मोदी भ्रमण और सुरक्षा सवाल : इन्द्र कुमार मधेशानन्द
जनकपुर, १३ नवम्बर २०१४ । नेपाल में जहाँ पर सार्क शिखर सम्मेलन की जोरों से तैयारी चल रही है । वहीं पर मधेश में (जनकपुर—लुम्बिनी हरेक जगहों में) भारत के सम्मानीय प्रधानमन्त्री श्री नरेन्द्र भाई मोदी जी की धार्मिक यात्रा पर उनके आतिथ्य सत्कार की तैयारी भी जोर शोर से चल रही है ।
विश्व के शक्तिशाली राष्ट्रों में से एक भारत के शक्तिशाली प्रधानमन्त्री होने के कारण ही जनकपुर व पूरा मधेश उनकी उत्सुकता से स्वागत की तैयारी कर रहा है । भारत के सम्मानीय प्रधानमन्त्री जी श्री नरेन्द्र भाइ मोदी विश्व भर के सर्वेक्षणो में सबसे ज्यादा लोकप्रिय, शक्तिशाली और बहुआयामी नेतृत्व के विकास पुरुष के रूप में चुने गए है । कहना न होगा कि जनकपुर और जनकपुरवासी अपने विशिष्ट अतिथि के आगमन पर उत्साहित और रोमांचित हैं और उनके सत्कार में कोई कमी नहीं रखना चाहते हैं ।
नेपाल में उनका स्वागत सार्क शिखर सम्मेलन के अवसर पर किस रूप से हो रहा है और किस उद्देश्य से यह बात नेपाली की सत्ता पक्ष पर ही छोड़ना अच्छा होगा । पर मधेश में हमारी तैयारी पर उनकी क्या नपाक कोशिश चल रही है उस पर कुछ न कुछ चर्चा तो इस लेख में होना वाजिब है । श्री नरेन्द्र भाई मोदी जी के तैयारी में जो कुछ दोनो ओर से (मधेश के जनता और नेपाल के सत्ता पक्ष) हो रही है उसका आकर्षक और यथार्थ पक्ष कुछ इस प्रकार है । जो तैयारियाँ ऐतिहासिक, साँस्कृतिक, धार्मिक, क्रान्तिकारी भूमि मधेश—मिथिला के पावन भूमि जनकपुरधाम में हो रही है वह कैसा होगा उसका सजीव चित्रण रामायण में भी मिलता है । जिसे सदियों के बाद भी भुलाया नहीं गया है अैर आज भी यकीनन उसी परम्परा का मधेशवासी निर्वाह करने जा रहे हैं । हमारी आतिथ्य को जो हमने त्रेता युग में दी थी । इस बात की चर्चा कई बार स्वयं हमारे श्री नरेन्द्र भाइ मोदी जी कर चुके हंै । हम अपने अतिथि को देवता मानते है । भारत से आनेवाले अतिथि को मधेश की भूमि में और मधेश से जानेवाली अतिथि को भारत में देवता माना जाता है, पूजा जाता है । हमारे हर मन्दिर, मस्जिद, गिरिजा घर, स्तुप गुम्बद भारत में और भारत के हर मन्दिर मस्जिद गिरिजा घर स्तुप गुम्बद मधेश में पूजनीय है । लाखों भक्त दर्शन व पूजा करने धार्मिक पर्यटक के रूप में नही बल्कि सेवक और दास बन के भक्त अपने भगवान से मिलने आते—जाते हंै इस बात का साक्षी हमारा इतिहास है । हम अपने अतिथि को भगवान मानते हैं तो हमें उनसे और उनको हमसे खतरा कैसा ? जानकी माता के दर्शन करने वो आऐगें तो भला उनको माँ जानकी से खतरा कैसा ?
