो पाया। मोर्चा किस लिए – और इसका भविष्य क्या है – जैसे प्रश्न सभी ने किया और तत्काल मोर्चा नहीं बनाने का फैसला लिया।
लेकिन गच्छदार इतने में ही हार मानने वाले नेता नहीं हैं। जैसे भी हो, गच्छदार एकीकृत मधेशवादी दलों से ज्यादा शक्तिशाली बनना चाहते हैं। गच्छदार समूह का मानना है कि एकीकरण प्रयास में तीन दलों ने उन लोगों को ‘वाईपास’ किया है, जिसके चलते भी गच्छदार थप व्रि्रोही बने हैं। तत्काल असफल होने के बावजूद गच्छदार चूप नहीं बैठे है। वह अभी भी सक्रिय ही हैं। गच्छदार चाहते है कि अब एकीकरण प्रयास में रहे तमलोपा, फोर म नेपाल और सद्भावना बाहेक अन्य मधेशवादी दल उनके साथ एकीकरण करें। यह नहीं हो सके तो कम से कम मोर्चाबन्दी करने की सोच गच्छदार में हैं। अगर उनका यह सपना साकार हो जाएगा तो अभी एकीकरण प्रक्रिया में रहे तीन प्रमुख दलों को बहुत बडÞा झट्का लग सकता है। क्योंकि एकीकरण के बाद महत्वपर्ूण्ा पक्ष सत्ता का बटवारा ही है। इस तरह गच्छदार शक्तिशाली बन सकते है। दूसरी बात, तीन दलों के की तुलना में उन्होंने संख्यात्मक रूप में कुछ ज्यादा ही मधेशवादी दलों को एकीकृत किया है। इस का यस भी गच्छदार को जाता है