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जो दवा से ठीक न हो, फिजियोथेरापी उस रोग को ठीक कर सकती है

Dr. Amarendra Jha

डा. अमरेन्द्र झा, फिजियोथेरापिस्ट:शरीरिक तथा मानसिक स्वास्थ्य के नाम में मर्निङवाक, व्यायाम और योगा करने वालों की जमात आज शहर में बढ़ रही है । लेकिन चिकित्सा विज्ञान द्वारा प्रमाणित और शारीरिक व्यायम से मिलती–जुलती चिकित्सा पद्धति फिजियोथेरापी के बारे में कम ही लोग जानते हैं । बहुतों को लगता है कि फिजियोथेरापी और शारीरिक व्यायम दोनों एक ही जैसे हैं । लेकिन फिजियोथेरापिस्ट डा. अमरेन्द्र झा कहते हैं– ऐसा समझना गलत होगा । तब क्या है फिजियोथेरापी ? अलका अस्पताल जावलाखेल और शिवज्योति अस्पताल बल्खु में कार्यरत फिजियोथेरापिष्ट डा. झा के साथ हिमालिनी प्रतिनिधि
लीलानाथ गौतम ने बातचीत की है । प्रस्तुत है– बातचीत का सम्पादित अंशः–
० जिज्ञासु सर्वसाधारण को आप कैसे समझाएँंगे, फिजियोथेरापी क्या है ?
– फिजियोथेरापी एक सामान्य उपचार पद्धति है । लेकिन इसके माध्यम से जटिल से जटिल रोगों का भी उपचार सम्भव रहता है ।  नेपाल में इस विधि का प्रयोग ३० वर्ष पहले वीर अस्पताल से शुरु हुआ था । नर्सिङ पृष्ठभूमि के कुछ व्यक्तियों को सामान्य तालीम देकर इसे शुरु किया गया था । जिस ने अभी वृहत रूप ले चुका है । अमेरिका में अर्थोपेडिक विषय में अध्ययन कर नेपाल वापस आए डा. ज्वालाराज पाण्डे ने नेपाल में इस उपचार पद्धति की शुरुआत की थी । भारत में करीब ३४ साल पहले सन् १९८१ से यह उपचार पद्धति प्रचलन में है । विशेषतः फिजियोथेरापी उपचार पद्धति में हड्डी, गाँठ, और नस सम्बन्धी समस्या वाले व्यक्ति का उपचार किया जाता है । लेकिन फिजियोथेरापी सिर्फ इसी में सीमित नहीं है । स्त्री की प्रसूति सम्बन्धी समस्या में भी यह प्रभावकारी होता है । इसी तरह वृद्ध–वृद्धा, बालबालिका और अपंग व्यक्तियों का भी हम फिजियोथेरापी से सफल उपचार करते हैं । लेकिन इन सभी के लिए अलग–अलग उपचार विधि रहती है । शरीर के विभिन्न अंग में हुए संक्रमण तथा चोट–पटक का भी फिजियोथेरापी के माध्यम से उपचार किया जाता है ।
० नेपाल के सभी अस्पताल में यह सुविधा है ?
– नेपाल के प्रायः सभी अस्पताल में फिजियोथेरापी सेवा उपलब्ध है । यहाँ तक कि शहर के सामान्य क्लिनिक में भी किसी न किसी प्रकार की फिजियोथेरापी सेवा उपलब्ध होती है । कहीं म्यानुअल थेरापी के नाम में तो कहीं लेजर थेरापी के नाम में उपचार किया जाता है । किसी भी नाम में हो, लेकिन यह फिजियोथेरापी का ही एक पार्ट है ।
० किस तरह के रोग के लिए फिजियोथेरापी प्रभावकारी रहता है ?
– विशेषतः हड्डी और उस की गाँठ तथा नशा सम्बन्धी समस्या के लिए तो फिजियोथेरापी ही सबसे उत्तम है । लेकिन अब यह इस में ही सीमित नहीं है । सभी प्रकार की स्वास्थ समस्या समाधान के लिए फिजियोथेरापी प्रभावकारी हो रहा है । यहाँ तक कि आग के जलन से हुए घाव में भी फिजियोथेरापी काम करता है । भौतिक तथा मानसिक रूप में बालबालिका को अपंग होने से बचाने के लिए भी इसका प्रयोग होता है । इसी तरह प्रसूति, कैंसर, नाक–कान–गला सम्बन्धी समस्या, हृदय रोग आदि में भी फिजियोथेरापी उपयुक्त उपचार विधि साबित हो रही है ।
० किस प्रकार के बीमार फिजियोथेरापी के लिए आते हैं ?
– सामान्यतः सभी रोगियो के लिए फिजियोथेरापी आवश्यक पड़ सकता है । लेकिन यहाँ चेतना का अभाव है । इसीलिए जो व्यक्ति औषधी उपचार से थक जाते हैं, वैसे लोग ही इस उपचार पद्धति से जुड़ते हैं । जब उनके लिए औषधी और बड़े–बड़े डाक्टर फेल हो जाते हैं, वही लोग एक बार फिजियोथेरापी भी कर लें, कहते हुए आते हैं । और स्वस्थ होकर घर लौटते हैं । इसका मतलव ऐसा नहीं समझें कि सभी डाक्टर और दवा बेकार है । लेकिन डाक्टर की दवा के साथ–साथ फिजियोथेरापी को भी अपनाएंगे तो रोग से जल्दी छुटकारा मिल सकता है ।
