१३वाँ नेपाल राष्ट्रीय हिन्दी सम्मेलन
हिमालिनी प्रतिनिधि:नवलपरासी जिला मुख्यालय रामग्राम परासी स्थित बाल मन्दिर सभा भवन में नेपाल राष्ट्रीय हिन्दी प्रतिष्ठान द्वारा २०७० चैत्र १५ और १६ गते को आयोजित दो दिवसीय १३ वाँ नेपाल राष्ट्रीय हिन्दी सम्मेलन का समुदघाटन प्रजातन्त्र सेनानी बलराम नायक के द्वारा हुआ । इस कार्यक्रम की अध्यक्षता नेपाल हिन्दी प्रतिष्ठान के अध्यक्ष तथा वरिष्ठ पत्रकार राजेश्वर नेपाली ने किया । प्रथम दिन उद्घाटन के क्रम में सांस्कृतिक कार्यक्रम में स्वागत गान तथा नृत्य प्रस्तुत किया गया, साथ ही कुछ पुस्तकों का लोकार्पण और विमोचन भी किया गया ।
इस सम्मेलन मंे देशभर के आठ साहित्यकारों तथा चार संगीतकारों को प्रमाण पत्र देकर तथा दोसाला ओढÞाकर सम्मानित किया गया । सम्मानित होने वाले में जनकपुर के पत्रकार प्राचार्य तथा साहित्यकार अखिलेश झा महापात्र, ललितपुर के डा. कृष्ण जंग राणा, परासी के सह-प्राध्यपाक कैलाश महतो, सप्तरी के उपप्राध्यापक सुरेन्द्र प्रसाद गुप्ता, कपिलवस्तु के राघवेन्द्र श्रीवास्तव, नेपालगञ्ज के श्यामानन्द सिंह एवं मुस्तफा हसन कुरैसी तथा नवलपरासी के शशिभूषण पाण्डे जी हंै । इसी प्रकार संगीतकार में वरिष्ठ संगीतकार पं. होमनाथ उपाध्याय, प्राध्यापक धनबहादुर गोपाली, प्राध्यापक विष्णु आचार्य, काठमाण्डू से युवा छात्र संगीत मण्डल हंै । इसी प्रकार कुछ और भारतीय साहित्यकार कवि सत्यनारायण मिश्र -गोरखपुर), डा.मोहनचन्द्र बहुगुणा -हिमाचल प्रदेश) तथा वरिष्ठ पत्रकार रामाशीष -सीतामढी) को भी सम्मानित किया गया । इन विशिष्ट महानुभावों को हिन्दी भाषा साहित्य में विशेष रूप से योगदान देने हेतु सम्मानित किया गया था । इन्हें प्रमुख अतिथि भारतीय दूतावास के संस्कृति विभाग प्रमुख ने दोसाला ओढÞाकर सम्मानित किया । इसी प्रकार ‘राजषिर् जनक प्रतिभा पुरस्कार’ नगद रु. २५ हजार क्रान्तिकारी कवि नन्दलाल मिश्र को प्रदान किया गया तथा हिन्दी भाषा साहित्य में विशिष्ट योगदान स्वरुप ‘पार्वती स्मृति पुरस्कार’ डा. रामदयाल राकेश द्वारा अपनी माता की स्मृति में नगद रु. ५ हजार का पुरस्कार डा.आशा सिन्हा को प्रदान किया गया ।
इस सम्मेलन में नेपाल में हिन्दी भाषा साहित्य, कला विकास विस्तार के लिए जोर दिया गया था । सम्मेलन में बोलते हुए अधिकांश वक्ताओं ने हिन्दी भाषा के विकास हेतु अभियान के रूप में इसे ले जाना अभी की आवश्यकता ह,ै इस बात पर अधिक जोर दिया । तथा इस सम्मेलन द्वारा समस्त नेपाली को जोडÞनेवाली हिन्दी को द्वितीय भाषा बनाने की जोरदार माँग की गई थी । भाषायी विभेद को समाप्त कर हिन्दी मंे प्राथमिक कक्षा से लेकर उच्च कक्षा तक पढर्Þाई होने की माँग की गई । दो दिवसीय कार्यक्रम के दूसरे दिन विशिष्ट कवियों द्वारा कवि सम्मेलन तथा डा. आशा सिन्हा एवं सहप्राध्यापक कैलास महतो द्वारा अलग-अलग दो कार्यपत्र प्रस्तुत किये गये । कार्यपत्र में हिन्दी भाषा स्थानीय भाषाओं में सरकारी कामकाज कराने की भी माँग की गई थी और वर्तमान में हिन्दी भाषा विश्व की दूसरी भाषा के रुप में इस बात की भी जानकरी दी गई थी । कार्यक्रम के अन्त में ५ सूत्रीय घोषणा पत्र आयोजक नेपाल हिन्दी प्रतिष्ठान के अध्यक्ष राजेश्वर नेपाली ने र्सवसम्मति द्वारा पारित कर सुनाया । रामग्राम नवलपरासी घोषणापत्र २०७० इस प्रकार है –
१) सम्पर्ूण्ा नेपाल में नेपाली और हिन्दी के साथ-साथ स्थानीय भाषाओं मे सरकारी कामकाज करने कराने के लिए यह हिन्दी सम्मेलन जोरदार माँग करता है ।
२) गोरखा पत्र के नया नेपाल पृष्ठ अर्न्तर्गत हिन्दी भाषा में सामग्री प्रकाशित कर एवं नेपाल टेलिभिजन में हिन्दी में समाचार प्रसारण करने के लिए सरकार से जोरदार माँग करता है ।
३) नेपाल प्रज्ञा-प्रतिष्ठान में मातृभाषाओं में सूचिकृत हिन्दी भाषा और साहित्य प्रकाशन के लिए संस्कृति मन्त्रालय से जोरदार माँग करता है ।
४) साझा प्रकाशन द्वारा हिन्दी के मौलिक शोध ग्रन्थों के प्रकाशन हेतु जोरदार माँग करता है ।
५) प्राथमिक शिक्षा से लेकर उच्चशिक्षा तथा हिन्दी भाषा में पठन-पाठन के लिए पाठ्यक्रम निर्माण के साथ साथ शिक्षक दरबन्दी सृजित की जाय ।
यह घोषणापत्र जारी करते हुए कार्यक्रम सु-सम्पन्न हुआ । अभी तक इस प्रतिष्ठान द्वारा १४२ साहित्यकारों को सम्मानित किया जा चुका है । इस सम्मेलन में नेपाल भारत भाषा साहित्य संस्कृति मैत्री संघ की अध्यक्षा आभा सेतु सिंह, नवल परासी साहित्य परिषद् के जिला अध्यक्ष विष्णु लामिछाने, डा. शिवशंकर यादव, रामस्वार्थ ठाकुर, दर्ुगा भण्डारी, पत्रकार करुणा झा, विभिन्न पार्टर्ीी्रतिनिधि, मानव अधिकारकर्मी, नागरिक समाज, बुद्धिजीवी तथा कर्मचारी सहित नेपाल और भारत से तीन सौ साहित्यकारों की उपस्थिति थी ।