रिपोर्ट/ नेपालगंज:विनय दीक्षित
अनियन्त्रित प्रेम सम्बन्ध और अनसुलझा समाज
प्रसंग प्रेम सम्बन्ध का है, अपनी इच्छा और स्वतन्त्रता के अनुसार आधुनिक किशोर और किशोरियाँ घर से भाग कर सात जन्म तक साथ रहनेका वादा करते हैं, कई जोडेÞ तो होश हवास में रहते हैं तो कुछ ऐसे मामले भी प्रकाश में आने लगे हैं कि लोग आनलाइन और मोबाइल माध्यम प्रयोग कर अन्धेरे में ही प्रेम कर बैठे हैं, उन्हे यह भी पता नहीं होता कि उनका होने वाला साथी कैसा है, इमेल और फेसबुक पर चन्द लाइनों के दम पर आज किसी किशोरी को पटाना और सात जन्म साथ निभाने की कसम खाना आम सा होता जा रहा है ।
मामला तब और गम्भीर होता है जब रिश्ता अन्तर्जातीय हो, या अन्तर समुदाय का हो, ऐसे मामले इस तरीके से विना समाचार च्यानल तूल पकडÞते हैं मानो स्थानीय निर्वाचन की तिथि तय हो गई हो । जिला पुलिस कार्यालय आए दिन ऐसे जोडेÞ को खोजने के विषय को लेकर चर्चे में रहता है, विना माता पिता के सलाह आजकल के किशोर और किशोरियाँ लोकलाज को रौंदते हुए हप्ते महीने तक गायब रहा करते हैं और पुलिस पर खोजने का दबाव बढÞता जाता है । जिले में अधिकाँश थाने और चौकियों के भी यही हाल हंै ।
प्रेम सम्बन्ध का वाषिर्क दर –
पिछले कुछ वर्षों से बढÞती प्रेम सम्बन्ध की श्रृङ्ला को देखते हुए पुलिस ने भी र्सतर्कता अपनाई है । फरार जोडेÞ को खोजने के लिए पुलिस ने उच्च स्तर की प्रविधि प्रयोग करने का नायाब तरीका निकाला ।
प्रेम सम्बन्ध के कारण परिवार और समाज के साथ सबसे बडÞी समस्या होती है पुलिस को, किशोरी का परिवार अपहरण बताता है और पुलिस कहती है प्रेम सम्बन्ध है । दबाव और विवाद के बीच पुलिस को फरार जोडेÞ को खोजना होता है ।
और जब जोडेÞ पुलिस की गिरफ्त में आते हैं तो पता चलता है कि किशोरी घर वापस जाने के लिए तैयार नहीं है । ऐसे में किशोरी के परिवार के पास एक विकल्प बचता है आपसी सहमति का, जो पुलिस दोनो पक्ष को रखकर करा दिया करती है ।
जिले में पिछले ३ वषोर्ं में प्रेम सम्बन्ध के कई चर्चित केस सामने आए हैं । जिनमें पूरा गली मोहल्ला और गाँव ही नहीं जिला तनाव में रहा करता है । पुलिस को अतिरिक्त र्सतर्कता के बारे में सोचने की नौबत तक आई ।
प्रेम सम्बन्ध में फरार होने वाले जोडÞों में ऐसा केस ज्यादा पाए गए हंै जो ग्रामीण क्षेत्र के हैं और जिनके अभिभावक अशिक्षित तथा किशोर किशोरी भी आंशिक रुपमें मात्र पढेÞ लिखे हैं । खैर, प्रेम तो अन्धा होती है ।
ऐसे मामले उन परिवारों में भी ज्यादा हैं जहाँ अधिक खुलापन है, लोग एक दूसरे का सम्मान नहीं करते और सामाजिक तौर पर प्रेम सम्बन्ध करना जायज माना जाता है । खास कर पहाडÞी मूल के लोगों में, अधिकाँश समुदाय में यह प्रवृति होती है ।
