Sat. Apr 19th, 2025

हिन्दी साहित्यकार मनीषा खटाटे को म.ज्योतिराव फुले जीवनगौरव प्रदान


नासिक – महाराष्ट्र के छत्रपति संभाजीनगर में पुरोगामी सामाजिक-सांस्कृतिक महासंघ आयोजित द्वितीय परिवर्तनवादी साहित्य संमेलन में हिन्दी साहित्यकार मनीषा खटाटे को प्रसिद्ध समाजसेवी सूर्यकांताताई गाडेजी की करकमलों से महात्मा फुले जीवनगौरव पुरस्कार साहित्यिक योगदान के लिए दिया गया।मनीषा खटाटे ने साहित्य में दार्शनिक शैली की रचना को रांगेय राघव के सौ वर्ष बाद पुनरूज्जिवित किया है।साहित्य में दार्शनिक शैली की रचना का अर्थ यह है की साहित्य कृति की साकार रचना के पिछे जो निराकार तत्त्व है उन तत्त्वों को अभिव्यक्त करके सौंदर्यानुभव करना है।मनीषा खटाटे “मरूस्थल” खण्डकाव्य की रचनाकार है।
इस संमेलन के अध्यक्ष महाराष्ट्र के प्रसिद्ध विचारक तथा समीक्षक मा.डाॅ.ऋषिकेश कांबले जी ने साहित्य की परिवर्तनवादी प्रेरणा और अस्तित्व की स्वतंत्र होने की इच्छा ही सृजनशील साहित्य की मूल अवधारणा है।दुःख से मुक्ति की प्रेरणा मनुष्य को प्रज्ञा और करूणा की ओर ले जाती है,ऐसा अपने संबोधन में कहा। उद्घाटक के रूप में लोकप्रिय लेखक तथा राजकीय विश्लेषक मा.शेषराव चव्हाणजी ने शिक्षा क्षेत्र में हो परिवर्तन की आवश्यकता के उपर जोर दिया।प्रमुख अतिथि के रूप में मा.डाॅ.राजेन्द्र खटाटेजी ने मराठी साहित्यकार की वैश्विक संदर्भ में सोचविचार का विश्लेषण किया और मराठी साहित्यकार की चेतना को भी विराटता की क्षमता को विकसित करने की अत्यावश्यकता पर ज़ोर दिया।पुरोगामी सामाजिक-सांस्कृतिक महासंघ के अध्यक्ष मा.समाधान दहिवाल जी ने परिवर्तनवादी साहित्य संमेलन की यशस्वीता के लिए अथक परिश्रम लिए।इस संमेलन का सूत्र संचालन सुश्री.अमृता काळे जी ने अपने मनमोहक अंदाज में किया।

About Author

आप हमें फ़ेसबुक, ट्विटर और यूट्यूब पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *