अपनी क्षमता पर विश्वास रखें, सफलता जरुर मिलेगी : आरती मंडल
कंचना झा, काठमांडू, चैत ६ । चैत १ गते से रिलीज हुई फिल्म राजागंज अपने रिलीज होने से पहले ही चर्चित हो गई है । देश के विभिन्न सिनेमाघरों में प्रदर्शित हो रहे इस सिनेमा में काम करने वाले सभी कलाकारों की भी चर्चा हो रही है । प्रशंसा भी मिल रही है । इस फिल्म में ज्यादातर मधेश के कलाकार है । कलाकार कहें या पत्रकार भी कह सकते हैं । प्रायः कलाकार पत्रकारिता क्षेत्र से आए हैं । सभी के अभिनय की बहुत ज्यादा तारीफ भी हो रही है ।
फिल्म में पत्रकार आरती मंडल के काम की बहुत ज्यादा तारीफ हो रही है । आरती रेडियों में काम करती हैं । समाचार वाचिका है और रेडियों संबंधित बहुत से काम करती हैं । उन्होंने फिल्म “राजागंज” में सरस्वती का किरदार निभाया है ।
अपने काम की तारीफ सुनकर फूले नहीं समा रही हैं । कुछ दिन पहले हिमालिनी ने आरती मंडल से बातचीत की थी । प्रस्तुत है उनके साथ हुई बातचीत के कुछ अंशः
प्र.कैसा लग रहा है फिल्म में काम करके ?
उ.बहुत अच्छा महसूस हो रहा है । बहुत कुछ सिखने को मिला । अपने काम की तारीफ को सुनकर अच्छा लग रहा है
प्र.पत्रकार से कलाकार कैसे बन गईं ?
सच कहुँ तो कलाकार तो मैं तब ही बन गई जब रेडियो से जुड़ी । रेडियो में काम करने वाले को सबकुछ करना पड़ता है । जैसे कोई विज्ञापन आया तो उसमें आपको एक भूमिका निभाना ही पड़ता है । फिर काम के सिलसिले में रेडियो नाटक करना ही होता है । ऐसे में कलाकार तो हम वहीं बन जाते हैं । विभिन्न तरह की भूमिकाएं निभानी पड़ती हैं । हाँ, लेकिन फिल्म में काम करने का अनुभव अलग होता है ।


प्र.फिल्म में काम करने का अवसर अचानक मिला या इसके लिए प्रयास किया था ?
उ.नहीं,सच कहुँ तो मुझे न हर तरह के काम करने का शौख है । मैं हर काम करना चाहती हूँ । नया काम करना भी मेरा शौख ही है । मैं बहुत ज्यादा नहीं सोचती कि इसमें सफलता मिलेगी तभी करुँगी । मुझे करना है बस । सफलता असफलता से मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता है । मैं प्रयास करती हूँ । एक दिन अचानक मेरी दोस्त पुष्पा यादव जो चलचित्र विकास बोर्ड मधेश प्रदेश की सदस्य हैं उन्होंने बताया कि एक फिल्म का ओडिशन हो रहा है । अगर आप देना चाहती हैं तो दे दें । एक उत्सुकता सी हुई कि –कर लेती हूँ देखा जाएगा । लेकिन फिर वही लगा कि अगर करुँगी तो जी जान लगा लूँगी । अपनी खासियत कहूँ तो मैं किसी भी काम को बहुत लगन से करती हूँ । ये बात मेरे सभी करीबी मित्र जानते हैं । तो मैं पहुँच गई ओडिशन देने ।
प्र. ओडिशन में कौन थे ? डर लगा या नहीं ?
