डब्ल्यूएचओ ने एमपॉक्स की पहली वैक्सीन को मंजूरी दी
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने वयस्कों के लिए एमपॉक्स की पहली वैक्सीन को मंजूरी दे दी है। डब्ल्यूएचओ ने शुक्रवार को कहा कि यह अफ्रीका और अन्य स्थानों पर इस बीमारी से लड़ने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है। बवेरियन नार्डिक कंपनी की इस वैक्सीन को यूनिसेफ जैसे अंतरराष्ट्रीय संगठन खरीद सकेंगे। हालांकि इसकी आपूर्ति सीमित रहेगी।
डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक टेड्रोस अघानम घेब्रेयेसस ने कहा, एमपॉक्स रोधी वैक्सीन की पहली प्री क्वालिफिकेशन इस बीमारी के खिलाफ लड़ाई में महत्वपूर्ण कदम है।
क्या है वैक्सीन का लक्ष्य?
वैक्सीन प्रीक्वालिफिकेशन का लक्ष्य यह सुनिश्चित करना है कि टीके सुरक्षित और प्रभावी हों। डब्ल्यूएचओ की अनुमति के तहत यह वैक्सीन 18 वर्ष या उससे अधिक आयु के लोगों को दो खुराक में दी जा सकती है। हालांकि वैक्सीन को 18 वर्ष से कम आयु के लोगों के लिए लाइसेंस नहीं मिला है, लेकिन इसका उपयोग शिशुओं, बच्चों और किशोरों में उन जगहों पर किया जा सकता है जहां टीकाकरण के लाभ संभावित जोखिमों से अधिक हैं।
क्या है एमपॉक्स के लक्षण?
अफ्रीका रोग नियंत्रण एवं रोकथाम केंद्र के अधिकारियों ने पिछले महीने कहा था कि कांगो, जो एमपॉक्स से सबसे अधिक प्रभावित देश है में लगभग 70 प्रतिशत मामले बच्चों में हैं। एमपॉक्स को पहले मंकी पाक्स के नाम से जाना जाता था। यह संक्रामक वायरल रोग है। दाने निकलना, फफोले बनना, बुखार, शरीर में दर्द इसके प्रमुख लक्षण हैं।