वैदेशिक रोजगार और टूटते सम्बन्ध
कैलास दास:सिद्धेश्वर जब आठ वर्षके बाद अरब से अपने घर आया था तो बहुत कुछ सोचकर आया था । १५ लाख रुपैया से घर बनाउँगा और बच्चे को हाँस्टल में रख कर दो चार महीने में फिर से विदेश चला जाऊँगा । वह अपनी पत्नी की फरमाइस कलर टी.भी. मोवाईल और कुछ गरगहने पहले ही पूरा कर चुका था । दो-चार दिनों के बाद अपनी पत्नी के साथ एभरेष्ट बैंक पहुँचा, जहाँ पर पत्नी के नाम से खाता खोल रखा था और पैसा भेजा करता था । उसने जब अपने खाते की जाँच की तो पाया कि उसमें सिर्फपचास हजार रुपए हैं । सिद्धेश्वर के बार-बार पूछने पर कर्मचारी ने एक ही जवाब दिया । सिद्धेश्वर ने कर्मचारी को डाँटते हुए कहा जब मैने बैंक में १५ लाख रुपैया भेजा, तो पच्चास हजार रुपैया मात्र कैसे हो सकता है – इस पर, बैंक के कर्मचारी ने कहा आप इस महिला के कौन हैं जो इस प्रकार से वर्ताव कर रहे है – महिला को बुलाओ जिसके नाम से यह खाता है । जब उसकी पत्नी आई तो कर्मचारी ने पूछा ये कौन है जो इतनी बबाल मचा रहा है । महिला ने कहा ‘यह मेरे पति हैं । इस पर कर्मचारी ने कहा ‘यह अगर तुम्हारे पति हैं, तो पहले जिसके साथ तुम आती थी वह कौन था – पहले तो तुमने उसे अपना पति बताया था । तत्पश्चात उसने रुपए निकासी का पूरा रिकार्ड दिखाया । सिद्धेश्वर ने यह सुनते ही अपनी पत्नी को बैंक भीतर ही दो चार झापडÞ लगा दिया और उसे घसीटते हुए नीचे ले आया । तब महिला जोर-जोर से रोने लगी और कहने लगी, ‘वह तो कहता था तुम्हारे पति के आने से पहले सब पैसा बैंक में रख दूँगा । ‘
महोत्तरी के पर्सर्ाानवासी बलदेव साह -नाम परिवर्तन) चार वर्षके बाद मलेसिया से अपने घर आया तो अपनी सात वर्षकीे बच्ची के सिवा उसे कुछ नही मिला । बलदेव के आने से चार दिन पहले ही उसकी पत्नी गाँव के किसी यादव के लडके के साथ भाग गई । करीब चार लाख रुपए और कुछ गहने भी अपने साथ लेती गई । जब बलदेव ने समाज के कुछ लोगों का बिठाकर इस समस्या का हल निकालना चाहा तो उसके भी दो ग्रुप हो गए । यादव और साह बीच के द्वन्द के कारण समाज भी गौण हो चुका है । अभी भी उसका मुकादमा अदालत में चल रहा है । बलदेव कहता है हमारे पास अब कुछ भी नही रहा एक सम्पति कमाने के चक्कर में दूसरी सम्पति लुट गई ।
जनकपुर के ही सोहन साह -नाम परिर्वतन) लगातार १० वर्षसे वैदेशिक रोजगारी में था । इस दरमियान वह अपने घर चार बार आया और किन्तु एक महीने के भीतर में ही चला जाता था । जब वह जनकपुर रहते था तो उसने वहीं पर तीन धुर जमीन खरीद रखा था और जब दर्ुबई गया तो एक जगह से दूसरी जगह उसकी पत्नी ने दस धुर जमीन लेकर उसमें दो मंजिला, दस कमरे का पक्की घर बनवाया । सोहन जब दर्ुबई से अपना काम खत्म करके वापस आया तो उसके पास कुछ भी नही बचा था । स्थानीयवासी के अनुसार तीन धुर जमीन में दो घर और किचेन था । उसकी पत्नी देखने में बहुत सीधी-साधी थी । राजु नाम के एक लडÞके ने उसे प्रेम में फँसा लिया । लडÞका का पिता किसी बैंक में काम करता था । राजु ने महिला को बहुत ढाढÞस दी ‘मै तुमसे बहुत प्यार करता हूँ । किसी भी हालत में मै तुमसे ही शादी करूँगा, नही तो जहर खाकर मर जाउँगा । ‘ यह कहकर उसन सात वर्षसे उसके साथ शारीरिक सम्बन्ध भी बना रखा था । राजु के कहने पर ही महिला ने यहाँ से जमीन बेचकर दूसरी जगह जमीन ले ली । राजु ने कहा जब हम और तुम शादी करंेगे ही तो तुम अपने नाम से जमीन मत लो । हमारे नाम से जमीन खरीदने पर वह लोग – श्रीमान् या परिवार के लोग) कुछ नही कर पाएँगे । फिर बाद में शादी कर लेंगे । प्रेम के चक्कर में राजु ने जैसा-जैसा कहा वैसा-वैसा महिला करती गई । जमीन लेकर उसने दस कमरे का घर बनाया । राजु उस घर में किराया लेकर रहने लगा । कुछ दिनांे के बाद उसी घर में राजु ने किराने की दुकान करने लगा । दो वर्षके बाद राजु के पिता ने उसकी शादी कहीं और जाकर कर दी । जब महिला को जानकारी हर्ुइ और उसने बवाल मचाया तो राजु के पिता ने उस महिला पर ही मुकदमा कर दिया कि यह महिला हमारा घर खाली नही कर रही है, बदचलन है, हमारे बेटे को फँसाना चाह रही । यहाँ तक की राजु के पिता अदालत से मुकदमा भी जीत चुके हैं । अभी महिला कहाँ गयी यह तो मालुम नहीं परन्तु उसका पति सोहन सम्पति और पत्नी दोनो गवाँ चुका है । यह तो कुछ उदाहरण मात्र है, जिससे पता चलता है कि वैदेशिक रोजगार से किस प्रकार अपनों से सम्बन्ध टूटते जा रहे हंै ।
करीब १० वर्षके भीतर में जिस प्रकार से लोग वैदेशिक रोजागर के लिए मेंं जाने लगे हैं धीरे धीरे पारिवारिक विश्वास घटता चला जा रहा है । वैदेशिक रोजगार के कारण अभी पति-पत्नी के बीच की दूरी, बहुु ससुराल की दूरी, देवर भावी की दूरी आस पास के लोगों के बीच की दूरी ने अविश्वास की स्थिति पैदा कर दी है । इस दरमियान बहुत सारी ऐसी घटना सुनने को मिलेगी जिसके कारण सदियों से चली आ रही नेपाल भारत बीच के वैवाहिक सम्बन्ध पर भी असर पडÞने लगा है । वैदेशिक रोजागर के कारण वैवाहिक रिश्ते जोडÞने से हिचकिचा रहे हैं ।
नेपाल की जनसंख्या के करीब ७० प्रतिशत लोग वैदेशिक रोजगार हेतु विदेश गए हुए हैं । जिस प्रकार से यहाँ पर बेरोजगारी की समस्या बढÞ रही है उससे मानसिक तनाव भी बढÞता जा रहा है । खासकर कहा जाए तो १० वर्षके भीतर में पारिवारिक सम्बन्ध टूटते-बिखरते नजर आ रहे हैं । आन्तरिक कलह के कारण परिवारिक, सामाजिक, आर्थिक, साँस्कृतिक पक्ष कमजोर होते जा रहे हैं । इससे भी ज्यादा आनेवाला कल में नेपाली जनता का भविष्य अन्धकार में विलीन होता नजर आ रहा है ।
