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संविधान देश का मूल कानून है, शासन के स्थायित्व का औजार नहीं : वृषेश चन्द्र लाल (तमलोपा अध्यक्ष )

संविधान सहमति का दस्तावेज, देश का मूल कानून है। किसी के शासन के स्थायित्व के लिए औजार नहीं – तमलोपा अध्यक्ष वृषेश चन्द्र लाल। 

गोलबजार, सिरहा २०८१ कार्तिक २८ गते। तराई-मधेश लोकतान्त्रिक पार्टी के अध्यक्ष वृषेशचन्द्र लाल ने नेकपा एमाले और नेपाली काँग्रेस के वर्तमान गठबन्धन पर द्विदलीयता के रूप में एकात्मक संरचना का नया संस्करण लादने का षडयंत्र करने का आरोप लगाया है। उनका कहना है कि वे वर्तमान संघीय बहुदलीय लोकतान्त्रिक संरचना को बदल कर सदा सर्वदा अपनी शासन कायम करने के दुष्प्रयास में हैं। संयुक्त मधेश संघर्ष समितिद्वारा आज गोलबजार, सिरहा में आयोजित खबरदारी सभा को संबोधित करते हुए अध्यक्ष लाल ने कहा, -“वर्तमान संविधान में संशोधन करने के लिए प्रतिगमनकारी ड्राफ्ट किसी बंद कोठरी में तैयार की जा रही है। राजतंत्र के तरह ही कुछ व्यक्तियों के स्वार्थ में किसी आयोग अथवा किसी कार्यदल के द्वारा कराने की कोशिश हो रही है। संविधान जनता का सहमति का दस्तावेज है, जनता द्वारा निर्मित देश का मूल कानून है। किसी के शासन के स्थायित्व के लिए औजार नहीं। हम ऐसे किसी प्रतिगमनकारी षडयंत्र को सफल नहीं होने देंगे चाहे जैसा भी संघर्ष करना पड़े। इसके लिए सभी संघीयतावादी राजनीतिक शक्तियों को एक साथ संघर्ष की तैयारी करनी चाहिए।“ 

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खबरदारी सभा को संबोधित करते हुए पूर्वमंत्री माओवादी नेता मातृका प्रसाद यादव ने संघर्ष की आवश्यकता पर जोर देते हुए कहा कि संघर्ष का कोई विकल्प नहीं है। उन्होंने समावेशिता और संघीयता समाप्त करने का षडयंत्र करने वाले वर्तमान गठबंधन के विरुद्ध संघर्ष की तैयारी प्रारंभ कर देने की अपील करते हुए हर पालिका और उसके वार्डों में खबरदारी सभा करने तथा जनता को संगठित करने का निर्देश दिया। 

तराई-मधेश लोकतान्त्रिक पार्टी के वरिष्ठ नेता डा. विजय कुमार सिंह ने कहा कि संविधान संशोधन की मांग जनता की मांग रही है पर जनता अग्रगामी संशोधन चाहती है। उन्होंने प्रदेश को निर्वाचन क्षेत्र घोषित करते हुए पूर्ण समानुपातिक समावेशी पद्धति लागू करने की मांग की और थ्रेसहोल्ड तुरंत समाप्त करने पर जोर दिया।

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 हेमन्त कुमार यादव की अध्यक्षता में सम्पन्न उक्त खबरदारी सभा में पूर्वमंत्री महेन्द्र पासमान ने काँग्रेस-एमाले गठबंधन पर देश में अपना वर्चस्व कायम करने का षडयंत्र करने का आरोप लगाया। पूर्वमंत्री महेन्द्र पासमान ने संघीयता तथा समावेशिता के लिए एक बार फिर संघर्ष में उतरने का संकल्प लिया। संविधान सभा सदस्य एवं माओवादी नेता जगतप्रसाद यादव ने संविधान का संशोधन जनता की आकांक्षा के अनुरूप होना चाहिए कहते हुए किसी के स्वार्थ के लिए संविधान में संशोधन पूर्णतः अस्वीकार्य होगा, कहा। एकीकृत समाजवादी के नेता संविधान सभा सदस्य शीतल झा ने पूर्ण समानुपातिक समावेशी निर्वाचन पद्धति ही निर्वाचन में देखी जा रही विकृतियों का इलाज है, बताया। 

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खबरदारी सभा में पूर्व राज्यमन्त्री बोधमाया यादव, कुमार लामा ने भी अधिकार के लिए संघर्ष पर जोर दिया।

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