तर्राई में मिश्रति बसोबास होने के कारण एक समुदाय का असर दूसरे समुदाय पर होता है यही वजह है कि आए दिन प्रेम सम्बन्ध के नए घटना क्रम सामने आते रहते हैं । लेकिन यहाँ चर्चा उस विषय पर है जिस घटना ने पूरे जिले को हिलाकर रख दिया ।
अभिभावक के संरक्षण और मञ्जूरी के बिना स्थापित किया जानेवाला सम्बन्ध ही प्रेम सम्बन्ध है । किशोरी का प्रेम सम्बन्ध करना सामाजिक तौर पर गलत माना जाता है और किशोर का प्रेम सम्बन्ध करना आंशिक रूप से गलत माना जाता है । महिला और पुरुष में विभेद का यह एक मजबूत उदाहरण है कि घटना एक और न्याय अलग-अलग होता है ।
पिछले हप्ते पुलिस ने २ ऐसे जोडेÞ को नियन्त्रण में लिया है जिसने पूरे इलाके को साम्प्रदायिक तनाव में डाल दिया था । लगातार प्रयास के बाद ऐसे जोडेÞ को भी पुलिस ने २ हप्ते में खोज निकाला ।
इलाका पुलिस कार्यालय भगवानपुर के इन्चार्ज नारायण चन्द ने अपने डेढÞ साल के कार्यकाल में ३ जोडÞी को पर्ुनस्थापित करवाया । पिछले का हप्ते फरार बाँके लक्ष्मणपुर निवासी एक जोडÞी को पुलिस ने लम्बे प्रयास के बाद बाँके अगैया से गिरफ्तार किया । प्रेम सम्बन्ध के कारण पुलिस का जीना मुहाल है इन्चार्ज चन्द ने हिमालिनी से बातचीत में कहा, पिछडÞा समाज होने के कारण ऐसी घटनाओं को गम्भीरता से देखा जाता है ।
साम्प्रदायिक तनाव उत्पन्न करने वाले विषय पर बात करते हुए चन्द ने कहा इस विषय पर टेन्सन डबल होता है, समुदाय, परिवार और फरार जोडेÞ की सुरक्षा चुनौती पर्ूण्ा बताते हुए चन्द ने कहा, प्रेम सम्बन्ध अचानक होने वाला विषय नहीं है । उन्होंने कहा अभिभावक की लापरवाही के कारण ही इस प्रकार की घटनाओं को प्रश्रय मिलता है ।
जिले के डी एस पी प्रेम बस्नेत ने कहा, सामाजिक विकास की उच्च दर के सामने आज हर किसी को आजादी की आवश्यकता है, लेकिन आजादी किसी गलती का कारण बने उससे पहले अभिभावक को उसपर निगरानी करनी चहिए ।
उन्होंने कहा, पारिवारिक दबाव और कडÞी निगरानी भी किशोर किशोरी को गलत कदम उठाने के लिए बाध्य करता है अभिभावक को इससे बचना चाहिए और बच्चों को समझाकर काम लेना चहिए ।
प्रेम सम्बन्ध में फरार कई ऐसे जोडेÞ होते हैं जो उम्र के आधार पर नाबालिग होते हैं, उन्हे सही और गलतका अन्दाजा भी नहीं होता अर्थात् प्रेम क्या है यह भी उन्हे ज्ञान नहीं होता लेकिन सेक्स भूत जरूर चढÞ चुका होता है ।
बाँके में जिला पुलिस के अभिलेख अनुसार वाषिर्क करीब ८ से १० जोडÞे प्रेम सम्बन्ध में फरार होते हैं । अन्य थाना और पुलिस चौकी का रिकार्ड देखा जाए तो यह मामला करीब ५०/६० वाषिर्क दर के रुप में है लेकिन १० ऐसे मामले होते हैं जो या तो सामाजिक तनाव बढÞाते हैं या उच्च परिवार के होते हैं ।
पिछले ३ वर्षकि रिकार्ड के अनुसार बाँके में संख्यात्मक रूप से घटना में वृद्धि हर्ुइ है ।
घातक बनता अन्तर्जातीय मामला
किशोर किशोरी का अन्तरजातीय प्रेम सम्बन्ध मात्र उनके परिवार को ही नहीं बल्कि पूरे समाज को प्रभावित करता है । लोग बिना काम अपना समय ऐसे विषय पर खर्च करने के लिए उतावले दिखाई देते हैं ।