नेपाली राज्य सत्ता द्वारा भगवान से भक्तो की सुरक्षा खतरा जो बतायी जा रही है वह हमे समझ नही आती । न वह प्रैक्टिकल तथ्य को पुष्टि करती है । बल्कि भगवान को भक्त से मिलने को रोकने के पीछे नेपाली राज्य सत्ता का जो अपना कारण है वह हमें भी समझ में आती है और सारी दुनिया को भी । नेपाली राज्य सत्ता को लगता है कि इसी दर्शन के बहाने कहीं अतिथि के सामने उनकी असलियत ना आ जाए और इस हालात को रोकने के लिए वो पूरी व्यवस्था भी कर रहे हैं । नेपाल सरकार के विश्वस्त लोग माता जानकी से सटे रहेंगे पुजारी महन्थो, मोलबियो और उनके सुरक्षा के नाम पर ।
देवकी की तरह माता जानकी और उनकी मातृभूमि मधेश २५० वर्षों से नेपाली कंस रुपी शासक द्वारा अपनी उपनिवेशिक जेल में कैद है यह बात माता जानकी श्री मोदी जी को इशारों ही इशारो में बता न दें इस बात की नेपाली राज्य सत्ता को डर है । जो वह छुपाकर मोदी जी के उपर बता रहे है । नेपाली राज्य सत्ता को डर है जिस तरह देवकी के ८ वें पुत्र से कंश को अन्त का भय था उसी तरह पता नहीं माता जानकी का कौन सा पुत्र कृष्ण रूप में कब कहाँ से आ के नेपाली उपनिवेषवाद को खत्म कर दें । पर होइहें वही जो राम रचि राखा ।
‘अतिथि देवो भवः’ हमारी साँझा संस्कृति है । भारत के प्रधानमन्त्री हमारे एक भाई है । हमारे अतिथि है । हमें उनसे क्या और उनको हमसे कैसा भय ? हम उनसे क्या मागेंगे और वह हमें क्या देगें । राजा दशरथ ने जो हमें आतिथ्य दिया और राजा जनक ने जो उनका स्वागत किया जिनकी निरन्तरता त्रेता युग से होती आ रही है । उससे बढकर और हमारे पास क्या लेने और देने के लिए है । यह सुयोग ही है कि विवाह पञ्चमी में श्री नरेन्द्र भाई मोदी प्रधानमन्त्री जी का आगमन पर हो रहा है, सोचा जाय तो इसमें कोई ना कोई संकेत तो अवश्य है । मोदी जी का प्रधानमंत्री के रूप में पशुपतिनाथ की भूमि पर पहला आगमन श्रावण के पावन महीने में और माँ जानकी की धरती पर विवाह पंचमी के अवसर पर पधारना एक सुखद संयोग ही तो है जिसे टाला नहीं जा सकता । कभी भी किसी व्यक्ति के साथ ऐसी कोई सुरक्षा खतरा होने का प्रमाण इतिहास में नही देखा गया है । न नेपाली राज्य सत्ता पक्ष के पास प्रमाण है । तो फिर श्री नरेन्द्र भाई मोदी पर जो सुरक्षा खतरा का डर नेपाली राज्य सत्ता द्वारा दिखाई जा रहा है वह उनके द्वारा प्रायोजित नही तो और क्या है ? हमें विश्वास है अगर हमें अपने भगवान तुल्य अतिथि से मिलने दिया जाएगा तो हम कहेंगे कि कितनी जल्दी फिर आप आते हंै और आप कब दुबारा स्वागत करने की मौका हमें देते है ।
श्री नरेन्द्र भाई मोदी जी माता जानकी से अकेले में कुछ बात कर पायें तो हमें विश्वास है वो जरुर पूछेगी बेटा तुम इतनी देर से क्यों आए ? राजा जनक के आतिथ्य सेवा और हमारे आज के आतिथ्य सेवा भाव में थोड़ी भी कमी नहीं आयी है । अगर जो भी कमी आयी है उसका कारण यह है पहले हम स्वशासित थे और अब हम किसी और द्वारा शासित और गुलाम हंै । अगर ऐसा न होता तो इस लोकतान्त्रिक गणतान्त्रिक देश नेपाल में ५४ वीर मधेशी पुत्र को शहादत क्यों देना पडता ? जयकृष्ण गोइत, ज्वाला सिंह सहित के नेता क्यो निर्वासित जीवन वर्षौ से व्यतित करते और डा. सि.