कृषि प्रधान देश होते हुए भी कृषि से बनी सामग्री हमंे आयात करना पडÞ रहा है और इसका कारण भी वैदेशिक रोजगार ही है । मँहगाई आकाश छू रही है परन्तु सरकार को रोजगार की चिन्ता नहीं है । राजनीतिक अस्थिरता ने युवा जनशक्ति को इस प्रकार से दबोच लिया है कि उन्हें कोई रास्ता नजर नहीं आ रहा है । न तो दक्षता की कदर हो रही है और न ही रोजगार है । मानता हूँ कि सरकार को सबसे ज्यादा राजस्व आईर्एमई से ही आता होगा । किन्तु आनेवाला कल किस मोडÞ पर जाएगा इसका भी दायित्व तो इन्हीं का है ।
नेकपा एमाले की नेतृ रामकुमारी झाँक्री ने एक कार्यक्रम में कहा कि, नेपाल की ऐसी भी स्थिति नहीं है कि वैदेशिक रोजगार में जाने पर प्रतिबन्ध लगा दिया जाए, परन्तु व्यवस्थित अवश्य किया जा सकता है । इसके लिए सरकार को दबाव डालने की आवश्यकता है । अपने देश में दक्ष जनशक्ति नहीं होने के कारण महँगाई बढÞी है यह उन्होंने स्वीकार किया । किस व्यक्ति को किस जगह और कितने तनख्वाह में भेजा जाए ताकि नेपाल को राजस्व के लाभ के साथ-साथ इसकी प्रतिष्ठा भी बढÞ,े इस पर ज्यादा ध्यान देने की आवश्यकता है ऐसा उन्होंने कहा ।
वैदेशिक रोजगार सम्बन्धी नेपाल सरकार के यहाँ बहुत सारे ऐसे मुद्दे हंै जिसका निराकरण नहीं हो रहा है । सरकार कान मंे तेल डालकर सोई हर्ुइ है । यहाँ से गए कामदार अपंग होकर घर लौटते हंै उसकी क्षतिपर्ूर्ति न तो नेपाल सरकार दे रही है और नहीं जिस देश में गए हैं वहाँ की सरकार । यहाँ तक की किसी कीे मृत्यु हो जाती है तो किसी का श्रम-शोषण के साथ-साथ यौन-शोषण भी हो रहा है । यह मुद्दा सरकार के लिए बहस का विषय अभी तक नहीं बना है । प्रत्येक दिन किसी न किसी प्रकार से मिडिया में आ रहा है कि महिला कामदारों का यौन शोषण हो रहा है, लापता है या भागकर नेपाली दूतावास में शरण लिए हुए है ।
अवैध सम्बन्ध, गर्भपात और कारण –
नेपाल के ग्रामीण क्षेत्र की महिला प्रायः अशिक्षित होती हैं और यही कारण है कि बेरोजगार युवाआंे के साथ अवैध सम्बन्ध जल्द ही बना लेती है । ग्रामीण क्षेत्र के अधिकांश युवा रोजगार के लिए खाडÞी मुल्क जाते हैं घर में रही महिला स्वतन्त्र और पर्ूण्ा रुप से बेरोजगार होती हैं । घर में खाना बनाना, टि.भी. देखना और कीमती मोवाइल चलाना साधारण बात बन गई है । यौन उत्तेजना लाने में सबसे ज्यादा मोवाइल का प्रयोग देखा गया है । युवा युवती ही नही अधिकांश महिलाए भी अपने मोवाइल में ब्लू फिल्म रखती हैं जिससे यौन इच्छा जल्द ही उत्तेजित हो जाती है और दूसरांे के साथ अवैध सम्बन्ध बनाने में विवश हो जाती हंै ।
