नारकीय जीवन जीने के लिए बाध्य हैं कैदी
रिपोर्ट/ जलेश्वर
रत्नेश्वरकुमार झा:वैसे तो अपराध से जुडÞे हुए लोगों को जेल में रखा जाता है । साथ ही प्रमाण के अभाव मंे कुछ निर्दोष लोगों को भी मजबूरन जेल में जीवनयापन करना पडÞता है । लेकिन क्या कैदी मानव नहीं है – कैसी भी परिस्थिति क्यों न हो, कैदियों को मानवीय जीवन जीने का हक है । लेकिन जिला मुख्यालय जलेश्वर जेल की स्थिति देखते हुए क्या ‘कैदी मानव नहीं हैं -‘ बार-बार यही प्रश्न मन में उठता है । जब हिमालिनी ने जलेश्वर जेल का हाल जानने के लिए जेल प्रमुख सोमेन्द्र ठाकुर से बातचीत की तो जेल की सारी समस्याओं को दिखाते हुए वे स्वयं भावुक हो गए ।
प्रमुख सोमेन्द्र ठाकुर ने कहा- हम लोग २४ घण्टा ड्युटी में रहते हैं फिर भी हमें कोई विशेष सुविधा सरकार नहीं देती । कैदियों और कर्मचारियों को जेल के अन्दर और बाहर काफी कठिनाइयों का सामना करना पडÞ रहा है । खास कर ठंढÞ के मौसम मंे कैदियों के लिए ओढÞने, बिछाने और पहनने के लिए गर्म कपडÞा, बरसात मे पीने के लिए पानी, खाना बनाने और लघुशंका और दर्ीघशंका के लिए भी काफी समस्याओं का सामना करना पडÞता है । क्योंकि बाढÞ का पानी ४/५ फीट ऊपर तक घुस जाता है । गर्मी के मौसम में भी काफी परेशानी होती है । कितने कैदी तो बीमार हो कर मृत्यु वरण करने के लिए बाध्य होते हैं । कैदियों को ठीक से बैठने तक की जगह नहीं होती । त्रिपाल टाँग कर भेडÞ-बकरों की तरह कैदियों को रखा जाता है । वैसे तो कई समस्याओं से जलेश्वर जेल ग्रस्त है फिर भी बडÞी मुश्किल से बन्द कैदियांे के लिए किसी तरह ३ मंजिला मकान बनाया गया है । जेल प्रमुख के अनुसार कैदियों को राशन के रूप में प्रति दिन ७५० ग्राम चावल और ४५ रूपए दिए जाते हैं । जिसपर जेल प्रमुख ने कहा, इस मंहगाई में चावल से तो काम किसी तरह चल सकता है लेकिन अन्य खचार्ंर्ेेे लिए सिर्फ४५ रूपए काफी नहीं होते । ४५ के बदले कम से कम १५० रूपए दिए जाते तो कैदियों के खाने-पीने की समस्या बहुत हद तक सुलझ जाती ।
कैदियांे को लाने, ले जाने के लिए सिर्फ१ गाडÞी की व्यवस्था है, जबकि १ गाडÞी की और आवश्यकता महसूस की जा रही है । सब से बडÞी समस्या विजुली की आपर्ूर्ति बन्द होने पर खडÞी होती है । जब कि सुरक्षा समिति की बैठक मंे कई बार जेल प्रमुख ने एक जेनेरेटर की व्यवस्था के लिए अपनी मांग रखी है लेकिन अभी तक इस बारे में कोई पहल नहीं किया गया । कोई भी यह सोचने के लिए तैयार नहीं है कि जेल जैसे अति संवेदनशील जगह मंे अगर बिजली चली जाती है तो कोई भी बडÞी दर्ुघटना हो सकती है । क्योंकि यह कारागार वि.सं. १९१३ साल में राणा सरकार द्वारा बनाया गया था । जिसकी उमर अब करीब १५७ साल हो चुकी है । इमारत इतनी कमजोर है की कभी भी यह गिर सकती है । १३५ कैदियों को रखने की क्षमता वाले इस जेल के अन्दर ४५८ कैदियांे को रखा गया है । जिसमंे ३५ महिला कैदी, ५ बच्चे और ४१८ पुरुष कैदी रह रहे हंै ।
इस जेल को अति संवेदनशील जेल की सूची मंे रखा गया है । पडÞोसी देश भारत के कुख्यात १८ कैदी और बंगलादेश के ८ कैदियों को भी इसी जेल मे रखा गया है । पहले सिर्फ२५ सुरक्षाकर्मी को अर्सइ -असिस्टेन्ट सब इन्सपेक्टर) के नेतृत्व मे तैनात किया गया था । लेकिन फिलहाल ३५ सुरक्षाकर्मियों की व्यवस्था है । जानकारों के अनुसार सबसे तकलीफदेह बात तो यह है कि पञ्चायत काल में प्रजातन्त्र लाने के लिए किया गया आन्दोलन हो या जन-आन्दोलन हो उस के पश्चात् देश के सर्वोच्च पदांे पर आसीन महामहिम राष्ट्रपति से लेकर कई बार सांसद और मन्त्री जैसे- स्व. महेन्द्र नारायण निधि, योगेश्वर झा, विमलेन्द्र निधि महेश्वर प्रसाद सिंह, गणेश नेपाली, सीतानन्दन राय, लीला कोइराला, हरिशंकर मिश्र, रामचन्द्र तिवारी, सीताराम भण्डारी, देवनारायण साह सहित धनुषा, महोत्तरी और र्सलाही के अपने आपको दिग्गज नेता कहने बाले कामेश्वर पाण्डे, राम सोभित यादव, महावीर प्रसाद, और बजरंग नेपाली जैसे कई नेता महोत्तरी जिला के इसी जेल में राजनीतिक बन्दी के रूप में समय व्यतीत कर चुके हैं । जिस जेल मंे इन नेताओं ने कुछ समय बिताकर अपनी नेतागिरी का पक्का प्रमाणपत्र प्राप्त किया क्या उस जगह की समस्याओं के बारे में इन्हें कोई जानकारी नहीं है – लेकिन इसे उनकी लापरवाही कहें या नकारापन कि जेल की सारी समस्याओं को भुलाकर वे लोग ऊंचे पदों पर बैठ कर चैन की वंशी बजाते हैं । क्या इसी के लिए राजनीतिक लडर्Þाई लोगों ने लडÞी थी – इतनी आवाज देने पर भी अगर सरकार, सर्वोच्च पदों पर बैठने बाले लोग या राजनीतिक दल कैदियांे की समस्या नहीं सुनंेगे तो कौन सुनेगा – जेल व्यवस्थापन और कैदियो की समस्या समाधान के लिए राष्ट्रीय एवं स्थानीय पत्र पत्रिका, एफ. एम., मानव अधिकारकर्मी जैसे कई संस्थाओं ने समाचार के माध्यम से आवाज उर्ठाई, लेकिन आज तक कोई भी पहल नहीं किया गया । अब तो कैदियों का कहना है, जब कैदियों की समस्या वर्षों से अनदेखी की गई है तो हम अपना दुःख किस को सुनाएं । नरक में जी रहे हैं, इसी तरह एक रोज मर जाएंगे और तब जा कर नरक से मुक्ति मिलेगी । बाबा जलेश्वरनाथ का ही एक सहारा है ।