स्वाधीन मधेश जन-अभियान द्वारा काठमांडू में मधेशी महिलाओं का विशाल प्रदर्शन
काठमांडू । स्वाधीन मधेश जन-अभियान का तीन दिवसीय (चैत्र १९-२१) सरकारी विभेद विरोधी मधेशी महिलाओं की प्रदर्शन । चैत्र १९ का विरोध र्याली प्रदर्शन तथा कोणसभा कार्यक्रम गौशाला के पशुपति क्षेत्र से शुरु होकर तीन कुने में कोणसभा के साथ सम्पन्न ।
कोण सभा को सम्बोधन करते हुए अभियान के राष्ट्रीय संयोजक कैलाश महतो ने स्वाधीनता का अर्थ, परिभाषा व क्षेत्र का दायरा बताते हुए स्वाधीन मधेश जन-अभियान जिन्नावादी और गांधीवादी स्वाधीनता (आजादी) को अस्वीकार करने और मण्डेलावादी स्वाधीनता को प्रयोग नेपाली राजनीति में करने की मांग की । श्री महतो ने कहा कि “जिसकी जितनी आवादी, उसकी उतनी भागिदारी” के नैसर्गिक हक के अन्तर्गत देश के राजनीति, संसद, सरकार, शासन, प्रशासन व कुटनीतिक लगायत के सम्पूर्ण क्षेत्र व निकायों में मधेशी, जनजाति, दलित, महिला, अल्पसंख्यक, युवा आदि सम्पूर्ण के उसके जनसंख्या प्रतिशत के आधार पर प्रतिनिधित्व होने चाहिए ।
मन्तव्य के क्रम में श्री महतो ने कहा कि वे गरीब, घर भूमि व विहीन, रोजगार विहीन पीडित महिलाओं के साथ काठमाण्डौ आकर शासकों को अपने पीडों के बारे बताने आए हैं ।
राज्य को चेतावनी देते हुए कहा कि अगर राज्य समय पर मधेश और समस्त पीडित पहाडी समुदाय के समस्याओं को समय रहते सुलझाने का काम नहीं किया, तो अकल्पनीय परिणाम राज्य और नेतृत्वों को उठाने होंगे । काठमाण्डौ से लौटकर मधेशी मधेश ठप्प करने को बाध्य होगा ।
अपने मन्तव्य के क्रम में श्री महतो ने राज्य द्वारा विदेश को बेचे गये सारे नेपाली युवा युवतियों को जल्द से जल्द घर (देश) वापस लाने और देश में ही समान शिक्षा, समान स्वास्थ्य सेवा और समान वित सेवा प्रदान करने और देश को विकसित करने का भी सलाह दिया ।
कोणसभा में मन्तव्य रखमे बाले नेताओं में संगठन प्रमुख श्री अशेश्वर कामत, नेतृ फूलोदेवी राम लगायत के लोग रहे । कार्यक्रम का उद्घोष अभियान के केन्द्रीय नेता तथा प्रशिक्षण प्रमुख श्री विपिन आधिकारी रहे ।