धनुषा अस्पताल के प्रमोद पण्डित के अनुसार महीने में करीब दो सौ महिला पेट के इलाज के वास्ते आती हंै जिनमें करीब ५० महिला ऐसी देखी गयी हंै जिसके पेट में अवैध गर्भ रहता है । ग्रामीण क्षेत्र की महिला गर्भ ठहरने पर चिकित्सक के बिना सलाह से दवाई खा लेती हैं और जब ज्यादा ब्लीडिङ्ग होने पर वह अस्पताल आती हैं और उनसे पूछताछ किया जाता है तो घर में किसी को न कहने के लिए आग्रह करती है । जनकपुर में करीब दो सौ क्लिनिक हंै इससे अनुमान लगाया जा सकता है कि दैनिक कितना गर्भपात किया जाता होगा । अगर पूरे देश मे गर्भपतन की बात की जाए तो दैनिक पाँच सौ से ज्यादा का गर्भपतन होता होगा । पण्डित के अनुसार ऐसी समस्या केवल महिलाओं में ही नही १६ से २२ वर्षकी लडÞकियों में भी है ।
कैसे रोका जा सकता है –
वैदेशिक रोजगार से ही एक साथ बहुत सारी समस्याएँ उत्पन्न हो रही हैं । आर्थिक, सामाजिक, पारिवारिक और वैचारिक स्थिति खतरे में है । सरकार को समय पर ध्यान देने की आवश्यकता है । महिला को वैदेशिक रोजगारी में जाने से रोका जाए । पुरुष को ६ महीने से लेकर एक वर्षके लिए घर आने की सुविधा दी जाए । दक्ष जनशक्ति को मात्र वैदेशिक रोजगार मेंं भेजा जाए । अपने ही देश में कृषि आदि क्षेत्रों मेें रोजगार दिया जाए । महिला को दक्ष कर रोजगार के योग्य बनाया जाए । प्रत्येक नागरिक को शिक्षित करने का अभियान चलाया जाए । सरकार जब तक वैदेशिक रोजगार सम्बन्धी कडÞा कानून नही बनाएगी समस्या यूँ ही बढÞती जाएगी ।
एक और प्रश्न नेपाली जनता सरकार से करना चाहती है, हमारी युवा पीढÞी जो नित विदेश पलायन कर रही है और श्रम के द्वारा जो रेमिट्यान्स भेज रही है वह कहाँ जहाँ रहा है – रेमिट्यान्स लाने में नेपाल विश्व में तीसरे स्थान पर है । वैदिशक रोजगार का एक दूसरा पहलू यह है कि नेपालियों के वैदिशक पलायन से कई मायनों में सुधार भी हुए हैं मसलन, गाँवों में सूचना प्रविधि की पहुँच बढÞी है, इलेक्ट्रोनिक सामान का प्रयोग बढÞा है, विद्यालय खुले हैं, लोगों में बच्चों को अच्छे स्कूल में पढÞाने की चाहत जगी है । महिलाओं का जीवन स्तर सुधरा है ।
इन सब के बावजूद यूएनडीपी के मानव विकास प्रतिवेदन में नेपाल आज भी १५७ वे नम्बर पर है । विश्व के प्रतिस्पर्द्धर्ााक सूचकांक में १२५वें स्थान पर है । आखिर इतनी विदेशी मुद्रा इस देश में आती है तो यहाँ विकास और प्रगति की ऐसी दयनीय स्थिति क्यों है – आखिर विदेशी मुद्रा कहाँ जा रहा है – इस प्रश्न का उत्तर भी जनता सरकार से चाहती है ।
बढÞती आत्महत्या