के. राउत जैसे सैकड़ों लोगो को नेपाल के जेल के कोठरी में आज भी क्यों रखना पड़ता ? क्या इसका जवाव है नेपाली राज्य सत्ता के पास ? हमारे अतिथि तक अगर हमारी पहुँच हो तो मैं किसी भी माध्यम से चाहुँगा कि माता जानकी का यह श्री सन्देश श्री नरेन्द्र भाई मोदी तक पहुँचे और वे इस बात को सार्क स्तर पर भी नेपाल राज्य सत्ता के इस रूप से रुबरु होबें और उनका स्पष्टीकरण दुनिया के समक्ष आए । और उनसे हमें कहने का कुछ है भी नही । है तो वह हर बार विवाह पञ्चमी पर आयें उसी में हम धन्य हो जाएँगे । हमारा विकास आप से आप हो जाएगी । हमारी दूरियाँ भी मिट जाएगी ।
नेपाली राज्य सत्ता का हर दावा झूठा है । जहाँ वह कहता है सबसे ज्यादा सुरक्षा है वही सबसे ज्यादा असुरक्षा है । जहाँ उसने कहाँ सबसे बड़ा न्याय है वही सबसे बडा अन्याय है । जो कहता है मैं सबसे बडा समाजवादी, प्रजातन्त्रवादी, लोकतान्त्रिक शासक हूँ वही सबसे बडा अधर्मी, भ्रष्टाचारी और तानाशाह है । यह इतिहास है कि भारत और चीन को मधेश, मधेश प्रदेश और मधेशी जनता से कोई खतरा नही है । खतरा है इन दोनो देशो को तो उन्ही लोगों से जो सार्क शिखर सम्मेलन के तैयारी में जोरों से लगे हुए है । जिस दिन नेपाल में उत्तर दक्षिण का प्रदेश बना और मधेशी की जगह दशगजा पर नेपाली शासक वर्ग के लोग १० प्रतिशत भी बैठ गयें उसी दिन से भारत को ११० प्रतिशत सुरक्षा की खतरा नेपाल की तरफ से बढ़ जाऐगी । वही पर तिब्बतीयों के आने जाने की सहजता से चीन को भी खतरा बढ़ जाऐंगी अगर उत्तर दक्षिण का कोई भी प्रदेश बनता है । यह बात भारत और चीन समझ न ले इस बात की नेपाल सत्ता पक्ष के लोगों को डर है । नेपाल में किसी भी देश के नागरिक को कही पर कोई डर नहीं है पर मधेशी को इण्डियन कहाँ जाता है और इस अनुहार के लोग जो भी है नेपाल में वह लोग कहीं भी कभी भी सुरक्षित नही है । इस बात का प्रमाण महामहिम राजदूत राकेश शूद, ऋतिक रोशन काण्ड, नेपालगञ्ज की घटना ही काफी है । स्वतन्त्रता संग्राम के समय में भी हमने जहाँ पर भारतीयों जनता को साथ दिया अपने जेल से उनको तोड़कर भगवायें वही पर यह शासक वर्ग अँग्रेजो को साथ दिया और अपनी सेना लगाकर भारत के आन्दोलनकारियों पर बर्बरता पूर्वक दमन किया । मधेशीयों को आन्दोलनकारियो को पनाह देने और जेल से भगाने के परिणामस्वरुप कितने को जेल, कितने को भारत की शरण तो कितने का घर लूटा गया और बेघर होना पड़ा । मधेशी लोग हमेशा से भारत और अपनी मधेश भूमि की सुरक्षा करते आए है । मैं मोदी जी से तो अपनी तरफ से श्री कृष्ण और राजा दशरथ व टिकमगढ की रानी वृषभानु कुमारी की तरफ से बाबा काशी विश्वनाथ और माता जानकी के जनता के लिए घोषणा कर जाए यही शुभकामना के साथ उनको मधेश व जनकपुर में हार्दिक हार्दिक स्वागत करना चाहुँगा और यहाँ की जनता और माँ जानकी के तरफ से भी उनका हार्दिक स्वागत आमन्त्रण है । जय मधेश ! अतिथि देवों भवः
( लेखक राजनीतिकर्मी,विश्लेषक तथा तराई मधेश राष्ट्रिय अभियान केन्द्रिय के रा.प.सदस्य हैं )