जातीयता के आधार पर आज भी हमारा समाज विभाजित है, गाँव में आज भी दलित, मुस्लिम, नीचली जाति के लोगों को उच्च वर्ग जाति के लोग समानता की दृष्टि से नहीं देखते, जिसको लोग अपनी थाली में खाना न देते हों, वैसे जाति के साथ किसी उच्च वर्ग की किशोरी प्रेम सम्बन्ध बना ले तो मामला जटिल हो जाता है ।
मामला तब एक परिवार तक सीमित नहीं रहता बल्कि पूरे समाज और क्षेत्र को तनाव में डाल देता है, हर पान की दूकान पर सिर्फकाटने और मारने की बात होती हैं, लोग सिर्फजाति याद रखते है यह भूल जाते हैं कि किशोर भी उसी गाँव का है ।
अन्तरजातीय तनाव के कारण बाँके में ऐसे घटनाक्रम भी सामने आए है जहाँ हफ्तो तक पुलिस का दस्ता पूरे गाँव की सुरक्षा में लगा रहा है । तब किशोर किशोरी की तलाश ही नहीं पूरे गाँव और परिवार की सुरक्षा भी एक बडÞी चुनौती दिखाई देती है ।
पिछले साल एक मामले से जुडÞे इलाका पुलिस कार्यालय भगवानपुर के इन्चार्ज नारायण चन्द ने कहा करीब १ हफ्ते तक जीना हराम हो गया था । लोग कब किसको मार दें यह यकीन करना उतना ही मुश्कील था जैसे बरसात मे बारिश की दशा होती है ।
चन्द ने कहा अन्तरजातीय विषय ही नहीं छुवाछूत भी समाहित रहता है ऐसी घटनाओं में, लोग एक दूसरे को देखना नहीं चाहते मानो वर्षों पुरानी दुश्मनी हो । घटना क्रम इतना भयानक था कि थाना के अलावा जिला से करीब ५० पुलिस और मंगाना पडÞा । घटना को नियन्त्रण करना जब कठिन लगा तो पुलिस ने सशस्त्र पुलिस से सहायता ली और २ दर्जन पुलिस फिर तैनात किए गए ।
ऐसी ही एक घटना नेपालगन्ज में हर्ुइ, पुलिस को सुरक्षा देना एक बडÞी चुनौती लग रही थी । आए दिन यह मामले होते रहते हैं, किशोरी की वापसी ही बडÞी चुनौती होती है । लोग कुछ भी करने के लिए तैयार रहते हैं । सामाजिक तौर पर भी ऐसे मामले नियन्त्रण करने की आवश्यक दिखती है नहीं तो यह सामान्य लगने वाला विषय किसी दिन एक बडÞी समस्या की जडÞ भी बन सकती है ।
लाइफ टाइम समस्या
पुलिस जिन किशोर किशोरियों को विस्थापित करती है उनके जीवन में असली समस्या वहीं से शुरु होता है । किशोर के मामले कुछ हद तक सुधर जाया करते हैं लेकिन किशोरी को कहीं जगह नहीं मिलती ।
समाज में मान सम्मान पर धक्का भी एकतफा रुपसे किशोरी को ही अधिक लगता है । इस तरह की किशोरी के साथ परिवार के सदस्य भी सही से बात नहीं करना चाहते, वे इसी फिराक में जुट जाते हैं कि इस समस्या को जैसे-तैसे घर से दूर करना है ।
प्रेम सम्बन्ध में बदनाम किशोरी को सही युवक भी नहीं मिलते शादी के लिए, कोई विधुर या कहीं शादी न होने वाले लोग ऐसी ही किशोरी के तलाश में रहते हैं । जिसमें दहेज भी मँुह माँगा मिलता है और लडÞकी भी ।