उ. ओडिशन में निर्देशन दीपक रौनियाल सर स्वयं थे । वैसे मुझे डर तो लगा था लेकिन तारीफ करना चाहूँगी दीपक सर की कि वो सभी से बहुत ही नरमी से पेश आ रहे थे । मैं तो सोचकर ही गई थी कि अगर चुन ली गई तो फिल्म में काम करुँगी । फिर फिल्म की कहानी भी मधेश इशू पर था तो लगा कि अपने जगह की कहानी है करना चाहिए । डरते डरते ही सही मैंने काम किया और किशोरी जी की कृपा देखें कि अभिनय की तारीफ भी हो रही है ।
प्र. कुछ अपनी किरदार सरस्वती चौधरी के बारे में बताएं
उ. हूँ.. सरस्वती चौधरी एक स्वास्थ्यकर्मी हैं जो बहुत ही अच्छी और निष्ठावान महिला हैं । वो समाज में चेतना फैलाने का काम करती हैं । अपने देश, अपनी भूमि से बहुत प्यार करती हैं । किसी भी अन्याय के प्रति चुप नहीं रहना चाहिए । उसके विरुद्ध आवाज ण्ठानी चाहिए । सरस्वती का किरदार बहुत ही मजबूत किरदार है । वो हारना नहीं जानती हैं । वो लड़ती है अन्याय के खिलाफ । फिल्म के बारे में तो बहुत कुछ नहीं बता सकती क्योंकि मैं चाहती हूँ कि आप सभी इस फिल्म को देखें । बहुत से मैसेज है फिल्म में मधेश और मधेशियों को लेकर ।
प्र.रेडियों में काम करना आसान या फिल्मो में ? कहाँ ज्यादा काम करना पड़ता है ?
उ. फिल्म में काम करना मतलब दिन रात कुछ नहीं देखना है । शुटिंग है तो करना है । निरंतर काम करना होता है फिल्म में । जबतक कि फिल्म समाप्त न हो जाए काम और बस काम करना होता है । रेडियों में हमें कोई देखता नहीं है । हम पर्दे के पीछे क्या करते हैं ? कोई नहीं जानता । हमारी आवाज सुनी जाती है लेकिन फिल्मी पर्दे पर लोग आपको जज करते हैं । आप कैसे उठ बैठ रहे हैं ? कैसे चल रहे हैं ? कैसे बोल रहे हैं ?
प्र.आपका अनुभव कैसा रहा ?
बहुत अच्छा रहा, दीपक सर से बहुत कुछ सीखने को मिला । सच कहूँ तो लोग मेरे काम की जो प्रशंसा कर रहे हैं न उसके असली हकदार दीपक सर ही हैं । मेरे काम में निखार उनकी वजह से आया है । उन्होंने बहुत मेहनत किया है मेरे किरदार को लेकर । एक एक सीन पर उन्होंने कड़ी मेहनत की है । फिल्म के जीतने भी कलाकार है सभी पर उन्होंने बारीक नजरें रखी । छोटी छोटी बातों का ध्यान रखा । हम तो निर्देश्क का नाम सुनकर ही डर जाते हैं लेकिन मेरा पहला ही अनुभव बहुत अच्छा रहा है ।
प्र. अवसर मिले तो और फिल्म में काम करेंगी ?
उ.जरुर, मैं तो करुँगी, जीवन सीखने का नाम है । मैं अभी सीखने के क्रम में हूँ तो बहुत कुछ सीखना चाहती हूँ । मुझे लगता है कि हर व्यक्ति में बहुत क्षमता होती है । वह अपनी क्षमता को पहचान नहीं पाता है । तब कोई ऐसा मिलता है जो उसे निखार सकें उसकी क्षमता को पहचान सकें । फिल्म में काम करने वाले मेरे सभी दोस्तो को भी पता नहीं था कि हम सभी इतना बेहतर काम कर सकते हैं । मुझे लगता है कि ये दीपक सर का कमाल है कि उन्होंने सबकी क्षमता को पहचाना और उसे निखारा है ।
प्र. अपने फैन्स को क्या कहना चाहती हैं ?
उ. बस इतना ही अपने आप पर विश्वास रखें । खासकर मैं महिलाओं से कहना चाहती हूँ कि हम बहुत क्षमतावान हैं । अपनी क्षमता को पहचाने और अपने काम को कैसे अपनी मेहनत से अच्छा कर सकें इस ओर ज्यादा ध्यान दें । बहुत लोग बहुत कुछ पाने के लिए कोई भी कदम उठा लेते हैं या झूक जाते हैं । काम पाने के लिए कुछ भी करना चाहते हैं तो मैं यहीं कहना चाहूँगी कि झूकना नहीं है । अपनी क्षमता पर विश्वास रखें और आगे बढ़े ।

कार्यकारी संपादक, हिमालिनी ऑनलाइन ।
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