मधेश में किस पार्टी ने कितनी योजनाएँ लीं ?
जनकपुरधाम, वैशाख १, २०८२ (14 अप्रैल 2025)
मुख्य बिंदु:
- बारा में 37, रौतहट में 31, सर्लाही में 14, महोत्तरी में 11 और सिरहा में 36 योजनाएँ अधर में लटकी हुई हैं।
मधेश प्रदेश की विधानसभा में भौतिक पूर्वाधार विकास मंत्री सरोजकुमार यादव ने जानकारी दी कि 200 से अधिक योजनाओं का अभी तक कोई अनुबंध नहीं हुआ है। उनका आरोप है कि सांसदों ने कमीशन के लोभ में योजनाओं को न तो वार्ड कार्यालय में दर्ज कराया, न ही संबंधित कार्यालय से अनुबंध करवाया।
जब पत्रकारों ने मंत्री यादव से योजनाओं की सूची मांगी, तो उन्होंने देने से इनकार कर दिया। हालांकि, मिली जानकारी के अनुसार विभिन्न दलों के सांसदों ने निम्नानुसार योजनाएँ ली हैं:

- नेपाली कांग्रेस: 248 योजनाएँ
- एमाले: 240
- जनमत: 163
- लोकतान्त्रिक समाजवादी पार्टी (लोसपा): 94
- जनता समाजवादी पार्टी (जसपा): 174
- माओवादी: 64
- नेकपा एकीकृत समाजवादी: 56
- नागरिक उन्मुक्ति: 5
- राप्रपा: 4
- संघीय समाजवादी पार्टी: 2
फर्जी उपभोक्ता समिति का मामला: धनुषा जिले के कमला नगरपालिका-4 में तीन योजनाओं के पत्र गायब हैं। वार्ड अध्यक्ष को इन योजनाओं की कोई जानकारी नहीं है। शंका है कि योजनाओं के पत्र बिचौलियों के हाथ लग गए हैं। इसी तरह धनुषाधाम नगरपालिका-6 में भी योजनाओं के पत्र वार्ड को नहीं मिले।
संदेह जताया जा रहा है कि एमाले पार्टी के कुछ नेता अवैध रूप से उपभोक्ता समितियाँ बना रहे हैं, जिससे सरकारी प्रक्रिया का उल्लंघन हो रहा है। एक स्थानीय व्यक्ति का कहना है कि केवल 20% योजनाएँ ही कानूनी प्रक्रिया के अनुसार लागू होती हैं।
कानूनी प्रक्रिया क्या कहती है? किसी योजना के लिए सबसे पहले संबंधित कार्यालय वार्ड कार्यालय को पत्र भेजता है, जिसमें 15 दिन के भीतर उपभोक्ता समिति बनाने का निर्देश होता है। वार्ड कार्यालय फिर सात दिन में सार्वजनिक बैठक बुलाता है और समिति बनती है। लेकिन यह प्रक्रिया शायद ही पालन होती है।
निष्कर्ष: मधेश में योजनाओं के वितरण और क्रियान्वयन में भारी अनियमितताएँ सामने आई हैं, जिनमें भ्रष्टाचार, बिचौलियों की भूमिका और राजनीतिक दलों की मिलीभगत उजागर हुई है।केमलेश ठाकुर के रिपोर्ट के आधार पर कांतिपुर से साभार