० सर्वसाधारण लोग समझते है कि फिजियोथेरापी तो शारीरिक व्यायाम और योगा समान है, क्या ऐसा समझना सही है ?
– विल्कुल गलत सोच है । हाँ, स्वास्थ्य के लिए शारीरिक परिश्रम, व्यायाम तथा योगा लाभदायक होता है । लेकिन फिजियोथेरापी का मतलव सिर्फ शारीरिक व्यायाम और योगा नहीं है । फिजियोथेरापी तो चिकित्सा विज्ञान द्वारा प्रमाणित अलग किस्म की उपचार पद्धति है, जिस को विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लुएचओ) ने भी प्रमाणीकरण किया है । व्यायाम और योगा रोगों से बचने के लिए किया जाता है,  मानसिक और शारीरिक रूप में फिट रहने के लिए किया जाता है । लेकिन फिजियोथेरापी रोगों से पीड़ित व्यक्तियों के लिए है । इसीलिए शारीरिक व्यायाम ही सही, यह योगा नहीं है । इसका अपना अलग ही महत्व और विशेषता है । रोग और अंग के अनुसार विशेषज्ञ होते हैं, हरेक रोग और अंग के लिए अलग–अलग उपचार पद्धति होती है । इसीलिए व्यायाम और फिजियोथेरापी बिल्कुल अलग विषय हैं ।
बीमार व्यक्ति की भौतिक संरचना और समस्या अनुसार उपचार पद्धति कैसी हो, इस में खयाल करना पड़ता है । सबसे पहले बीमार लोग को फिजिकल रिहाबिलेसन का दायित्व रहता है । सामान्यतः इस में किसी भी प्रकार की मेसिन का प्रयोग नहीं किया जाता । जिस को हम लोग म्यानुअल थेरापी भी कह सकते हैं । दूसरा इलेक्ट्रोथेरापी होता है । जहाँ विभिन्न उपकरण के माध्यम से बीमार शरीर तथा अंग में विद्युत प्रवाह किया जाता है । तीसरा, हाइड्रोथेरापी होता है । जहाँ पानी आदि अन्य सहयोगी सामग्री के माध्यम से भी उपचार किया जाता है ।
० फिजियोथेरापी सम्बन्धी उपचार के सम्बन्ध में सर्वसाधारण क्या कहते हैं ?
– मेरे खयाल में काठमांडू उपत्यका में लगभग ७० प्रतिशत व्यक्ति फिजियोथेरापी के बारे में जानते हैं । लेकिन उपत्यका के बाहर ऐसी अवस्था नहीं है । वहाँ बहुत लोग फिजियोथेरापी क्या है ?, कुछ भी नहीं जानते हैं । इसीलिए यहाँ जनचेतना की जरूरत है ।  एक बात तो सच है कि जब बड़े–बडेÞ अस्पताल और डाक्टर से मिलने के बाद भी रोग जैसा का तैसा ही रहता है, तब ऐसे लोग फिजियोथेरापी के माध्यम से स्वस्थ होकर जाते हैं, ऐसे ही लोग इस उपचार पद्धति के बारे में प्रचार कर रहे हैं ।
० फिजियोथेरापी सम्बन्धी सरकारी नीति क्या है ?
– नीति में तो सभी अस्पतालों में फिजियोथेरापी अनिवार्य है । लेकिन स्वास्थ्य सम्बन्धी २४ साल पुराने कानून के कारण यह प्रभावकारी नहीं बन पाया है । २४ साल में नेपाल की जनसंख्या कहाँ से कहाँ पहुँच चुकी है, विभिन्न नये रोग और समस्या आ रहे है, उपचार में भी नयी–नयी पद्धति का विकास हो चुका है, लेकिन स्वास्थ्य नीति वही पुरानी है । जिस के चलते उपचार विधि और व्यवस्थापन प्रभावकारी नहीं हो पा रहा है । उदाहरण के लिए मैं जिस अस्पताल में कार्यरत हूँ, यहाँ प्राप्त विशेषज्ञ और उपचार सुविधा सरकारी वीर अस्पताल में नहीं है । और जो वीर अस्पताल में है, वह अन्यत्र नहीं है । सरकारी नीति–नियमों के कारण ही सामान्य उपचार विधि और उपकरण से सरकारी अस्पताल वञ्चित हो रहा है । इस मामले में प्राइवेट क्षेत्र आगे बढ़ रहा है । फिजियोथेरापी और दयनीय अवस्था में है । सरकारी अस्पतालों में दक्ष चिकित्सक का हर समय अभाव ही रहता है । वहाँ दक्षताविहीन व्यक्ति फिजियोथेरापिस्ट रहते हैं ।
० कहीं जनशक्ति के अभाव में तो ऐसा नहीं हो रहा है ?
– नहीं, जनशक्ति तो काफी है । दक्ष जनशक्ति काम बिना भटक रहे हंै । लेकिन अस्पतालों की बेड संख्या के आधार में जितने फिजियोथेरापिस्ट होने चाहिए थे, उतने नहीं हंै । कानुन का अभाव और व्यवस्थापकीय कमजोरी के कारण यह सब हो रहा है । और सामान्य तालीम प्राप्त व्यक्ति ही फिजियोथेरापिस्ट के रूप में काम करते हैं । फिजियोथेरापी में नेपाल में तकरीबन ८ सौ संख्या की जनशक्ति है, यह काफी है । लेकिन उन लोगों का व्यवस्थापन नहीं हो पा रहा है ।