किसी प्रकार शादी हो तो जाती है लेकिन ताने तो ससुराल में किशोरी को ही झेलना पडÞता हैं । इसी प्रकार की समस्या से ग्रस्त एक किशोरी ने बताया कि ससुराल में भी बात बात पर लोग पुरानी घटना का ही जिक्र किया करते हैं, ।
शादी विवाह या किसी धार्मिक सांस्कृति कार्यक्रम में ऐसी महिला को अपमानित किया जाता है जो प्रेम सम्बन्ध के चक्कर से जुडÞी हांे । ऐसी किशोरी का जिक्र जीवन भर लोग पीठ पीछे करते रहते हैं । अतः किशारियों को अपने भविष्य के प्रति सोच विचारकर कदम उठाने की जरूरत होती है क्योकि सिर्फक्षण भर का नहीं सवाल जीवन का है ।
प्रेम सम्बन्ध पर कैसा है कानून –
अधिवक्ता विजय कुमार शर्मा ने कानून के अनुसार १८ वर्षका किशोर और किशोरी अभिभावक की संरक्षण में और २१ वर्षके बाद अपनी मर्जी से शादी, प्रेम सम्बन्ध करने का प्रावधान बताया है । मुलुकी ऐन अनुसार १६ साल के उम्र को बाल बालिका में समाहित किया गया है, अर्थात् अभिभावक को भी १८ से पहले किसी का शादी करने का अधिकार नहीं है । २१ वर्षके बाद जातीय अन्तरजातीय किसी भी प्रकार की शादी को कानून वैध बताता है, लिहाजा सामाजिक तनाव और विवाद पर भी विचार करने का प्रावधान है । किसी साम्प्रदायिक तनाव के विषय पर सम्बन्ध स्थापित नहीं किया जा सकता अधिवक्ता शर्मा ने कहा, अदालत समाज की रुढÞीवादी परम्परा को नहीं मानती लेकिन सामाजिक मान्यता को एकाएक ध्वस्त भी नहीं करती ।
जातीय विभाजन पर विशेषाधिकार सम्बन्धी कई कानून हैं अन्तरजातीय विवाह को कानून ग्राहृयता देता है लेकिन द्वन्द्व स्थित होने पर अदालत भी उसे उचित नहीं मानती । किसी की पत्नी अगर किसी दूसरे के साथ प्रेम सम्बन्ध स्थापित करना चाहे तो उसका पति मुलुकी ऐन जारी महल अनुसार कारवाही कर सकता है लेकिन महिला को वापस लाने का कानून नहीं है, महिला का निर्ण्र्ााही अदालत को भी र्समर्थन योग्य कानून अनुसार दिखता है । डी एस पी प्रेम बस्नेत ने कहा, कानून के अनुसार प्रेम सम्बन्ध पर स्पष्ट परिभाषा नहीं है, अपहरण तथा शरीर बन्धक के अनुसार ही इस विषय पर भी कारवाही होती है लेकिन मामला पेचिदा होने के कारण पुलिस को पहले अनुसन्धान करना पडÞता है कि अपहरण है या प्रेम सम्बन्ध ।
उन्होंने कहा अभिभावक अपहरण का मामला बताते हुए केस दायर करने का दबाव बनाते हैं और जोडÞी गिरफ्तार होने पर मामला कुछ और ही होता है, डी एस पी बस्नेत ने कहा अपहरण अनुसार कारवाही किया जा सकता है लेकिन आपसी सहमति उत्तम विकल्प माना गया है इस कारण पहले सहमति पर प्रयास होता है । उन्होने कहा, किशोर किशोरी की उम्र २१ वर्षपूरा न हो तो कानून अनुसार कारवाही किया जाना चहिए यह तो लिखा हुआ है लेकिन क्या कारवाही करनी चहिए इस विषय पर स्पष्ट ब्यवस्था नहीं है । पुलिस समक्ष उपस्थित होने पर ९९ प्रतिशत जोडÞ अभिभावक के नियन्त्रण में नहीं जाना चाहते । लेकिन आपसी सहमति पर उन्हे अभिभावक को सौंप दिया जाता है ।