वैदेशिक रोजगारी के कारण आत्महत्या की संख्या में भी वृद्धि हर्ुइ है । जिला प्रशासन कार्यालय धनुषा के तथ्यांक को देखने से पता चलता है कि धनुषा और महोत्तरी मंे एक वर्षमें १४० लोगों ने आत्महत्या की है । यह तथ्यांक जनकपुर अञ्चल अस्पताल से लिया गया है । परन्तु जनकपुर में करीब एक दर्जन से ज्यादा नर्सिङ्ग होम वा निजी अस्पताल है जहाँ उपचार के क्रम में मौत हो जाती है लेकिन पुलिस को जानकारी तक नही हो पाती है । मानसिक यातना सहन नही कर सकने पर आत्महत्या की संख्या बढÞती जा रही है । पति वैदेशिक रोजगार में है और अवैध सम्बन्ध किसी और के साथ होने पर मानसिक तनाव में आ कर आत्महत्या करनेवालों की संख्या ज्यादा देखने को मिल रही है ।
वि.स. २०६८/०६९ में विष सेवन कर ४१, फाँसी पर लटककर २४ और आग में जलकर १ ने आत्महत्या की है । २०६९ । ०७० में विष सेवन से ४२, फाँसी पर लटककर २७, पानी में डूबकर १ और आग लगाकर १ कुल ७१ लोगों ने आत्महत्या की । उसी प्रकार २०७० अगहन तक के तथ्यांक अनुसार विष सेवन से १४, फाँसी पर लटककर १९ कुल ३३ लोगों ने आत्महत्या की है । उसी प्रकार जिला प्रशासन कार्यालय महोत्तरी के तथ्यांक के अनुसार ०६७ । ०६८ में विष सेवन से ४६ लोगों ने आत्महत्या की है । ०६८ । ६९ में विष सेवन से २९, फाँसी पर लटककर १, कुल ३० लोगों ने आत्महत्या की है । वि.स. २०६९ । ०७० में विष सेवन से ६८, आग में जलकर १ जमा ६९ लोगों ने आत्महत्या की है । उसी प्रकार २०७० माघ तक १८ लोगों ने आत्म हत्या की है । यह तो दो जिलों का तथ्यांक है । नेपाल में ऐसे भी जिले हैं जहाँ पर प्रत्येक घर के एक व्यक्ति वैदेशिक रोजागर में गए हुए है । आत्महत्या का मुख्य कारण वैदेशिक रोजगार है । दो जिलों के आत्महत्या के तथ्यांक से स्पष्ट होता है कि वैदेशिक रोजगार के कारण अविश्वास के साथ-साथ वाषिर्क हजारों व्यक्ति आत्महत्या कर रहे हंै ।
तर्राई के धनुषा, महोत्तरी, सिरहा, र्सलाही, लहान, बारा, पर्सर्ाावीरगञ्ज सहित के जिलों में आत्महत्या करने वालों की संख्या बढÞती जा रही है । ग्रामीण क्षेत्र में अधिकांश देखा गया है कि जिसके पति वैदेशिक रोजगार में गए है उन्ही श्रीमती या परिवार के लोग आत्महत्या करते हंै । जनकपुर अञ्चल अस्पताल के इमरजेन्सी वार्ड के इन्चार्ज डा. अवधेश कान्त झा के अनुसार तर्राई के ग्रामीण क्षेत्र की अधिकांश महिला अशिक्षित होती हैं । आननफानन में पर-पुरुष के साथ अवैध सम्बन्ध बना लेती है, जब यह बात पति को पता चलती है या अवैध गर्भ ठहर जाता है तो ऐसी स्थिति में वह आत्महत्या कर लेती है । कुछ घटना ऐसी भी देखने को मिली है कि परिवार के सभी लोगों ने सामुहिक आत्महत्या कर लिया है । कुछ ही दिन पहले दास थर की एक महिला ने पाँच वर्षके एक लडÞका और दो लडÞकियों को विष खिलाकर मार दिया और उसके वाद स्वयं अपने को भी फाँसी लगा लिया । उसके पति को वैदेशिक रोजगार में गए हुए दो महीने भी नहीं हुए थे ।
उसी प्रकार धनुषा के सबैला में मुस्लिम समुदाय के एक महिला ने अपने तीन बच्चो को विष खिला दिया जिसमें एक बच्चे की मौत हो गई और दो उपचार कराने के बाद बच गए ।