अगर नर सुने नारी के दुख वह नर स्त्रैण कहलाता है, नारी के क्रंदन न सुनके जग बहरा हो जाता है
नुक्कड़ नाटक

प्रियांशी
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पात्र- 0
सुनिए सुनिए सुनिए
पात्र- 1
आए हैं हम सब एकजुट होके
सुनते एक कहानी हैं
कई अनसुने लोगों की
अनकही जिन्दगानी है
पात्र- 2
आइए सुनिए सबके सब
सुने हिन्दुस्तान की जनता
पुरुषों के अहंकार से
भविष्य की करें चिंता
सर्वे भवन्तु सुखिनः
से मंत्र हम गॅंवा चुके
वसुधैव कुटुम्बकम्’
जैसे श्लोक हम भुला चुके
यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते को
ठोकरों में गिरा चुके
पात्र- 3
अगर नर सुने नारी के दुख
वह नर स्त्रैण कहलाता है
नारी के क्रंदन न सुनके
जग बहरा हो जाता है
पात्र- 4
नर- नारी हैं जग दो पहिये
दोनों एक समान हैं
आर्ष ग्रंथों में कहलाते वो
प्रकृति- पुरुष महान हैं
पात्र- 5
फिर भी क्यों कुछ उस सबला
नारी को अबला बनाते हैं
जो कहलाती स्वयं शक्ति
उसे शक्तिहीन बतलाते हैं
पात्र- 6
कमजोर कहकर कमजोर बनाते
कमजोरी का लाभ उठाते
जिसने उनको जन्म दिया है
उसे अपना गुलाम बनाते हैं
पात्र- 7
सुनिए कैसे उस नारी के
अश्रु छुपाए जाते हैं
मौन रहने को विवश करते
मन तिल- तिल मारे जाते हैं
पात्र- 8
रात में निकली गुनाह उसका
कहलाई समाज पर बोझ है
मुझे समझ नहीं आता, इनमें
कहाँ से कैसे आती यह सोच है
पात्र- 9
जब घुटन-तडप से मरती वो
तब होता जग को अहसास है
अस्पताल में भर्ती वो
थरथराते उसके स्वास हैं
पात्र- 10
जिन देवी की करते इबादत
उन्हीं स्वरूप को दुखाते हो
करते हैं बेवजह आहत
दूसरे की बहन माँ बेटी को
पात्र- 11
नारी द्वेष तो पहले से ही था
द्वापर में वस्त्र खिंचाया था
घोर कलियुग है, अभी ही तो
श्रद्धा कांड ने दिल दहलाया है
पात्र- 12
नारी को सुनसान जगह पर
चहुँ ओर से घेर लेते हो
अंधियारी जगह पर उसे
बेसहारा कर देते हो
पात्र- 13
सुनो सुनो भारत के वासी
और क्या- क्या कर जाते हो
सामाजिक मीडिया में प्रतिष्ठित
इक महिला को गरियाते हो
पात्र- 14
बिन सोचे- समझे- जाने तुम
मासूम का सुकून छीन जाते हो
जिसने न जानी अभी दुनिया
उसकी भी नींद उड़ा जाते हो
पात्र- 15
तीन तलाक तुमने दिया
कैसे तेरे अल्फाज थे
उसको ठोकर से गिरा दिया
कुचले उसके जज्बात थे
पात्र- 16
जिस देश के हो तुम वासी
सोने की चिड़िया हो
उसी देश की मासूमियत के
जज्बातों से खेल जाते हो
पात्र- 17
अभी ही जिसने उड़ान भरी
उसे राह से भटकाते हो
भीड़ भरे बाजारों में भी
सरेआम उसे सताते हो
पात्र- 18
कैसे कहूँ कि अपना देश
अपना भविष्य सुनहरा है
घाव दे जातीं ये घटनाएं
अमिट दुख यह गहरा है
पात्र-19
ऊँची आवाज में चिल्लाते हो
दबिश अपनी दिखलाते हो
कितने कोठे में नाबालिग
बच्चियों को रुलाते हो
पात्र- 20
अपहरण करते तुम उसका
जो माँ- बाप से बिछड़ी हुई
शोषित- पीड़ित हर तरह से
विवश है, पर है चिढी हुई
पात्र- 21
बचपन छीन लेते उससे
जग की हैवानियत दिखाते
न पसीजता कलेजा उनका
न ही इंसानियत दिखाते
पात्र- 22
यौन स्वच्छता न रहती उसकी
गर्भ धरती कम आयु में
सहम जाती वो उसी दर्द से
दम तोड़ती अल्पायु में
पात्र- 23
अंततः सुनिए सभासदो सब
नारी अब न प्रताड़ना झेलेगी
कंधे मिलाएगी पुरूषों से
अपने दम आगे आएगी
पात्र- 24
हर नारी में शक्ति और
हर नर में शंकर है
अपमान करो जो शक्ति का तुम
यह सबके लिए भयंकर है
शक्ति के बिना शिव भी शव हैं
यह ईश्वर का भी अनुभव है
पात्र-25
कुदरत दोनों पहिये चलाती
दोनों पूजे जाते हैं
दोनों इक दूजे के पूरक
अर्धनारीश्वर कहलाते हैं
पात्र-26और 27
शिव- शक्ति कहलाते हैं
वे परम दिव्य बन जाते हैं
विधाता के माध्यम ये दोनों
सृष्टि का चक्र बढाते हैं.
प्रियांशी, एकादशम् वर्ग,मुंबई