Dr. Amarendra Jha
डा. अमरेन्द्र झा

– अभी तक नेपाल में जितने भी फिजियोथेरापिस्ट हैं, उस में से लगभग ९९ प्रतिशत पड़ोसी देश भारत से तैयार हो कर आए हैं । बाँकी १ प्रतिशत ने अन्य देशों से विशेषज्ञता हासिल की है । लेकिन इस वर्ष (सन् २०१५ जनवरी) से नेपाल से भी फिजियोथेरापी सम्बन्धी दक्ष जनशक्ति उत्पादित हो रही है । और यहाँ भी औपचारिक अध्यन–अध्यापन शुरु किया गया है । काठमांडू युनिभर्सिटी, धुलिखेल (काभ्रे) ने एक महीना पहले ही मास्टर लेभल का पहला बैच उत्पादन किया है । उसी युनिभर्सिटी ने पाँच साल पहले डिप्लोमा तह के आठ बैच तैयार किए थे । इसीलिए अब तो हमारे देश में ही फिजियोथेरापिस्ट उत्पादन होने लगा है । एकेडेमिक हिसाब के अनुसार इससे पहले कोई भी ऐसी संस्था नहीं है, जो फिजियोथेरापिस्ट सम्बन्धी जनशक्ति उत्पादन करे । लेकिन अब भी मास्टर लेभल से आगे पढ़ना है तो उसके लिए भारत ही जाना पड़ता है ।

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